विवाद प्रश्न के सामान्य नियम | The General Rules of Conflict Question

विवाद प्रश्न में लग्न से प्रश्नकर्त्ता को देखा जाएगा या प्रश्न पूछने वाला जिस व्यक्ति का समर्थन कर रहा हो उसका विश्लेषण लग्न से किया जाएगा. आधुनिक समय में विवाद के प्रश्न भी काफी पूछे जाते हैं. इसमें घरेलू विवाद, व्यवसायिक विवाद तथा अन्य क्षेत्रों से जुडे़ सभी प्रकार के विवाद आते हैं. विवाद प्रश्न में लग्न से पृच्छक तथा सप्तम भाव से विरोधी का विश्लेषण किया जाता है. विवाद प्रश्न में पाप ग्रह का लग्न या सप्तम में स्थित होना उस पक्ष को जीत हासिल करा सकता है. आइए विवाद के प्रश्न से संबंधित सामान्य नियमों का आंकलन करें. 

* लग्न अथवा सप्तम भाव में से जिस भाव में पाप ग्रह स्थित होगें वह पक्ष जीत जाएगा. यदि दोनों ही भावों में पाप ग्रह स्थित है तो दोनों पक्षों के मध्य हिंसा तथा मार-पीट हो सकती है. प्रश्न के समय एक बात का विशेष ध्यान रखना होगा कि राहु को पाप ग्रह माना गया है, केतु को पाप ग्रह नहीं माना गया है.  

* यदि विवाद प्रश्न के लग्न में शुभ ग्रह स्थित हो तब प्रश्नकर्त्ता दब जाएगा. यदि लग्न में पाप ग्रह तथा शुभ ग्रह की लग्न पर दृष्टि होगी तब प्रश्नकर्त्ता जीत जाएगा. विवाद प्रश्न में शुभ ग्रह की लग्न पर दृष्टि अच्छी मानी गई है. यदि यही स्थिति सप्तम भाव पर लागू हो रही हो तब विरोधी पक्ष की जीत होगी. लग्न पर पाप दृष्टि हो तो विरोधी पक्ष जीतेगा. 

* विवाद प्रश्न में लग्नेश तथा सप्तमेश में जो बली है उस पक्ष की जीत होगी. प्रश्न के समय यदि चन्द्र या लग्न या दोनों ही बली हैं तो पृच्छक की जीत होगी. 

* विवाद प्रश्न में जिस भाव से संबंधित प्रश्न है यदि वह भाव बली है तो प्रश्नकर्त्ता की जीत होगी. 

* यदि लग्न से 3,6,11 भावों में पाप ग्रह है तो पूछने वाला लम्बी लडा़ई के लिए भी तैयार है. 

* यदि सप्तम भाव से 3,6,11 भाव में पाप ग्रह है तो विरोधी जीत जाएगा. 

* यदि 12वें भाव में पाप ग्रह हैं तो वह विवाद से संबंधित अनावश्यक खर्चा कराएंगें. 

* प्रश्न के समय यदि 8वें भाव का स्वामी दूसरे भाव में स्थित है तब विरोधी का धन पृच्छक के पास आ जाएगा. आठवाँ भाव सप्तम से दूसरा भाव है. आठवें भाव से विरोधी का धन देखा जाता है. 

* सप्तमेश यदि लग्न में स्थित है तो विरोधी पृच्छक के पास समझौते के लिए आएगा. 

* लग्नेश सप्तम भाव में स्थित हो तो प्रश्नकर्त्ता विरोधी के पास जाएगा. 

* द्वित्तीय भाव का स्वामी अष्टम भाव में स्थित हो तो पूछनेवाले का धन विरोधी के पास जाता है. 

* द्वित्तीय भाव बली और शुभ दृष्ट है तो भी पृच्छक को फायदा होता है. 

* अष्टम भाव बली और शुभ दृष्ट है तो विरोधी को लाभ होगा. 

* प्रश्न के समय लग्नेश तथा सप्तमेश में राशि परिवर्तन होगा तो दोनों पक्ष समझौता कर सकते हैं. 

* प्रश्न के समय कोर्ट-केस के बारे में यह तय करना है कि यह कितने समय और चलेगा तो लग्न के अंशों को देखा जाएगा कि कितने नवाँश बीत चुके हैं. जितने नवाँश बीत चुके होगें उतने वर्ष केस के भी बीत चुके होगें और जितने नवाँश बचे होगें उतने वर्ष अथवा माह अथवा दिन अभी विवाद और चलेगा. 

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