रक्षा बंधन कैसे मनाये? (How to celebrate Rakshabandhan)

rakshaband_how श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन रक्षा बंधन का पर्व मनाया जाता है. शास्त्रों के अनुसार भद्रा समय में श्रावणी और फाल्गुनी दोनों ही नक्षत्र समय अवधि में राखी बांधने का कार्य करना वर्जित होता है. एक मान्यता के अनुसार श्रावण नक्षत्र में राजा ओर फाल्गुणी नक्षत्र में राखी बांधने से प्रजा का अनिष्ट होता है. यही कारण है कि राखी बांधते समय, समय की शुभता का विशेष रुप से ध्यान रखा जाता है.


इस वर्ष 2024 में रक्षा बंधन का त्यौहार 30 अगस्त, को मनाया जाएगा. पूर्णिमा तिथि का आरम्भ 30 अगस्त 2024 को प्रात:काल 10:59 से आरंभ होगा और 31 अगस्त 07:06 तक व्याप्त रहेगी. 30 अगस्त को भद्रा 10:59 से 21:03 तक रहेगी. रक्षा बंधन समय भद्रा विचार किया जाता है. भद्रा मुक्त समय होने से रक्षाबंधन संपन्न करना अनुकूल होता है. यदि भद्रा काल में यह कार्य करना हो तो भद्रा मुख को त्यागकर भद्रा पुच्छ काल में इसे करना चाहिए. 30 अगस्त को रक्षाबंधन का भद्रा मुक्त समय रात्रि का रहेगा. जो रात 21:03 से होगा. भद्रा पुच्छ का समय 17:32 से 18:32 तक,भद्रा मुख का समय 18:32 से 20:13 तक होगा.


राखी बांधने की तैयारी कैसे करें? (Preparation for tying Rakhi Thread)

इस दिन बहने प्रात: काल में स्नानादि से निवृत होकर, कई प्रकार के पकवान बनाती है. इसके बाद पूजा की थाली सजाई जाती है. थाली में राखी के साथ कुमकुम रोली, हल्दी, चावल, दीपक, अगरबती, मिठाई और कुछ पैसे भी रखे जाते है. भाई को बिठाने के लिये उपयुक्त स्थान का चयन किया जाता है.


सर्वप्रथम अपने ईष्ट देव की पूजा की जाती है. भाई को चयनित स्थान पर बिठाया जाता है. इसके बाद कुमकुम हल्दी से भाई का टीका करके चावल का टीका लगाया जाता है. अक्षत सिर पर छिडके जाते है. आरती उतारी जाती है. और भाई की दाहिनी कलाई पर राखी बांधी जाती है. पैसे उसके सिर से उतारकर, गरीबों में बांट दिये जाते है.


रक्षा बंधन पर बहने अपने भाईयों को राखी बांधने के बाद ही भोजन ग्रहण करती है. भारत के अन्य त्यौहारों की तरह इस त्यौहार पर भी उपहार और पकवान अपना विशेष महत्व रखते है. इस पर्व पर भोजन प्राय: दोपहर के बाद ही किया जाता है. इस समय बहने अपने दुर दूर के ससुरालों से लम्बा सफर तय कर, राखी बांधने के लिये अपने मायके अपने भाईयों के पास आती है. इस दिन पुरोहित तथा आचार्य सुबह सुबह अपने यजमानों के घर पहुंचकर उन्हें राखी बांधते है, और बदले में धन वस्त्र, दक्षिणा स्वीकार करते है.


रक्षा बंधन मंत्र (Mantra Of Rakshabandhan)

राखी बांधते समय बहनें निम्न मंत्र का उच्चारण करें, इससे भाईयों की आयु में वृ्द्धि होती है.


येन बद्धो बलि राजा, दानवेन्द्रो महाबल: I तेन त्वांमनुबध्नामि, रक्षे मा चल मा चल II

राखी बांधते समय उपरोक्त मंत्र का उच्चारण करना विशेष शुभ माना जाता है. इस मंत्र में कहा गया है कि जिस रक्षा डोर से महान शक्तिशाली दानव के राजा बलि को बांधा गया था, उसी रक्षाबंधन से में तुम्हें बांधती हूं यह डोर तुम्हारी रक्षा करेगी.


रक्षा बंधन पर ध्यान देने योग्य बातें (Things to be kept in mind During Raksha Bandhan)

रक्षा बंधन का पर्व जिस व्यक्ति को मनाना है, उसे उस दिन प्रात: काल में स्नान आदि कार्यों से निवृ्त होकर, शुद्ध वस्त्र धारण करने चाहिए. इसके बाद अपने इष्ट देव की पूजा करने के बाद राखी की भी पूजा करें साथ ही पितृरों को याद करें व अपने बडों का आशिर्वाद ग्रहण करें.


राखी के रुप में किसी रंगीन सूत की डोर को लिया जा सकता है. डोरी रेशम की भी हो सकती है. डोरी में सुवर्ण, केसर, चन्दन, अक्षत और दूर्वा रख कर इसकी पूजा करें, पूजा करते समय जितने भी समय के लिये पूजा की जा रही है, उतने समय में व्यक्ति को अपना ध्यान केवल पूजा में ही लगाना चाहिए.


डोरी की पूजा करने के बाद, अपने भाई को तिलक करते हुए, रोली, कुमकुम से टीका करें, तथा टीका करते हुए अक्षत का प्रयोग करना चाहिए. राखी दांहिने हाथ में बांधी जाती है.


रक्षा बंधन के दिन बनाये जाने वाले पकवान (Recieps in Rakshabandhan)

भारत में कोई भी पर्व बिना पकवानों के सम्पन्न नहीं होता है. प्रत्येक पर्व के लिये कुछ खास पकवान बनाये जाते है. जैसे रक्षा बंधन पर विशेष रुप से घेवर, शकरपारे, नमकपारे आदि बनाये जाते है. श्रावण मास के मुख्य मिष्ठान के रुप में घेवर को प्रयोग किया जाता है.


यह मिष्ठान पूरे उतरी भारत में माह भर खाया जाता है. इसके अतिरिक्त इस दिन एक घुघनी नामक व्यंजन बनाया जाता है, इसे पूरी और दही के साथ खाया जाता है. हलवा, खीर और पूरी भी इस पर्व के प्रसिद्ध पकवान है.