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विवाह के लिए श्रेष्ठ नक्षत्र मिलान आईये जानें कौन सा नक्षत्र होगा आपके लिए शुभ मिलान
विवाह मिलान में नक्षत्र मिलान एक सबसे महत्वपूर्ण कारक बनता है. नक्षत्रों का एक साथ शुभता लिए होना विवाह के सुखमय होने का आधार भी बनता है. जब हम अपने सहयोगी एवं मित्र स्वरुप नक्षत्र से मिलते हैं तो इस
वैदिक ज्योतिष में सेहत से जुड़े मुख्य कारक
सेहत से जुड़े कई कारकों का वर्णन वैदिक ज्योतिष में मिलता है. सेहत जीवन का एक महत्वपुर्ण मुद्दा है जिसे लेकर कइ बर हम सजग तो कई बार लापरवाह भी दिखाई देते हैं किंतु कुल मिलाकर सेहत को बेहतर बनाए रखने
ज्योतिष में बनने वाले पांच दुर्लभ योग जो कुंडली में होते हैं खास
ज्योतिष में ग्रहों, नक्षत्रों, भावों, राशियों इत्यादि के आधार पर कई तरह के योग बनते हैं जो कुछ शुभ तो कुछ अशुभ स्थिति को पाते हैं . कुछ योग ऎसे होते हैं जो काफी विशेष रुप से व्यक्ति पर अपना असर डालते
मिथुन लग्न के लिए कौन बनता है मारक
कुंडली का प्रत्येक लग्न किसी न किसी मारक ग्रह से प्रभावित अवश्य होता है. मिथुन लग्न की कुंडली होने पर इस कुंडली के दूसरे भाव और सातवें भाव का स्वामी मारक बनता है. मिथुन लग्न के लिए, द्वितीय भाव में
विदेश में निवास के लिए आपकी कुंडली में बनने वाले ये योग होते हैं खास
विदेश में जाना, विदेश यात्रा करना आज के समय में इसका काफी प्रचलन बढ़ गया है. विदेश में यात्रा के अवसर कई तरह से मिल जाते हैं लेकिन जब बात आती है विदेश में ही रहने की तब चीजें काफी मुश्किल सी दिखाई
राशि अनुसार नौकरी का चुनाव क्यों करना अनुकूल होगा
नौकरी में सफल होने के लिए, करियर से संबंधित विचार बहुत जल्द ही कम उम्र में शुरू हो जाता है. करियर बनाने की दिशा में शिक्षा क्षेत्र का चयन पहला कदम होता है. जो इस बात को निर्धारित करने में मदद करता है
वृषभ लग्न के लिए मारक ग्रह और उसका प्रभाव
वृष लग्न शुक्र के स्वामित्व का लग्न है इस लग्न के लिए दूसरे और सातवें भाव को मारक कहा जाता है. दूसरे और सातवें भाव के राशि स्वामी को मारकेश कहा जाएगा. वृष लग्न के लिए द्वितीय भाव में मिथुन राशि आती
मेष लग्न वालों के लिए कौन है मारक ग्रह और उसका जीवन पर प्रभाव
ज्योतिष शास्त्र में ग्रह और नक्षत्रों का प्रभाव व्यक्ति के जीवन की सभी गतिविधियों पर पड़ता है. इन सभी के अच्छे और खराब फल व्यक्ति पर पड़ते हैं. कुछ न कुछ उतार-चढाव हर व्यक्ति के जीवन को अवश्य
चंद्रमा के उच्च अवस्था और नीच अवस्था के पीछे के ज्योतिषिय कारण
चंद्रमा की गति व्यक्ति के मन और स्वभाव को बहुत अधिक प्रभावित करती है. ज्योतिष अनुसार चंद्रमा का असर तेजी से पड़ता है. चंद्रमा किसी भी राशि में लगभग सवा दो दिन तक रहता है उसके पश्चात आगे बढ़ जाता है.
