शुक्र 2025 में कब और किस दिन होंगे अस्त : जानें शुक्र तारा के अस्त होने का प्रभाव
वेदिक ज्योतिष में ग्रहों के हर स्थिति का विश्लेषण करने के लिए कई महत्वपूर्ण पक्ष हैं। ग्रहों का अस्त होना विशेष रुप से शुक्र का अस्त होना भी गोचर के विषय में महत्वपूर्ण घटना है। शुक्र जब अस्त होता है तो उसके प्रभाव के चलते कई कार्यों को रोकने का विधान होता है।
अपनी जन्म कुंडली से जानें शुक्र का प्रभाव
शुक्र के अस्त होने पर मांगलिक शादी विवाह से जुड़े कार्यों को करने की मनाही होती है क्योंकि शुक्र इन्हीं का विशेष कारक भी है तो ऎसे में जब शुक्र अस्त होता है जिसे तारा अस्त भी कहा जाता है तो उस दौरान सगाई विवाह के कामों को भी रोक दिया जाता है। आइए जानते हैं कि शुक्र का अस्त होना क्या है और 2025 में ये कब-कब अस्त होने वाला है तथा इसके विभिन्न पहलुओं को विस्तार से समझते हैं।
शुक्र तारा अस्त समय 2025
शुक्र तारा अस्त प्रारम्भ
मार्च 19, 2025, बुधवार को 07:00 पी एम बजे
शुक्र तारा अस्त समाप्त
मार्च 23, 2025, रविवार को 05:52 ए एम बजे
अस्त अवधि = 4 दिन
शुक्र तारा अस्त प्रारम्भ
दिसम्बर 11, 2025, बृहस्पतिवार को 06:35 ए एम बजे
शुक्र तारा अस्त समाप्त
फरवरी 1, 2026, रविवार को 06:27 पी एम बजे
अस्त अवधि = 53 दिन
शुक्र कब होता है अस्त
ग्रहों का अस्त होना, यानी जब कोई ग्रह सूर्य के पास होता है और सूर्य के प्रकाश में समाहित हो जाता है। इस स्थिति को "ग्रह का अस्त होना" भी कहा जाता है। शुक्र का सूर्य के पास होना, यानी अस्त होना, एक विशिष्ट स्थिति है, जिसका व्यक्ति के जीवन पर कई प्रकार का प्रभाव पड़ सकता है।
शुक्र को वेदिक ज्योतिष में "सुख, समृद्धि, प्रेम, विवाह, कला, भौतिक सुख-साधन, विलासिता" के कारक ग्रह के रूप में जाना जाता है। यह ग्रह व्यक्ति के जीवन में समर्पण, प्रेम और सौंदर्य की भावनाओं से जुड़ा होता है। इसके अलावा, शुक्र ग्रह व्यक्ति की संतान सुख, विवाह, और संबंधों पर भी प्रभाव डालता है।
जब किसी ग्रह की स्थिति सूर्य के पास होती है, तो उसे अस्त कहा जाता है। सूर्य का प्रकाश ग्रह को पूरी तरह से ढक लेता है और उस ग्रह की ऊर्जा कमजोर हो जाती है। इसे "सूर्य की अग्नि में जलना" भी कहा जाता है। जब कोई ग्रह सूर्य के करीब होता है, तो वह अपनी सामान्य कार्यशक्ति को प्रभावी ढंग से व्यक्त नहीं कर पाता, और उसका प्रभाव व्यक्ति के जीवन में कम या उल्टा होता है।
शुक्र का अस्त होना
जब शुक्र सूर्य के नजदीक होता है, तो यह अपनी सौम्यता, कला, प्रेम और संबंधों के कारकों को पूरी तरह से व्यक्त नहीं कर पाता। सूर्य का तेज़ और उच्च ऊर्जा शुक्र को घेर लेता है, जिसके कारण शुक्र की सौम्यता, रचनात्मकता, और प्रेम संबंधी गुण मंद पड़ सकते हैं। इस स्थिति का असर व्यक्ति की भावनाओं, संबंधों, और भौतिक सुख-साधनों पर भी पड़ सकता है।
शुक्र का अस्त होने के प्रभाव
