महागौरी अष्टमी पूजन 2024

दुर्गापूजा के आठवें दिन महागौरी की पूजा अर्चना की जाती है. इस वर्ष 09 मार्च 2024 को अष्टमी तिथि रहेगी. महागौरी आदी शक्ति हैं इनके तेज से संपूर्ण सृष्टि प्रकाश-मान है इनकी शक्ति अमोघ फलदायिनी है. महागौरी  की चार भुजाएं हैं उनकी दायीं भुजा अभय मुद्रा में हैं और नीचे वाली भुजा में त्रिशूल शोभता है. बायीं भुजा में डमरू डम डम बज रही है और नीचे वाली भुजा से देवी गौरी भक्तों की प्रार्थना सुनकर वरदान देती हैं.

या देवी सर्वभू‍तेषु माँ गौरी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

महागौरी पौराणिक महत्व | Historical Significance of Worshiping Mahagauri

दुर्गा सप्तशती में शुभ निशुम्भ से पराजित होकर गंगा के तट पर जिस देवी की प्रार्थना देवतागण कर रहे थे वह महागौरी हैं. देवी गौरी के अंश से ही कौशिकी का जन्म हुआ जिसने शुम्भ निशुम्भ के प्रकोप से देवताओं को मुक्त कराया. यह देवी गौरी शिव की पत्नी हैं यही शिवा और शाम्भवी के नाम से भी पूजित होती हैं.

एक कथा अनुसार भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए देवी ने कठोर तपस्या की थी जिससे इनका शरीर काला पड़ जाता है. देवी की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान इन्हें स्वीकार करते हैं और शिव जी इनके शरीर को गंगा-जल से धोते हैं तब देवी विद्युत के समान अत्यंत कांतिमान गौर वर्ण की हो जाती हैं, पार्वती जी का रंग अत्यंत ओजपूर्ण होता है, उनकी छटा चांदनी के सामन श्वेत और कुन्द के फूल के समान धवल दिखाई पड़ती है, उनके वस्त्र और आभूषण से प्रसन्न होकर देवी उमा को गौर वर्ण का वरदान देते हैं तथा तभी से इनका नाम गौरी पड़ा.

महागौरी पूजन | Mahagauri Puja

नवरात्रे के दसों दिन कुवारी कन्या भोजन कराने का विधान है परंतु अष्टमी के दिन का विशेष महत्व है. इस दिन महिलाएं अपने सुहाग के लिए देवी मां को चुनरी भेंट करती हैं. देवी गौरी  की पूजा का विधान भी पूर्ववत है अर्थात जिस प्रकार सप्तमी तिथि तक आपने मां की पूजा की है उसी प्रकार अष्टमी के दिन भी देवी की पंचोपचार सहित पूजा करें. इस दिन कुमारी कन्याओं का पूजन किया जाता है. कन्या या कंजक पूजन में सामर्थ्य के अनुसार इन कन्याओं को भोजन के लिए आमंत्रित करते हैं. एक से दस वर्ष तक की कन्याओं का पूजन किया जाता है. इससे अधिक उम्र की कन्याओं को देवी पूजन में वर्जित माना गया है. कन्या पूजन में सर्वप्रथम कन्याओं के पैर धुलाकर उन्हें आसन पर एक पंक्ति में बिठाते हैं. मंत्र द्वारा कन्याओं का पंचोपचार पूजन करते हैं.

विधिवत कुंकुम से तिलक करने के उपरांत उनकी कलाईयों पर कलावा बांधा जाता है. इसके पश्चात उन्हें हलवा, पूरी तथा रुचि के अनुसार भोजन कराते हैं. पूजा करने के पश्चात जब कन्याएं भोजन ग्रहण कर लें तो उनसे आशीर्वाद प्राप्त करें तथा यथासामर्थ्य कोई भी भेंट तथा दक्षिणा दें कर विदा करें. इस प्रकार श्रद्धा पूर्वक अष्टमी पूजन करने से भक्तों समस्त इच्छाएं पूर्ण होती हैं.

This entry was posted in Fast, Festivals, Hindu Gods, Hindu Maas, Hindu Rituals, Puja and Rituals and tagged , , . Bookmark the permalink.

One Response to महागौरी अष्टमी पूजन 2024

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *