रोग तथा रोगी से जुडे़ अन्य योग | Disease and Other Yogas Related to Patient
* प्रश्न के समय यदि लग्नेश तथा षष्ठेश का इत्थशाल होता है तब बीमारी लम्बी अवधि तक बनी रहती है.
* षष्ठेश तथा लग्नेश में राशि परिवर्तन हो तो भी बीमारी लम्बी अवधि तक बनी रहती है.
* 2,7,12 भावों में पाप ग्रह हों तो रोगी की मृत्यु हो जाएगी.
* 1,7,8 भाव में पाप ग्रह हों तो भी रोगी की म्रत्यु हो जाती है.
* चन्द्रमा पर शुभ पराशरी दृष्टि है तो रोग प्रश्न में यह रोगी के लिए अच्छा है.
* प्रश्न के समय मंगल तथा बृहस्पति लग्न में हैं तो चिकित्सक नहीं बदलेगा.
* चतुर्थ भाव में वक्री ग्रह है तो इलाज का असर नहीं होगा.
* प्रश्न के समय यदि चन्द्रमा का वक्री ग्रह से इत्थशाल है तो इलाज से लाभ नहीं होगा.
* यदि शनि तथा लग्न की डिग्री आस-पास है तो या एक ही अंश पर शनि तथा लग्न के अंश स्थित है तब दवाई का असर नहीं होगा.
* रोग प्रश्न में लग्नेश तथा राहु की निकटतम डिग्री है तो यह रोगी के लिए नकारात्मक है.
* रोग प्रश्न में यदि लग्न कुण्डली का चतुर्थ भाव, नवाँश कुण्डली का लग्न बनता है तो उसी से संबंधित बीमारी जातक को हो सकती है.
* रोग प्रश्न में जो भी ग्रह लग्न के अंशों के पास स्थित होगा उस ग्रह से संबंधित बीमारी हो सकती है.
* प्रश्न कुण्डली में लग्नेश तथा चन्द्रमा का इत्थशाल होगा तो रोग से मुक्ति हो जाएगी.
* रोग प्रश्न में छठे भाव का स्वामी यदि अस्त हो जाता है तो बीमारी लम्बी चलती है.
* रोग प्रश्न में लग्नेश, सप्तम भाव के स्वामी से 4,6 या 7वें भाव में स्थित है तो रोगी की मृत्यु हो जाती है.
रोग निवारण तथा रोगी की मृत्यु के योग | Yogas of Disease Treatment and Death of the Patient
(1) प्रश्न कुण्डली में चर लग्न या द्वि-स्वभाव लग्न में चन्द्रमा और लग्नेश हो और इन पर शुभ ग्रहों की दृष्टि हो तब रोगी शीघ्र ठीक हो जाता है.
(2) प्रश्न कुण्डली में स्व-राशि का चन्द्रमा चतुर्थ भाव में स्थित हो अथवा दशम भाव में स्थित हो.
(3) प्रश्न कुण्डली में स्वराशि में स्थित चन्द्रमा शुभ ग्रह से इत्थशाल करता हो.
(4) प्रश्न कुण्डली में लग्नेश शुभ ग्रह हो और वह बली होकर केन्द्र, त्रिकोण अथवा उच्च राशि में स्थित हो.
(5) प्रश्न कुण्डली में कोई भी एक ग्रह शुभ होकर बली अवस्था में लग्न में स्थित हो.
(6) प्रश्न कुण्डली में शुभ ग्रह 3, 6, 9 तथा 11 वें भाव में स्थित हो.
उपरोक्त प्रश्न कुण्डली के आधार पर आपको कुछ योग रोगी के ठीक ना होने के भी बताए जा रहें हैं. वह योग निम्नलिखित हैं.
रोगी की मृत्यु के योग | Yogas of Patient’s Death
(1) प्रश्न कुण्डली में छठे तथा सप्तम भाव में पाप ग्रह हों और चन्द्रमा छठे या आठवें भाव में स्थित हो तो रोगी की मृत्यु हो जाती है.
(2) प्रश्न कुण्डली के लग्न तथा आरुढ़ लग्न में पाप ग्रह हों तो भी रोगी मृत्यु को पाता है.
(3) प्रश्न कुण्डली में चन्द्रमा छठे या मृत्यु स्थान में हो और 6,7 तथा 8वें भाव में पाप ग्रह हों तो रोगी की मृत्यु हो जाती है.
(4) आरुढ़ लग्न से अष्टम में चन्द्रमा स्थित हो और चन्द्रमा पर पाप ग्रह की दृष्टि हो तो रोगी शीघ्र मर जाता है.
(5 प्रश्न कुण्डली में लग्न से चौथे तथा 8वें भाव में पाप ग्रह स्थित हों या तृतीय भाव में गुरु और शुक्र हों तो एक सप्ताह के भीतर रोगी की मृत्यु हो जाती है.
(6) प्रश्न कुण्डली में तृतीय भाव में सूर्य और दशम भाव में पाप ग्रह हों तो 10 दिन में रोगी मर जाता है.
(7) प्रश्न कुण्डली के द्वितीय भाव में पाप ग्रह हों और लग्नेश तथा चन्द्रमा छठे या 8वें स्थान में हों तो 14 दिन में रोगी की मृत्यु हो जाती है.
(8) प्रश्न कुण्डली के दशम भाव में पाप ग्रह हों तो 3 दिन में रोगी की मृ्त्यु हो जाती है.
प्रश्न कुण्डली में चन्द्रमा उपचय भावों(3,6,10 व 11 भाव) में स्थित हो. केन्द्र, त्रिकोण तथा अष्टम भाव में शुभ ग्रह हों तो रोगी शीघ्र ठीक होता है. इस योग के विपरीत यदि प्रश्न लग्न पाप ग्रह से दृश्ट हो तब स्वस्थ व्यक्ति भी रोगी हो जाता है. यदि लग्न में स्थित पूर्ण चन्द्रमा पर गुरु की दृष्टि हो अथवा गुरु और शुक्र प्रश्न कुण्डली के केन्द्र में स्थित हो तो रोगी अच्छा हो जाता है.
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