संबंधों पर प्रभाव: शुक्र का अस्त होना व्यक्ति के संबंधों में तनाव का कारण बन सकता है। प्यार और रिश्तों में गहरी समझ और सामंजस्य की कमी हो सकती है। व्यक्ति में दूसरों के प्रति आकर्षण की भावना भी कमजोर हो सकती है। विवाह और साझेदारी में असंतोष, धोखा, या समझ की कमी हो सकती है।
आर्थिक और भौतिक सुख-साधन: शुक्र भौतिक सुख-साधनों और समृद्धि का कारक है। जब शुक्र अस्त होता है, तो व्यक्ति की भौतिक सुख-साधनों के प्रति इच्छाएँ पूरी नहीं हो पातीं। खर्च बढ़ सकते हैं, और भौतिक सुखों की प्राप्ति में विघ्न आ सकता है। इसे आर्थिक नुकसान और जीवन में विलासिता के अभाव के रूप में देखा जा सकता है।
भावनाओं और मानसिक स्थिति पर प्रभाव: शुक्र के अस्त होने से व्यक्ति की भावनाओं में अस्थिरता और भ्रम की स्थिति पैदा हो सकती है। प्रेम संबंधों में विघ्न आ सकता है, और व्यक्ति को अपनी भावनाओं को व्यक्त करने में कठिनाई हो सकती है। कभी-कभी व्यक्ति खुद को एकाकी महसूस कर सकता है, और उसे प्रेम संबंधों में निराशा हो सकती है।
व्यावसायिक जीवन पर प्रभाव: शुक्र का अस्त होना व्यवसाय में भी समस्याएं उत्पन्न कर सकता है। यदि व्यक्ति किसी कला या सौंदर्य उद्योग में काम करता है, तो उसकी क्रिएटिविटी प्रभावित हो सकती है। साथ ही, व्यवसाय में निवेश और आर्थिक निर्णय लेने में कठिनाई हो सकती है। शुक्र का कमजोर प्रभाव व्यक्ति को व्यावसायिक निर्णयों में भ्रमित कर सकता है, जिससे नुकसान भी हो सकता है।
शुक्र कितने डिग्री पर अस्त कब होता है?
शुक्र का अस्त होना सूर्य के करीब होने पर होता है। यह स्थिति तब होती है जब शुक्र सूर्य के करीब 8 डिग्री तक पहुंचता है। इस स्थिति में शुक्र अपनी पूरी ताकत से कार्य नहीं कर पाता। इस कारण व्यक्ति के जीवन में प्रेम, सौंदर्य, समृद्धि, और रचनात्मकता से संबंधित विषयों पर असर पड़ता है।
शुक्र के अस्त प्रभाव से बचाव का उपाय
व्यक्ति शुक्र की स्थिति को सुधारने के लिए कुछ विशेष उपाय कर सकता है, जैसे कि शांति मंत्रों का जप करना या शुक्र के पूजन का आयोजन करना। शुक्र को प्रसन्न करने के लिए शुक्रवार के दिन उपवास या विशेष पूजा करने से लाभ हो सकता है।
प्रेम और रिश्तों में सुख बनाए रखने के लिए व्यक्ति को अपनी भावनाओं को नियंत्रित रखना चाहिए और समर्पण की भावना विकसित करनी चाहिए। अगर संबंधों में किसी प्रकार की समस्याएं हैं, तो आपसी बातचीत और समझदारी से समाधान ढूंढने की कोशिश करनी चाहिए।
स्वास्थ्य और मानसिक शांति के लिए व्यक्ति को आत्म-देखभाल पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। सही आहार, व्यायाम और ध्यान से व्यक्ति मानसिक और शारीरिक रूप से स्वस्थ रह सकता है।
शुक्र का अस्त होना व्यक्ति के जीवन में कई तरह के प्रभाव डाल सकता है, खासतौर पर रिश्तों, आर्थिक स्थिति, और रचनात्मकता पर। यह प्रभाव व्यक्ति के जन्म कुंडली और अन्य ग्रहों की स्थिति के आधार पर अलग-अलग हो सकते हैं। सही ज्योतिषीय मार्गदर्शन और उपायों के माध्यम से इस स्थिति के प्रभाव को कम किया जा सकता है और जीवन को संतुलित किया जा सकता है।