कार्तिक माह हिन्दू कैलेंडर का 8वां महिना है. शास्त्रों में कहा भी गया है कि कार्तिक के समान दूसरा कोई मास नहीं है. तुला राशि पर सूर्य का गोचर होने पर कार्तिक माह का आरंभ हो जाता है. कार्तिक का माहात्म्य के बारे में स्कंदपुराण, पद्मपुराण और भागवत में मिलता है. इस माह में भगवान शिव के पुत्र कार्तिकेय का पूजन भी किया जाता है.
कार्तिक मास में जन्मा जातक
जिस व्यक्ति का जन्म कार्तिक मास में हो वह व्यक्ति धन-धान्य का स्वामी होता है. काम विषयों में अधिक रुचि लेता है. इसके अलावा वह लोगों के साथ बुरा आचरण करने वाला होता है. ऎसे व्यक्ति को क्रय-विक्रय के कार्यो में लाभ होता है. इस योग से युक्त व्यक्ति स्वयं को शुभ कार्यो करने के लिए प्रयास करने चाहिए. विपरीत लिंग कार्यो में समय देने के कारण ऎसे व्यक्ति को अपने चरित्र की कमी को दूर करने का प्रयास करना चाहिए.
इस मास की विशेषता यह है, कि इस माह में जन्म लेने वाले व्यक्ति को भगवान विष्णु जी की पूजा करनी चाहिए. भगवान विष्णु तुलसी पत्र से पूजन होने पर शीघ्र प्रसन्न होते है. इस माह का प्रत्येक दिन किसी पर्व से कम नहीं होता है और इस माह में जन्मा जातक भी इस माह में उत्पन्न होकर इस माह की शुभता और बल को पाने में सक्षम होता है. इस माह में जन्में जातक को अपने सामर्थ्य अनुसार इस माह में पालन किए जाने वाले नियमों को जरुर समझना चाहिए, इस माह में किए जाने वाले शुभ कार्यों द्वारा उसके पुण्यों में वृद्धि होती है और जीवन जीने में शुभता का अनुभव भी होता है.
कार्तिक मास का महत्व
कार्तिक का महीना एक बहुत ही पवित्र और शुभ माह की गिनती में आता है. इस माह के विषय में श्रीमद भागवत में विस्तार से बताया गया है. यह माह मनुष्य और प्रकृति दोनों पर ही अपनी छाप छोड़ता है और एक दूसरे के संबंध को मजबूत भी बनाता है. रिश्तों में प्रेम और विश्व के कल्याण को अपने में समेटे हुए है कार्तिक का त्यौहार. कार्तिक माह में अन्नकूट जिसे गोवर्धन पूजा के नाम से भी जाना जाता है. प्रकृति और मानव के संबंधों के मध्य सम्मान और प्रेम को दर्शाता है. जिस प्रकृति से हमे जीवन का हर रस-रंग मिला है उसके प्रति श्रृद्धा ओर प्रेम को दर्शाने का समय होता है यह पर्व.
इसी के साथ कार्तिक माह की अमावस्या के दिन दीपावली का पर्व मनाया जाता है. जो दर्शाता है की किस प्रकार हमें जीवन में मौजूद अंधेरे को रोशनी से भर देना चाहिए. निराशा से आशा की ओर बढ़ते हुए जीवन को जीने का सलीका सिखाता है ये त्यौहार.
इसी तरह से भैया दूज का त्यौहार, रिश्तों में पवित्रता और मजबूती और प्रेम की प्रगाढ़ता को लाने का कार्य करते हैं. जीवन में एक दूसरे के प्रति प्रेम और सहचर्य के साथ अपने भाई-बहनों के प्रति हमारा प्रेम निश्छल भाव से बहना चाहिए.
करवा चौथ व्रत सौभाग्यवती स्त्रियों द्वारा किया जाता है. यह दांपत्य जीवन को जीने का ढंग बताता है. जीवन साथी के साथ सुख दुख और सभी परिस्थितियों में एक दूसरे का साथ निभाने की कसमों को पुन:जीवंत कर देता है. अपनी जीवन साथी की लम्बी और दांपत्य सुख की कामना को पूरा करन हेतु आस्था और विश्वास की डोर से बंधा यह पर्व जीवन को सच में ही एक मजबूत आधारशिला देता है.
अहोई अष्टमी व्रत यह व्रत माताएं अपनी संतान के सुख और उसके सुखद भविष्य के लिए करती हैं. कार्तिक माह में कृष्ण पक्ष की अष्टमी के समय इस व्रत को करने का विधान बताया गया है. इस व्रत के द्वारा परिवार की बुनियाद का आधार तय होता है और जीवन का जीने का आरंभ होता है. एक पीढी़ का दूसरे पीढ़ी के प्रति दायित्व और प्रेम इस के जरिये सामने आता है.
इस माह के दौरान ही विश्वकर्मा दिवस भी मनाया जाता है, जो उन निर्जीव वस्तुओं के प्रति भी सम्मान दर्शाता है जिनका उपयोग हम अपने जीवन यापन के लिए करते हैं. इस दिन औजारों की पूजा की जाती है, कारोबारी अपनी मशीनों और अन्य चीजों के प्रति इस दिन सम्मान दर्शाते हैं. फैक्टरी, कारखाने या कोई साधारण मजदूर-किसान ही क्यों न हो सभी अपने उन औजारों को पूजते हैं जिनसे उनकी आजिविका चलती है.
अत: इस कार्तिक माह में ऎसे बहुत से पर्व-उत्सव मनाए जाते हैं, जो किसी न किसी रुप में जीवन और प्रकृति के सामंजस्य को दर्शाते हैं. इन दोनों को साथ लेकर चलने पर ही मनुष्य का सकारात्मक विकास संभव हो सकता है.
कार्तिक माह में किए जाने वाले कार्य
कार्तिक माह में दान का विशेष महत्व है. इस माह में दान के लिए अन्न, धन व वस्त्र का सामर्थ्य अनुसार दान किया जाना चाहिए.
कार्तिक माह में गंगा स्नान का विशेष महत्व होता है.
इस माह दीपदान किया जाना चाहिए.
सूर्य आराधना करनी चाहिए.
सूर्योदय से पहले उठना चाहिए और नित्य कार्यो से निवृत होकर पूजा-पाठ, हवन, यज्ञ इत्यादि अनुष्ठान करने चाहिए.
इस माह भगवान विष्णु का पूजन विशेष रुप से किया जाता है.
रामायण, भागवत, गीता जैसे धार्मिक ग्रंथों का पढ़ना और सुनना चाहिए. बहुत शुभ माना जाता है.
इस माह के दौरान फर्श पर सोना चाहिए.
अधिकांश समय मौन रहने की कोशिश करनी चाहिए. ऎसा करने से हम बुरे वचनों को कहने से भी बचते हैं.
जो इस माह व्रत का पालन करता है उसे दिन में केवल एक ही बार भोजन करना चाहिए.
कार्तिक में प्याज, लहसुन, मसालेदार भोजन, मांस-मदिरा और उड़द की दाल आदि का त्याग करना चाहिए.
कार्तिक मास जन्म उपाय
जिस व्यक्ति का जन्म कार्तिक मास में हुआ हो, उस व्यक्ति को उपरोक्त अशुभ प्रभावों से बचने के लिए निम्न उपाय करने चाहिए.
कार्तिक मास में ब्राह्मण दम्पत्ति को भोजन कराकर उनका पूजन करें.
अपनी क्षमता अनुसार कम्बल, ओढ़ना-बिछौना एवं नाना प्रकार के रत्न व वस्त्रों का दान करें.
जूते और छाते का भी दान करने का विधान है.
कार्तिक में तिल दान, नदी स्नान, सदा साधु पुरुषों का पूजन मोक्ष देने वाला है.
कार्तिक मास में मौनव्रत का पालन, पलाश के पत्तों में भोजन, तिलमिश्रित जल से स्नान करना चाहिए.