Articles in Category vedic astrology
यव-वज्र-शकट योग - नभस योग
नभस योग की श्रेणी में यव नामक योग भी आता है. यव योग भी एक शुभ योगों के अंतर्गत स्थान पाता है. इस योग के प्रभाव का जातक के जीवन में मिला-जुला प्रभाव देखने को मिलता है. यव योग होने पर व्यक्ति की
सुनफा योग - चन्द्रादि योग | Sunapha Yoga - Chandradi Yoga | Sunapha Yoga Result | Durdhara Yoga | Anafa Yoga Results
सुनफा योग चन्द्र से बनने वाला योग है. चन्द्र से बनने वाले शुभ- अशुभ योगों में सुनफा योग को शामिल किया जाता है. चन्द से बनने वाले योग इसलिए भी विशेष माने गये है, क्योकि चन्द्र मन का कारक ग्रह है. और
एण्डलुसाइट । Andalusite Gemstone | Andalusite - Metaphysical Properties
इस उपरत्न में कई रंग दिखाई देते हैं. यह एक पारभासी उपरत्न है. यह उपरत्न प्राकृतिक रुप में काले तथा भूरे रंग में पाया जाता है. इसकी आभा इसकी काट पर निर्भर करती है. इसकी काट और छाँट के आधार पर यह एक ओर
फिल्मों में सफलता प्राप्ति के योग । Yogas For Achieving Success In Films
फिल्मी जगत में कई कलाकार सफल होते हैं तो कई असफलता का मुँह देखते हैं. जो सफल होते हैं उनकी सफलता का रहस्य उनकी कुण्डली में छिपा होता है. ज्योतिष के संसार में ज्योतिषियों ने फिल्मों में सफलता प्राप्त
जानिए आषाढ़ माह के महत्व के बारे में विस्तार
आषाढ माह हिन्दू पंचाग का चौथा माह है. यह बरसात के आगमन और मौसम के बदलाव को दिखाता है. आषाढ़ मास भगवान विष्णु को बहुत प्रिय रहा है. इस माह में अनेकों उत्सव एवं पर्वों का आयोजन होता है. इस माह में भी
केतु क्या है । The Ketu in Astrology । Know Your Planets- Ketu | Which Gemstone wear for Ketu.
केतु को धड, पूंछ और घटता हुआ पर्व कहा गया है. केतु की कारक वस्तुओं में मोक्ष, उन्माद, कारावास, विदेशी भूमि में जमीन, कोढ, दासता, आत्महत्या, नाना, दादी, आंखें, तुनकमिजाज, तुच्छ और जहरीली भाषा, लम्बा
जानिए, पूर्णिमा तिथि और इसके महत्व के बारे में विस्तार से
पूर्णिमा तिथि जिसमें चंद्रमा पूर्णरुप में मौजूद होता है. पूर्णिमा तिथि को सौम्य और बलिष्ठ तिथि कहा जाता है. इस तिथि को ज्योतिष में विशेष बल महत्व दिया गया है. पूर्णिमा के दौरान चंद्रमा का बल अधिक
चित्रा नक्षत्र विशेषताएं | Characteristics of Chitra Nakshatra | How to find Chitra Nakshatra
चित्रा नक्षत्र में जन्म लेने वाले व्यक्ति मंगल ग्रह से प्रभावित होते है. इस नक्षत्र का स्वामी मंगल होने के कारण. 27 नक्षत्रों में से चित्रा नक्षत्र 14वां नक्षत्र है. किसी भी नक्षत्र पर उसके स्वामी और
12 माह आजीविका ज्योतिष से | Next 12 Months Career According to Astrology | Profession According to Vedic Astrology
एक वितीय वर्ष में आजीविका क्षेत्र में आने वाले उतार-चढावों को ज्योतिष के माध्यम से समझने के लिये हमें योग, दशा ओर गोचर की अंगूली पकड कर चलना पडेगा. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सभी योग केवल अपनी महादशा-
मोती का उपरत्न मूनस्टोन लाएगा जीवन में सुख और समृद्धि
मून स्टोन चन्द्रमा के रत्न मोती का मुख्य उपरत्न है. इस रत्न का उपयोग नव ग्रह में से एक चंद्रमा की शक्ति और सकारात्मकता को पाने के लिए किया जाता है. मून स्टोन आसानी से प्राप्त हो जाने वाला प्रभावशाली
