सौभाग्य सुंदरी व्रत सुहागिन का त्यौहार रहा है यह व्रत सौभाग्य की कामना व संतान सुख की प्राप्ति हेतु किया जाता है. यह व्रत सौभाग्यवती स्त्रियों के लिए अखण्ड सौभाग्य का वरदान होता है और उन्हें संतान का सुख देना वाला होता है. इस व्रत को करने से विवाहित स्त्रियों के सौभाग्य में वृद्धि होती है. दांपत्य दोष, विवाह न होना या देर होना तथा मंगली दोष को दूर करने वाला होता है.
सौभाग्य सुंदरी व्रत स्त्रियों के लिए मंगलकारी होता है. इसी दिन माता सती ने अपनी कठोर साधना और तपस्या द्वरा अभगवान शिव को पाने का संकल्प किया था जिसके फलस्वरूप भगवान शिव उन्हें पति रूप में प्राप्त होते हैं. इसी प्रकार अपने पुर्नजन्म पार्वती रुप में भी उन्होंने पुन: शिव को पति रूप में पाने के लिए घोर साधना कि कठिन परीक्षा को सफलता से पूर्ण कर लेने पर ही प्रभु ने उन्हें पुन: वरण किया और शिव-पार्वती का विवाह संपन्न हुआ इसलिए माँ पार्वती की भांति स्वयं के लिए उत्तम वर का चयन करने हेतु सौभाग्य सुंदरी व्रत की पौराणिक महत्ता परिलक्षित होती है. इस व्रत के प्रभाव से अखंड सौभाग्यवती होने का आशिर्वाद प्राप्त होता है.
सौभाग्य सुंदरी पूजा | Saubhagya Sundari Puja
सौभाग्य सुंदरी पूजन में माता गौरी और शिव भंगवान की पूजा कि जाती है साथ ही उनके समस्त परिवार का पूजन होता है. पूजन सामग्री में फूलों की माला, फल, भोग के लिए लड्डू, पान, सुपारी, इलायची, लोंग तथा सोलह श्रंगार की वस्तुएं, जिन्में लाल साडी़, चूडियां, बिंदी, कुमकुम, मेंहदी, आलता, पायल रखते हैं इसके अतिरिक्त सूखे मेवे, सात प्रकार के अनाज रखे जाते हैं. व्रत का आरंभ करने वाली महिला प्रात:काल उठकर समस्त दैनिक क्रियाओं से निवृत होकर का संकल्प सहित प्रारम्भ करती हैं.
भगवान शिव और माता पार्वती की मूर्ति या फोटो को लाल रंग के कपडे से लिपेट कर, लकडी की चौकी पर रखा जाता है. इसके बाद एक दीया भगवान के सम्मुख प्रज्ज्वलीत किया जाता है. सर्वप्रथम श्री गणेश जी का पूजन किया जाता है. पूजन में श्री गणेश पर जल, रोली, मौली, चन्दन, सिन्दूर, सुपारी, लोंग, पान,चावल, फूल, इलायची, बेलपत्र, फल, मेवा और दक्षिणा चढाते हैं.
इसके पश्चात नौ ग्रहों की पूजा की जाती है. अब समस्त शिव परिवार का पूजन होता है देवी के सम्मुख सभी सौभाग्य की वस्तुएं अर्पण कि जाती हैं. देवी की प्रतिमा को जल, दूध, दही से स्नान करा, वस्त्र आदि पहनाकर रोली, चन्दन, सिन्दुर, मेंहन्दी लगाते है. श्रंगार की सोलह वस्तुओं से माता को सजाया जाता हैं. फिर मेवे, सुपारी, लौग, मेंहदी, चूडियां चढाते है.पूजा संपन्न होने के उपरांत ब्राह्माण को दान व दक्षिणा दी जाती है.
सौभाग्य सुंदरी महत्व | Rituals To Worship For Saubhagya Sundari Fast
इस दिन महिलाएं मनोनुकूल पति और पुत्र प्राप्ति के लिए इस व्रत को करती हैं. महिलाएं इस दिन तिल मिश्रित जल से शिव-पार्वती को स्नान करा कर यथोचित वस्त्र-स्वर्णाभूषण आदि से पूजा करते हुए मंत्र जाप करती हैं. व माँ से प्रार्थना की जाति है कि हे माता आप मेरे पापों का नाश करें मुझे सौभाग्य प्रदान करें और मुझे सर्वसिद्धियां प्रदान करें. व्रत व्यक्ति के सुख- सौभाग्य में वृद्धि करता है. सौभाग्य से जुडे होने के कारण इस व्रत को विवाहित महिलाएं और नवविवाहित महिलाएं करती है.
इस उपवास को करने का उद्धेश्य अपने पति व संतान के लम्बे व सुखी जीवन की कामना करना है.जिन महिलाओं की कुण्डली में वैवाहिक सुख में कमी या विवाह के बाद अलगाव जैसे अशुभ योग बन रहे हों, उन महिलाओं को भी यह व्रत विशेष रुप से करना चाहिए. इस व्रत के विषय में यह मान्यता है, कि यह उपवास नियम अनुसार किया जायें तो वैवाहिक सुख को बढाता है, तथा दांम्पत्य जीवन को सुखमय बनाये रखने में सहयोग करता है.