रक्षा बंधन का पर्व एक ऎसा पर्व है, जो धर्म और वर्ग के भेद से परे भाई - बहन के स्नेह की अट्टू डोर का प्रतीक है.
बहन द्वारा भाई को राखी बांधने से दोनों के मध्य विश्वास और प्रेम का जो रिश्ता बनता है.
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भारत त्यौहारों का देश है. दिवाली, होली, दशहरा और रक्षा बंधन यहां के कुछ एक प्रसिद्ध त्यौहार है. इन
त्यौहारों में रक्षा बंधन विशेष रुप से प्रसिद्ध है. रक्षा-बंधन का पर्व भारत के कुछ स्थानों में रक्षासूत्र के नाम
से भी जाना जाता है. प्राचीन काल से यह पर्व भाई-बहन के निश्चल स्नेह के प्रतीक के रुप में माना जाता है.
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श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन रक्षा बंधन का पर्व मनाया जाता है. शास्त्रों के अनुसार भद्रा समय में श्रावणी और
फाल्गुणी दोनों ही नक्षत्र समय अवधि में राखी बांधने का कार्य करना वर्जित होता है. एक मान्यता के अनुसार श्रावण
नक्षत्र में राजा ओर फाल्गुणी नक्षत्र में राखी बांधने से प्रजा का अनिष्ट होता है. यही कारण है कि राखी बांधते समय,
समय की शुभता का विशेष रुप से ध्यान रखा जाता है.राखी बांधने में विशेष रुप से भद्रा का विचार किया जाता है.
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रक्षा बंधन का पर्व श्रवण मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है. वर्ष 2024 में यह 30 अगस्त, के दिन मनाया
जायेगा. यह पर्व भाई -बहन के रिश्तों की अटूट डोर का प्रतीक है. भारतीय परम्पराओं का यह एक
ऎसा पर्व है, जो केवल भाई बहन के स्नेह के साथ साथ हर सामाजिक संबन्ध को मजबूत करता है.
इस लिये यह पर्व भाईबहन को आपस में जोडने के साथ साथ सांस्कृतिक, सामाजिक महत्व भी रखता है.
रक्षा बंधन के महत्व को समझने के लिये सबसे पहले इसके अर्थ को समझना होगा. "रक्षाबंधन "
रक्षा+बंधन दो शब्दों से मिलकर बना है. अर्थात एक ऎसा बंधन जो रक्षा का वचन लें. इस दिन भाई अपनी बहन
को उसकी दायित्वों का वचन अपने ऊपर लेते है.