जानिए, सप्तमी तिथि का महत्व और इसकी विशेषता
एक हिन्दू तिथि सूर्य के अपने 12 अंशों से आगे बढने पर तिथि बनती है. सप्तमी तिथि के स्वामी सूर्य देव है, तथा प्रत्येक पक्ष में एक सप्तमी तिथि होती है. सप्तमी तिथि को शुभ प्रदायक माना गया है. इस तिथि
मंगल ज्योतिष में । The Mars in Astrology । Know Your Planets Mars
मंगल को ज्योतिष शास्त्र में व्यक्ति के साहस, छोटे भाई-बहन, आन्तरिक बल, अचल सम्पति, रोग, शत्रुता, रक्त शल्य चिकित्सा, विज्ञान, तर्क, भूमि, अग्नि, रक्षा, सौतेली माता, तीव्र काम भावना, क्रोध, घृ्णा,
शुक्रवार व्रत विधि | Friday Vrat (Santoshi Mata Vrat Katha in Hindi) Friday Fast Story in Hindi - Shukrawar Vrata Katha - Aarti
वार व्रत करने का उद्देश्य नवग्रहों की शान्ति करना है, वार व्रत इसलिये भी श्रेष्ठ माना गया है. क्योकि यह व्रत सप्ताह में एक नियत दिन पर रखा जा सकता है. वार व्रत प्राय: जन्मकुण्डली में होने वाले ग्रह
माता वैभव लक्ष्मी व्रत विधि | Mata Vaibhav Lakshmi Vrat Method - Vaibhav Laxmi Fast - Vaibhav Lakshmi Pooja (Mantra) | Vaibhav Lakshmi Vratam
माता लक्ष्मी की कृ्पा पाने के लिये शुक्रवार के दिन माता वैभव लक्ष्मी का व्रत किया जाता है. शुक्रवार के दिन माता संतोषी का व्रत भी किया जाता है. दोनों व्रत एक ही दिनवार में किये जाते है. परन्तु दोनों
प्रश्न कुण्डली तथा जन्म कुण्डली में अंतर| Different Between Prashna Kundali And Janam Kundli
प्रश्न कुण्डली | Prashna Kundli (1) क्रियमाण कर्म को दर्शाती है. क्रियमाण कर्म वह हैं जो इस जीवन में किये गए हैं. (2) यह कुण्डली केवल एक विषय से संबंधित होती है. जन्म कुण्डली | Janam Kundali (1)
मण्डूक दशा की गणना | Calculation of Mandook Dasha
आपने पिछले अध्याय में पढा़ कि जब केन्द्र में राहु/केतु के अतिरिक्त चार या चार से अधिक ग्रह केन्द्र में स्थित हों तब मण्डूक दशा लगती है. इस दशा का क्रम निर्धारित करने के लिए यह देखा जाता है कि लग्न
जानिए, लालडी़ अथवा सूर्यमणि उपरत्न कौन धारण करे?
ऋग्वेद के प्रथम श्लोक में ही रत्नों के बारे में जिक्र किया गया है. इसके अतिरिक्त रत्नों के महत्व के बारे में अग्नि पुराण, देवी भागवद, महाभारत आदि कई पुराणों में लिखा गया है. कुण्डली के दोषों को दूर
ज्योतिष के इतिहास में भास्कराचार्य का योगदान
ज्योतिष की इतिहास की पृष्ठभूमि में वराहमिहिर और ब्रह्मागुप्त के बाद भास्कराचार्य के समान प्रभावशाली, सर्वगुणसम्पन्न दूसरा ज्योतिषशास्त्री नहीं हुआ है. इन्होने ज्योतिष की प्रारम्भिक शिक्षा अपने पिता
जानिए तृतीया तिथि का महत्व
| Tritiya Tithi | Tritiya Meaning | What is Tithi in Hindu Calender | How is Tithi Calculated तृतीया तिथि की स्वामिनी गौरी तिथि है. इस तिथि में जन्म लेने वाले व्यक्ति का माता गौरी की पूजा करना
अश्विनी नक्षत्र का महत्व और विशेषताएं
ज्योतिष शास्त्र में वर्णित 27 नक्षत्रों में से अश्विनी नक्षत्र पहला नक्षत्र है. इस नक्षत्र का स्वामी ग्रह केतु है. इस नक्षत्र को गण्डमूल नक्षत्रों की श्रेणी में रखा गया है. केतु एक रहस्यमयी ग्रह है.