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सिंह राशिफल 2025 : अप्रत्याशित घटनाओं का समय

सिंह राशि सूर्य के स्वामित्व की राशि है ओर बेहद प्रभावशालि राशियों कि श्रेणी में स्थान पाती है. सिंह राशि वालोम के लिए वार्षिक राशिफल की स्थिति राशि स्वामी सूर्य की स्थिति के साथ साथ अन्य ग्रहोम के

मीन राशि में शनि : कर्क राशि पर शनि का प्रभाव 2025

कर्क राशि के लिए शनि सातवें भाव और आठवें भाव का स्वामी है. यह आपकी जन्म कुंडली में नवम भाव (भाग्य भाव) में प्रवेश करेगा. शनि को सभी 12 राशियों का चक्कर लगाने में लगभग 30 वर्ष लग जाते हैं. अब समय आ

करियर और आर्थिक लाभ का समय, वृषभ राशि के लिए राशिफल 2025

वृषभ वार्षिक राशिफल 2025 वृषभ राशि के लोगों के लिए 2025 राशिफल के अनुसार इस वर्ष अनुकूल परिणाम प्राप्त हो सकते हैं. आपका व्यावहारिक क्षेत्र में सफल होंगे. इस समय मानसिक रुप से कुछ बातें चिंता देंगे

शनि मीन राशि गोचर 2025: मिथुन राशिफल

शनि कुंडली में अठवें और नवम भाव का स्वामी है. 2025 में, यह मिथुन राशि के लिए दसवें भाव में गोचर करेगा, कुंडली का दसवां भाव कर्म भाव भी कहा जाता है और शनि दसवें भाव का कारक ग्रह भी है. इसलिए यह समय

हायर एजुकेशन के बारे में जानें अपनी कुंडली से

उच्च शिक्षा के क्षेत्र में आगे बढ़ने की इच्छा किसी छात्र के मन में बहुत अधिक देखने को मिल सकती है तो कई बार हम अपने करियर को बेहतर बनाए के लिए भी उच्च शिक्षा की ओर आगे बढ़ने की कोशिश करते हैं. आप

बुध का सिंह राशि में होना साहस और बौद्धिकता का बेहतर समय

ज्योतिष में बुध की स्थिति हमारे संचार, बुद्धि और अनुकूलन क्षमता के लिए बहुत विशेष होती है. संचार और मानसिक कौशल पर इसका बेहतरीन नियंत्रण होता है. बुध व्यक्ति के सोचने और काम करने की प्रवृत्ति को

कन्या लग्न के लिए सभी ग्रह दशा का प्रभाव

कन्या लग्न के प्रभाव से व्यक्ति में संघर्षों से लड़ने की क्षमता होती है. यह राशि पृथ्वी तत्व की राशि मानी जाती है इसलिए यह परिस्थिति से उबरने में सक्षम होती है. बुध इसके लग्न का स्वामी होता है. बुध

शुक्र का सिंह राशि प्रवेश, सभी राशियों को करेगा प्रभावित

शुक्र के सिंह राशि में प्रवेश के साथ ही कई तरह के बदलाव सभी को दिखाई देंगे. सिंह राशि में शुक्र का प्रवेश नई संभावनाओं को देने वाला होगा. जिस समय शुक्र सिंह राशि में गोचर करेगा उस समय एक प्रकार की

मंगल सिंह और शनि कुंभ राशि में मिलकर बनाएंगे समस्पतक योग

ज्योतिष शास्त्र कहता है कि मंगल और शनि के योग को अच्छा संकेत नहीं माना जाता है. इन दोनों का संयोग हर किसी के जीवन में कष्ट और संघर्ष लेकर आता है. मंगल ग्रह और शनि योग क अप्रभाव व्यक्ति की कुंडली के

राहु चंद्रमा का का युति फल, हेरफेर का समय

राहु के साथ चंद्रमा का प्रभाव विभिन्न फल प्रदान करने वाला होता है. इसका असर गहराई से पड़ता है. राहु एक पाप ग्रह है चंद्रमा एक शुभ ग्रह है. ग्रह के साथ का प्रभाव मिलकर कई तरह से अपना असर दिखाने वाला

