बसन्त पंचमी का पर्व माघ मास में शुक्ल पक्ष की पंचमी के दिन मनाया जाता है. इस वर्ष
यह पर्व 26 जनवरी , 2024 में मनाया जायेगा.बसन्त पंचमी के दिन भगवान श्रीविष्णु,
श्री कृष्ण-राधा व शिक्षा की देवी माता सरस्वती की पूजा पीले फूल, गुलाल, अर्ध्य, धूप, दीप,
आदि द्वारा की जाती है.
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सरस्वती वाणी एवं ज्ञान की देवी है. ज्ञान को संसार में सभी चीजों से श्रेष्ठ कहा गया
है. इस आधार पर देवी सरस्वती सभी से श्रेष्ठ हैं. इस आधार पर देवी सरस्वती सभी
से श्रेष्ठ हैं. कहा जाता है कि जहां सरस्वती का वास होता है वहां लक्ष्मी एवं काली माता
भी विराजमान रहती हैं.
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वसन्त पंचमी पर्व वर्ष 2024 में 26 जनवरी, के दिन में मनाया
जायेगा. इस तिथि में चन्द्र मास माघ और शुक्ल पक्ष रहेगा. पंचमी
तिथि के दिन भारत के उतर प्रदेश में भगवान श्री कृष्ण की जन्म
स्थली मथुरा में ऋषि दूर्वासा के मंदिर में
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हिन्दु कैलेण्डर के अनुसार प्रत्येक वर्ष माघ मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी को वसंत पंचमी
के रुप में मनाया जाता है. भारत में छ: ऋतुओं को मुख्य रुप से मनाया जाता है.
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बसंत ऋतु के आते ही सर्दी की ठिठुरन कम होने लगती है. कम्बलों एवं रजाई में दुबके हुए
लोगों के शरीर में नई उर्जा का संचार होता है. पशु-पंक्षियों एवं पेड़-पौधों में भी
नई जान आ जाती है.
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माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि के दिन सरस्वती पूजा करने का विशेष मह्त्व है.
ज्योतिष शास्त्र की दृष्टि से देखे तो कुण्डली का पंचम भाव शिक्षा भाव कहलाता है.
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मकर संक्रान्ति के दिन सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण होता है जिसकी खुशी में लोग मकर
संक्रान्ति का त्यौहार मनाते हैं. इसी प्रकार बसंत पंचमी के दिन बसंत के स्वागत में
जन समुदाय उत्सव मनाता है.