शिव की उपासना | Worship of Lord Shiva | Importance of Belpatra | Procedure of Worship of Lord Shiva
सावन के माह में शिवभक्त अपनी श्रद्धा तथा भक्ति के अनुसार शिव की उपासना करते हैं. चारों ओर का वातावरण शिव भक्ति से ओत-प्रोत रहता है. सावन माह में शिव की भक्ति के महत्व का वर्णन ऋग्वेद में किया गया है. श्रावण मास के आरम्भ से ही पूजा का आरम्भ हो जाता है. इस माह में भगवान की पूजा करने में निम्न मंत्र जाप करने चाहिए.
1) "पंचाक्षरी मंत्र" का जाप करना चाहिए.
2) "ऊँ नम: शिवाय" मंत्र की प्रतिदिन एक माला करनी चाहिए.
3) महामृत्यंजय मंत्र की एक माला प्रतिदिन करनी चाहिए. इससे कष्टों से मुक्ति मिलती है.
इन मंत्रों के जाप से व्यक्ति रोग, भय, दुख आदि से मुक्ति पाता है. जातक दीर्घायु को पाता है. इन मंत्र जाप के साथ रुद्राभिषेक तथा अनुष्ठान आदि भी भक्तों द्वारा कराए जाते हैं. जिन व्यक्तियों के लिए सावन माह में प्रतिदिन शिव की पूजा-अर्चना करना संभव नहीं होता है उन्हें सावन माह के सभी सोमवार को पूजा अवश्य करनी चाहिए. इस पूजा का भी उतना ही फल प्राप्त होगा.
भगवान शिव की पूजा विधि | Procedure of Worship of Lord Shiva
सावन के माह में भगावन शंकर की पूजा उनके परिवार के सदस्यों सहित की जाती है. पूजा का आरम्भ भोलेनाथ के अभिषेक के साथ होता है. इस अभिषेक में जल, दूध, दही, शुद्ध घी, शहद, शक्कर या चीनी, गंगाजल तथा गन्ने के रसेआदि से स्नान कराया जाता है. अभिषेक कराने के बाद बेलपत्र, समीपत्र, कुशा तथा दूब आदि से शिवजी को प्रसन्न करते हैं. अंत में भांग, धतूरा तथा श्रीफल भोलेनाथ को भोग के रुप में चढा़या जाता है.
बेलपत्र का महत्व | Importance of Belpatra
शिवलिंग पर बेलपत्र तथा समीपत्र चढा़ने का वर्णन पुराणों में उपलब्ध है. बेलपत्र भोलेनाथ को प्रसन्न करने के शिवलिंग पर चढा़या जाता है. एक पौराणिक कथा के अनुसार 89 हजार ऋषियों ने भोलेनाथ को प्रसन्न करने का तरीका परम पिता ब्रह्मा जी से पूछा. ब्रह्मा जी ने बाताया कि भगवान शिव सौ कमल चढा़ने से जितने प्रसन्न होते हैं उतने ही वह एक नीलकमल चढा़ने से प्रसन्न हो जाते हैं.
इसी प्रकार एक हजार नील कमल के बराबर एक बेलपत्र होता है. एक हजार बेलपत्र के बराबर एक समीपत्र का महत्व होता है. इनके चढा़ने से भगवान शिव अति प्रसन्न होते हैं. शिव को प्रसन्न करने का सबसे सरल तरीका बेलपत्र है. बेलपत्र के पीछे भी एक पौराणिक कथा का महत्व है. इस कथा के अनुसार भील नाम का एक डाकू था. यह डाकू अपने परिवार का पालन-पोषण करने के लिए लोगों को लूटता था. एक बार सावन माह में यह डाकू राहगीरों को लूटने के उद्देश्य से जंगल में गया और एक वृक्ष पर चढ़कर बैठ गया. एक दिन-रात पूरा बीत जाने पर भी उसे कोई शिकार नहीं मिला.
जिस पेड़ पर वह डाकू छिपा था वह बेल का पेड़ था. रात-दिन पूरा बीतने पर वह परेशान होकर बेल के पत्ते तोड़कर नीचे फेंकने लगा. पेड़ के नीचे एक शिवलिंग था. जो पत्ते वह तोडकर फेंख रहा था वह अनजाने में शिवलिंग पर गिर रहे थे. लगातार बेल के पत्ते शिवलिंग पर गिरने से भगवान शिव प्रसन्न हुए और अचानक डाकू के सामने प्रकट हो गए और डाकू को वरदान माँगने को कहा. ैस दिन के बाद से बेलपत्र का महत्व और अधिक बढ़ गया.
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