बसंत पंचमी खान-पान (Basant Panchami Food)

basant_khana मकर संक्रान्ति के दिन सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण होता है जिसकी खुशी में लोग मकर संक्रान्ति का त्यौहार मनाते हैं. इसी प्रकार बसंत पंचमी के दिन बसंत के स्वागत में जन समुदाय उत्सव मनाता है. बसंत पंचमी वेदों की अधिष्ठात्री देवी सरस्वती का जन्म दिवस भी है. सरस्वती ज्ञान एवं वाणी की भी देवी हैं जो तीन महादेवियों में से एक हैं. इनका जन्म दिवस होने के कारण भी बसंत पंचमी का महत्व बढ़ जाता है.


बसंत पंचमी के दिन प्रेम के देवता कामदेव अपनी पत्नी रति के साथ धरती पर आते हैं. प्रेम इस सृष्टि का आधार है. प्रेम के इस देवता के स्वागत में भी बसंत पंचमी का त्यौहार मनाया जाता है. बात हो जब त्यौहार की तो कोई भी त्यौहार बिना खान-पान के अधूरा होता है. अच्छे भोजन से त्यौहार का महत्व बढ़ जाता है या यूं कह लीजिए कि अच्छा भोजन घर में बने तब ही त्यौहार का अनुभव भी होता है. भारत एक विशाल राष्ट्र है इसकी संस्कृति भी काफी समृद्ध है जिसकी झलक उत्सवों एवं त्यौहारों के मौके पर देखने को मिलता है.


बसंत पंचमी में बंगाल का खान-पान (Basant Panchami and Food of Bengal)

बंगाल के लोग दुर्गा माता के प्रति श्रद्धा एवं विश्वास रखते हैं. माता सरस्वती को दुर्गा का ही सौम्य एवं सात्विक रूप मानकर उनकी पूजा करते हैं. बंगल में बसंत पंचमी को श्री पंचमी के नाम से भी जाना जाता है. बंगाल के लोग शिक्षा को बहुत अधिक महत्व देते हैं अत: सरस्वती पूजा इनके लिए खास मायने भी रखता है. इस दिन सभी शिक्षण संस्थानों में सरस्वती माता की पूजा होती है. लोग अपने-अपने घरों में भी सरस्वती माता की पूजा करते हैं.


बंगालवास मीठे के शौकीन होते हैं. बसंत पंचमी के दिन यहां के लोग मीठा खाना पसंद करते हैं. चावल में केसर, मेवा एवं चीनी मिलाकर उसे पकाते हैं. पुलाव की तरह का मीठा चावल इस दिन आमतौर पर लोगों के घरों में बनता है. बूंदिया एवं लड्डू माता को प्रसाद रूप में चढ़ाया जाता है. यह प्रसाद लोग एक दूसरे के भेंट भी करते हैं तथा स्वयं भी खाते हैं.


बसंत पंचमी में बिहार का खान-पान (Basant Panchami Recipes of Bihar)

बिहार में बंगाल की तरह ही बसंत पंचमी के दिन सरस्वती पूजा की धूम रहती है. घर-घर में माता सरस्वती की पूजा होती है. गलियों, चौराहों एवं शिक्षण संस्थानों में सरस्वती माता की पूजा का अयोजन किया जाता है. इस अवसर पर बिहार के लोग माता सरस्वती को खीर, मालपुए का भोग लगाते हैं. माता को पीले एवं केसरिया रंग का बूंदिया अर्पित करते हैं. बसंत पंचमी के दिन मीठा खाने की परम्परा है. लोग मालपुए, खीर एवं बूंदिया खाते हैं.


बसंत पंचमी में झारखंड का खान-पान (Food and Dishes of Jharkand for Vasant Panchami)

झारखंड में भोले बाबा का मनोकामना शिवलिंग स्थापित है जिसे बाबा वैद्यनाथ के नाम से जाना जाता है. बसंत पंचमी के दिन देवघर में भोले नाथ का तिलकोत्सव मनाया जाता है. इस उत्सव की धूम से पूरा झारखंड उत्साहित रहता है. इस दिन लोग सरस्वती माता के साथ ही साथ भगवान शिव की भी पूजा करते हैं. भगवान शंकर को दूध से श्रद्धालु स्नान कराते हैं. उन्हें तरह-तरह के मिष्टानों का भोग भी लगाया जाता है. इसमें पीले रंग की मिठाईयां भी शामिल होती हैं. लोग इस दिन मीठा भोजन करते हैं.


बसंत पंचमी में झारखंड का खान-पान (Basant Panchami Recipes of Uttar Pradesh)

भगवान श्री कृष्ण और राधा जी प्रेम की प्रतिमूर्ति हैं. शिव के द्वारा भष्म होने के बाद श्री कृष्ण के पुत्र प्रद्युम्न के रूप में कामदेव का पुनर्जन्म हुआ था. कृष्ण की कृपा से ही कामदेव को पुन: शरीर मिला. इसका आभार व्यक्त करने के लिए भक्तगण बसंत पंचमी के दिन कामदेव के साथ-साथ भगवान श्री कृष्ण की पूजा करते हैं.


भगवान श्री कृष्ण का वस्त्र पीताम्बर है. उन्हें पीला रंग प्रिय है. भगवान श्री कृष्ण की जन्मभूमि मथुरा सहित वृंदावन में बसंत पंचमी के दिन कृष्ण भगवान की विशेष पूजा अर्चना की जाती है. इस मौके पर भगवान को विभिन्न प्रकार के मिष्टानों का भोग लगाया जाता है. जो भी मिठाईयां इस अवसर पर भगवान को अर्पित किया जाता है उसका रंग पीला होता है. उत्तर प्रदेश में इस अवसर पर लोग पीले रंग की मिठाईयां एवं पीले रंग का मीठा चावल खाते हैं.


बसंत पंचमी में पंजाब का खान-पान (Punjabi Recipes for Basant Panchami)

देश के विभिन्न भागों की तरह पंजाब में भी बसंत पंचमी के दिन उत्सव मनाया जाता है. यहां के लोग इस मौके पर कई खेल प्रतियोगिता आयोजित करते हैं. पंजाब में बसंत पंचमी के दिन पतंबाजी की प्रतियोगिता भी होती है. पंजाब में इन दिन मीठा चावल खाने का रिवाज है. यह चावल पीले रंग का होता है. पंजाबी लोग अपना प्रिय भोजन मक्के की रोटी और सरसों का साग भी इस दिन खाते हैं.


कुल मिलाकर भारत में बंसत पंचमी के दिन केसरिया एवं पीले रंग का खाना खाने की परम्परा है. यह रंग ओज, उर्जा, सात्विक्ता एवं बलिदान का प्रतीक है. पीले रंग का भोजन बसंत पंचमी के दिन करने का तात्पर्य है कि हमारे शरीर में उर्जा की वृद्धि हो, हम सात्विक बनें और स्वार्थ की भावना से उठकर राष्ट्रहीत में बलिदान हेतु सदैव तैयार रहें.