गुरु का अष्टकवर्ग में निर्बल होने का फलकथन

अष्टकवर्ग में त्रिकोण शोधन एक महत्वपूर्ण शोधन होता है. यह ग्रह की स्थिति एवं उसकी क्षमता को दर्शाता है. अष्टकवर्ग के सिद्धांतों का सही प्रकार से उपयोग करने के बाद कुण्डली की विवेचना करने में ओर उसके

कुम्भ राशि में शुक्र का प्रवेश और इसका प्रभाव

कुम्भ राशि शनि देव की राशि है, कुम्भ राशि में जब भी किसी ग्रह का संपर्क होता है तो वह एक महत्वपूर्ण समय होता है. मनुष्य के जीवन में धन, ऐश्वर्य और सुखों की प्राप्ति के कारक रुप में शुक्र ग्रह को

सूर्य शुक्र का युति योग क्यों प्रभावित करता है प्रेम संबंधों को ?

ज्योतिष शास्त्र में इन दोनों ग्रहों का एक बेहतर स्थान है. सूर्य ग्रह क्रूर होकर भी शुभता को दर्शाते हैं वहीं शुक को भी शुभ ग्रह माना जाता है. पर जब बात आती है इन दोनों के एक साथ होने की तब इस शुभता

शुक्र के जन्म कुंडली में नीचस्थ होने का क्या कारण और इसका प्रभाव ?

अन्य ग्रहों की तरह शुक्र भी व्यक्ति के निजी जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. यह शुभ ग्रह प्रेम जीवन में सुख और आनंद प्रदान करने वाला है. शुक्र विवाह, प्रेम संबंधों और व्यभिचार का भी कारक है.

धनु संक्रांति 2024 : सूर्य के राशि प्रवेश का समय

धनु संक्रांति सूर्य का धनु राशि प्रवेश समय है. इस समय पर सूर्य वृश्चिक राशि से निकल कर धनु राशि में प्रवेश करते हैं और एक माह धनु राशि में गोचरस्थ होंगे. इस गोचरकाल के समय को खर मास के नाम से भी जाना

वक्री और मार्गी शनि का आपके जीवन पर कैसा होगा असर

शनि एक सबसे धीमी गति के ग्रह हैं. यह कर्मों के अनुरुप व्यक्ति को उसका फल प्रदान करते हैं इसलिए इन्हें न्यायकर्ता और दण्डनायक भी कहा जाता है. शनि का जीवन पर प्रभाव व्यक्ति को मानसिक, शारीरिक, आर्थिक

बुध का कुंभ राशि में गोचर क्यों होता है विशेष

कुंभ राशि में बुध ग्रह का होना बहुत सी विशेषताओं को लिए होता है. कुम्भ की विशेषताओं में बुद्धि, रचनात्मकता और परिवर्तन की इच्छा शक्ति शामिल होती है. कुम्भ राशि का दुनिया पर एक बड़ा प्रभाव पड़ता है.

कुंडली में अमावस्या दोष? भाग्य पर क्यों लगाता है अंकुश

ज्योतिष में कई तरह के योग ऎसे हैं जो जीवन में भाग्य के निर्माण के लिए बाधा का कार्य करने वाले होते हैं इन्ही में से एक अमावस्या दोष के रुप में जाना जाता है. इस दोष का प्रभाव व्यक्ति के भविष्य निर्माण

कुंभ राशि के लिए शनि साढ़ेसाती का प्रभाव

साढ़े साती से तात्पर्य साढ़े सात साल की अवधि से है जिसमें शनि तीन राशियों, चंद्र राशि, और एक राशि चंद्रमा से पहले और एक उसके बाद में चलता है. साढ़े साती तब शुरू होती है जब शनि जन्म चंद्र राशि से

मंगल ग्रह का सभी लग्नों पर असर और इससे मिलने वाले फल

ज्योतिष में कर्म की अवधारणा काफी गहराई से समाहित है. यह एक कठिन अवधारणा है लेकिन जब कुंडली में इसे देखते हैं, तो पाते हैं की ये जातक के कर्म एवं उससे मिलने वाले परिणामों का विशेष संबंध दर्शाती है.