विद्यारंभ संस्कार मुहूर्त : कब करें बच्चे की शिक्षा का आरंभ :
शिक्षा शुरू करने में मुहूर्त का महत्व शिक्षा का प्रभाव जीवन के विकास और निर्माण दोनों में सहायक होता है. भारतीय संस्कृति में शिक्षा का महत्व प्राचीन काल से ही रहा है. वेदों में वर्णित सूक्तों द्वारा
राहु और चंद्रमा का कुंडली के सभी भावों में प्रभाव
जन्म कुंडली में राहु और चंद्रमा की युति अत्यधिक संवेदनशील और मानसिक स्वभाव के कारण कुछ अत्यधिक भावनात्मक स्थितियों को जन्म दे सकती है. राहु एक शक्तिशाली छाया ग्रह है, और जब चंद्रमा के साथ जुड़ता है,
सूर्य और शनि युति : विरोध और संघर्ष का करना पड़ता है सामना
जब दो ग्रह एक ही राशि में होते हैं तो युति योग का निर्माण करते हैं, जिससे कुंडली पर इनका गहरा असर पड़ता है. यह संयोग अक्सर भाग्य पर अचानक होने वाले और अनिश्चित प्रभाव डालता है, जिससे आपकी कुंडली में
शादी से पहले कुंडली मिलान क्यों है जरूरी ?
शादी से पहले कुंडली मिलान करने के कारण जिनसे विवाह में नही आती बाधाएं ज्योतिष शास्त्र में एक व्यक्ति के जीवन के प्रत्येक पक्ष को समझने में मदद मिलती है. इसी में एक महत्वपूर्ण चीज विवाह भी है. विवाह
सूर्य और बृहस्पति का एक साथ होना बनाता है साधन संपन्न
सूर्य और बृहस्पति का योग शुभस्थ स्थिति का कारक माना गया है. यह दोनों ही ग्रह बुद्धि, ज्ञान और आत्मिक विकास के लिए उत्तम होते हैं. ज्योतिष के संदर्भ में सूर्य राजा है और वहीं सष्टि में जीवन के विकास
चिकित्सा ज्योतिष : सभी रोग और व्याधि को जान लेने का अचूक माध्यम
ज्योतिष की एक शाखा चिकित्सा शास्त्र से संबंधित होती है. चिकित्सा का संबंध केवल चरक एवं आयुर्वेद से ही जुड़ा नहीं है अपितु यह ज्योतिष में कई योगों से भी संबंधित रहा है. ज्योतिष में रोग बिमारी,
राहु आपकी कुंडली के हर भाव पर कैसा ड़ालता है अपना प्रभाव
राहु को ज्योतिष में एक छाया ग्रह का स्थान प्राप्त है. वैदिक ज्योतिष में इसका बहुत महत्वपूर्ण अर्थ है क्योंकि यह एक व्यक्ति के पिछले जन्मों की व्याख्या करता है. जीवन में जुनून और लक्ष्यों को दर्शाता
नाड़ी दोष क्या होता है और इसका प्रभाव जीवन पर कैसे पड़ता है
ज्योतिष शास्त्र विज्ञान पर आधारित शास्त्र होता है. इन्हीं पर आधारित होता है हमारे जीवन का सभी फल इसी में एक तथ्य नाड़ि ज्योतिष से जुड़ा है. नाड़ी दोष विशेष रुप से कुंडलियों के मिलान के समय पर अधिक
संतान जन्म से संबंधित महत्वपूर्ण ज्योतिष सूत्र
ज्योतिष शास्त्र से जानें संतान सुख में आईवीएफ और दत्तक संतान फल बच्चों की इच्छा एवं उनके सुख को पाना दंपत्ति का पहला अधिकार होता है. विवाह पश्चात संतान जन्म द्वारा ही जीवन के अगले चरण का आरंभ होता
केतु क्यों है मोक्ष का कारक ? जाने सभी 12 भावों में इसके होने का फल
वैदिक ज्योतिष में केतु को अलगाव, ज्ञान, रहस्य, ध्यान और सबसे महत्वपूर्ण वैराग्य के कारक के लिए माना जाता है. केतु कर्म का प्रतिनिधित्व करता है, यह हमारे पिछले जन्मों के कर्मों के फल को दर्शाता है.
जन्म कुंडली का आठवां भाव रहस्य स्थान जाने इससे जुड़ी हर बात
जन्म कुंडली का आठवां भाव रहस्यों का स्थान कुंडली के बारह भावों अपने आप में पूर्ण अस्तित्व को दर्शाते हैं. इन सभी भावों में एक भाव ऎसा भी है जो आयु मृत्य और रहस्य का घर होकर सभी आचार्यों के लिए एक