श्री गणपति मंत्रोचारण एवं पूजन | Shri Ganpati Mantra ucharan and Pujan | Shri Ganesh 108 Names
श्री गणपति ध्यान तथा प्रणाम | Shri Ganpati Dhyaan and Pranama
ऋग्वेद में लिखा है “न ऋते त्वम क्रियते किं चनारे” अर्थात गणेश भगवान बिना कोई भी कार्य प्रारंभ नहीं होता, आप ही वैदिक देवता हैं आप के उच्चारण से ही वेद पाठ प्रारंभ होता है, वैदिक ऋचाओं में इनका विशेष अस्तित्व रहा है पुराणों में ब्रह्मा, विष्णु एवं शिव द्वारा इनकी पूजा किए जाने का तक उल्लेख प्राप्त होता है. इनके आहवान के लिए इन मंत्रों का जाप करना चाहिए.
विघ्नेश्वराय वरदाय सुरप्रियाय,
लम्बोदराय सकलाय जगत् हिताय ।
नागाननाय श्रुतियज्ञभूषिताय,
गौरीसुताय गणनाथ नमो नमस्ते ॥
ॐ भूर्भुवः स्वः गणपते !
इहागच्छ इहातिष्ठ सुप्रतिष्ठो भव
मम पूजा गृहाण !
ॐ गणानान्त्वा गणपति (गुँ) हवामहे
प्रियाणान्त्वा प्रियपति (गुँ) हवामहे
निधिनान्त्वा निधिपति (गुँ) हवामहे
गणेशाष्टक | Ganeshashtak
जीवन में आने वाली किसी भी प्रकार की कठिनाईयों एवं समस्याओं से मुक्ति पाने हेतु और समस्त कामनाओं की सिद्धि के लिए गणेशाष्टक का पाठ करना उत्तम मान अगया है. यह पाठ मन को तृप्त एवं शांत करता है और सुख की अनुभूति प्रदान करने में सक्षम होता है.
गणेश अर्थ | Meaning of Ganesha
गणेश शब्द तीन शब्दों की युति अर्थात ग, ण एवं ईश से मिलकर बना है. ग शब्द ज्ञान को दर्शाता है, ण शब्द निर्वाण को दर्शाता है तथा ईश स्वामी के लिए संबोधित होता है. इस प्रकार इनका संपूर्ण मिलन ब्रह्मा, परमात्मा, आत्मा को परमत्त्व के रुप में अभिव्यक्त करता है.
श्रीगणेशाय नम: ।।
सर्वे ऊच्चु: । यतोऽनंतशक्तेरनंताश्च जीव यतो निर्गुणादप्रमेया गुणस्ते ।
यतो भाति सर्वं त्रिधा भेदभिन्नं सदा तं गणेश नमामो भजाम: ।।१।।
यतश्चाविरासीज्जगत्सर्वमेतत्तथाब्जासनो विश्वगो विश्वगोप्ता ।
तथेद्रादयो देवसंघा मनुष्या: सदा तं गणेश नमामो भजाम: ।।२।।
यतो वह्निभानू भवो भूर्जलं च यत: सागराश्चंद्रमा व्योम वायु: ।
यत: स्थावरा जंगमा वृक्षसंघा: सदा तं गणेश नमामो भजाम: ।।३।।
यतो दानवा: किन्नरा यक्षसंघा: यतश्चारणा वारणा: श्वापदाश्च ।
यत: पक्षिकीटा यतो वीरूधश्च सदा तं गणेशं नमामं भजाम: ।।४।।
यतो बुद्धिरज्ञाननाशो मुमुक्षोर्यत: संपदो भक्तसंतोषिका: स्यु: ।
यतो विघ्ननाशो यत: कार्यासिद्धि: सदा तं गणेशं नमामो भजाम: ।।५।।
यत: पुत्रसंपद्दतो वांछितार्थो यतोऽभक्तविघ्नस्तथाऽनेकरूपा: ।
यत: शोकमोहौ यत: काम एव सदा तं गणेश नमामो भजाम: ।।६।।
यतोऽनंतशक्ति: स शेषो वभूव धराधारणेऽनेकरूपे च शक्ता: ।
यतोऽनेकधा स्वर्गलोका हि नाना सदा तं गणेशं नमामो भजम: ।।७।।
यतो वेदवाचो विकुंठा मनोभि: सदा नेति नेतीति यत्तो गृणन्ति ।
परब्रह्मरूपं चिदानंदभूतं सदा तं गणेश नमामो भजाम: ।।८।।
श्री गणेश स्त्रोत | Shri Ganesha Stotra
यह गणेश स्त्रोत समस्त कार्यों की पूर्ति हेतु किया जाता है. यदि आपको जीवन का कोई कार्य पूर्ण नहीं हो पा रहा हौ या आपको अपने कार्य में परेशानियों एवं बाधाओं का सामना करना पड़ रहा हो तो इस सर्व सिद्धिकारक श्री गणेश स्त्रोत का श्रवण एवं मनन करने से समस्त अभिलाषों की पूर्ति होती है एवं सभी बाधाएं समाप्त हो जाती है.
श्रीगणेश उवाच ।।
पुनरूचे गणाधीश: स्तोत्रमेतत्पठेन्नर: ।
त्रिसन्ध्यं त्रिदिनं तस्य सर्वकार्यं भविष्यति ।।९।।
यो जपेदष्टदिवसं श्लोकाष्टकमिदं शुभम् ।
अष्टवारं चतुर्थ्यां तु सोऽष्टसिद्धिरवाप्नुयात् ।।१०।।
य: पठेन्मासमात्रं तु दशवारं दिने दिने ।
स मोचयेद्वन्धगतं राजवध्यं न संशय: ।। ।।११।।
विद्याकामो लभेद्विद्यां पुत्रार्थी पुत्रमान्मुयात् ।
वांछितांल्लभते सर्वानेकविंशतिवारत: ।।१२।।
यो जपेत्परया भक्त्या गजाननपरो नर: ।
एवमुक्त्वा ततो देवश्चांतर्धानं गत: प्रभु: ।।
कल्याण कारक गणेश भगवान | Kalyana Karaka Lord Ganesha
धर्म ग्रथों में भी इस बात का उल्लेख प्राप्त होता है कि श्री गणेश भगवान समस्त प्रकार की इच्छाओं एवं कामनाओं की पूर्ति करने वाले होते हैं. गणपति जी की पूजा भक्त को सभी संकटों से मुक्त करने के लिए एक वरदान है.
आरोग्यं भास्करादिच्छेय मिछ्येध्द्ताशनात !
ईश्वराज्ज्ञान नमन्विच्छेन्मोक्षमिच्छे ज्जनार्द्नात !!
दुर्गादिभिस्तथा रक्षां भैर्वाद्यैस्तु दुर्गमं !
विद्यासारं सरस्वत्या लक्ष्म्या चैश्वर्यवर्धनम !!
पार्वत्या चैव शौभाग्यं शच्या कल्याण संतति !
स्कंदात प्रजाभिवृद्धिं च सर्वं चैव गणाधिपात !!
मूर्तिभेदा महेशस्य त एते यन्मयोदिता !!
वसो मम ।
आहमजानि गर्भधमात्वमजासि गर्भधम् ