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कुण्डली में अगर बने हल-श्रंगाटक(श्रृंगाटक)-वापी योग तो बन सकते हैं धनवान

ज्योतिष में नभस योग का बहुत महत्व रहा है. इन योगों के सहयोग द्वारा जातक के जीवन में होने वाली घटनाओं ओर भाग्य का निर्धारण में भी बहुत अधिक सहायक बनते हैं. नभस योग कुण्डली में बनने वाले अन्य योगों से

भेरी,पुष्कल,विरांची, शुभाचारी,कालसर्प,अखण्ड सम्राज्य योग | How is Bheri Yoga Formed | Pushkal Yoga | Viranchi Yoga | Shubhachari Yoga | Kalsarp Yoga | Akhandh Samrajya Yoga

भेरी योग भेरी योग में लग्नेश, शुक्र, ग्रुरु एक-दूसरे से केन्द्र में और नवमेश बली हो या शुक्र, बुध के पहले, दुसरे, सातंवे या बारहवें भाव में युति और दशमेश बली. यह योग व्यक्ति को दीर्घायु बनाता है. यह

यूप-शर-शक्ति योग - नभस योग | Yup Yoga- Nabhasa Yoga | Shakti Yoga- Nabhasa Yoga | Shara Yoga - Nabhasa Yoga

यूप योग लग्न से चतुर्थ भाव अर्थात कुण्डली के पहले चार भावों में सभी ग्रह होने पर बनता है. यह योग शुभ योगों की श्रेणी में आता है. यह योग क्योकि लग्न, भाव, धन भाव, तृ्तीय भाव अर्थात यात्रा भाव व चतुर्थ

गजकेसरी योग | Gaja Kesari Yoga Effects | What is Gaja Kesari Yoga | How is Formed Dhana Yoga

योग का शाब्दिक अर्थ युति है. ज्योतिष में योग का अर्थ है, ग्रहों की एक ऎसी स्थिति है, जिसमें ग्रह विशेष परिणाम देता है. समान्यत: योग ग्रहों के एक विशेष स्थिति में बैठने पर ज्योतिष योग बनते है. ज्योतिष

सूर्य से बनने वाला उभयचरी योग बना सकता है आपको नेता

उभयचरी योग सूर्यादि योगों में से एक योग है. यह योग शुभ योग है. सूर्यादि योगों की यह विशेषता है, कि इन योगों राहू-केतु और चन्द्र ग्रह को शामिल नहीं किया जाता है. यहां तक की अगर उभयचरी योग बनते समय

यव-वज्र-शकट योग - नभस योग

नभस योग की श्रेणी में यव नामक योग भी आता है. यव योग भी एक शुभ योगों के अंतर्गत स्थान पाता है. इस योग के प्रभाव का जातक के जीवन में मिला-जुला प्रभाव देखने को मिलता है. यव योग होने पर व्यक्ति की

फिल्मों में सफलता प्राप्ति के योग । Yogas For Achieving Success In Films

फिल्मी जगत में कई कलाकार सफल होते हैं तो कई असफलता का मुँह देखते हैं. जो सफल होते हैं उनकी सफलता का रहस्य उनकी कुण्डली में छिपा होता है. ज्योतिष के संसार में ज्योतिषियों ने फिल्मों में सफलता प्राप्त

जानिए, पूर्णिमा तिथि और इसके महत्व के बारे में विस्तार से

पूर्णिमा तिथि जिसमें चंद्रमा पूर्णरुप में मौजूद होता है. पूर्णिमा तिथि को सौम्य और बलिष्ठ तिथि कहा जाता है. इस तिथि को ज्योतिष में विशेष बल महत्व दिया गया है. पूर्णिमा के दौरान चंद्रमा का बल अधिक

मोती का उपरत्न मूनस्टोन लाएगा जीवन में सुख और समृद्धि

मून स्टोन चन्द्रमा के रत्न मोती का मुख्य उपरत्न है. इस रत्न का उपयोग नव ग्रह में से एक चंद्रमा की शक्ति और सकारात्मकता को पाने के लिए किया जाता है. मून स्टोन आसानी से प्राप्त हो जाने वाला प्रभावशाली

ज्योतिष के इतिहास में भास्कराचार्य का योगदान

ज्योतिष की इतिहास की पृष्ठभूमि में वराहमिहिर और ब्रह्मागुप्त के बाद भास्कराचार्य के समान प्रभावशाली, सर्वगुणसम्पन्न दूसरा ज्योतिषशास्त्री नहीं हुआ है. इन्होने ज्योतिष की प्रारम्भिक शिक्षा अपने पिता

जानिए चंद्रमा से बनने वाले दुर्धरा योग का प्रभाव

जन्म कुण्डली में दुर्धरा (दुरुधरा) योग का निर्माण चंद्रमा की स्थिति के आधार पर तय होता है. जब कुण्डली में सूर्य के सिवाय, चन्द्र के दोनो और अथवा द्वितीय व द्वादश भाव में ग्रह हों, तो इससे दुरुधरा योग

हंस योग से होता है भाग्योदय

अपने नाम के अनुरुप ही यह योग बहुत ही सुंदर और शुभ योग होता है. हंस योग से युक्त व्यक्ति विद्वान और ज्ञानी होता है. उसमें न्याय करने का विशेष गुण होता है. तथा हंस के समान वह सदैव शुभ आचरण करता है.

शनि से बनने वाला शश योग- पंचमहापुरुष योग

जन्म कुण्डली में शुभाशुभ योगों के प्रभव से जातक का जीवन बहुत प्रभावित होता है. जातक को मिलने वाली दशाएं और योगों का शुभ और अशुभ प्रभाव उसके जीवन में निर्णायक भूमिका दिखाता है. कुछ व्यक्ति को जीवन में

अष्टमी तिथि

चन्द्र मास में सप्तमी तिथि के बाद आने वाली तिथि अष्टमी तिथि कहलाती है. चन्द्र के क्योंकि दो पक्ष होते है, इसलिए यह तिथि प्रत्येक माह में दो बार आती है. जो अष्टमी तिथि शुक्ल पक्ष में आती है, वह शुक्ल

प्रश्न कुण्डली से जाने विवाद कब तक चलेगा और फैसला कैसा होगा

जीवन में हर किसी की जिंदगी में किसी न किसी बात को लेकर कोई न कोई परेशानी लगी ही रहती है. परिवार, पैसा, प्यार ऎसे न जाने कितने कारण हैं जो कारण व्यक्ति की लाईफ में लड़ाई झगड़े का कारण बनते हैं. कई बार

शंख- धनुष- पाश- दाम- वीणा योग

ज्योतिष में अनेकों योग हैं और इन योगों की संख्या भी हजारों में है. ऎसे में कोई न कोई शुभ या अशुभ योग जातक की कुण्डली में बनता ही है. ये योग जातक के प्रारब्ध का ही प्रभाव होता हैं जो आने वाले जीवन को

केमद्रुम योग कैसे होता है भंग

जन्म कुण्डली में जब चंद्रमा से दूसरे भाव और बारहवें भाव में कोई ग्रह नहीं होता है तो यह स्थिति केमद्रूम योग बनाती है. केमद्रूम योग खराब योगों की श्रेणी में आता है. इस योग के कारण जातक मानसिक और

अष्टमी तिथि - हिन्दू कैलेण्डर तिथि | Ashtami Tithi - Hindu Calendar Tithi । Hindu Calendar Date । Ashtami Tithi Yoga

चन्द्र मास में सप्तमी तिथि के बाद आने वाली तिथि अष्टमी तिथि कहलाती है. चन्द्र के क्योंकि दो पक्ष होते है. इसलिए यह तिथि प्रत्येक माह में दो बार आती है. जो अष्टमी तिथि शुक्ल पक्ष में आती है, वह शुक्ल

द्वादशी तिथि

द्वादशी तिथि अर्थात बारहवीं तिथि. इस तिथि के दौरान सूर्य से चन्द्र का अन्तर 133° से 144° तक होता है, तो यह शुक्ल पक्ष की द्वादशी होती है और 313° से 324° की समाप्ति तक कृष्ण द्वादशी तिथि होती है. इस

अधि-गुरुमंगल-गुरुचंडाल-लक्ष्मी-गौरी-श्रीकण्ठ योग | Adhi yoga | Guru Mangal Yoga | Guru Chandal Yoga | Lakshmi Yoga | Gauri Yoga | Shri Kanth Yoga

ज्योतिष में योग शब्द से अभिप्राय ग्रहों के संबन्ध से है, यह सम्बन्ध ग्रहों की युत्ति, दृ्ष्टि संबन्ध्, परिवर्तन तथा अन्य कई कारणों से बन सकता है. जिस प्रकार धर्म में बुद्धि और शरीर का योग, आयुर्वेद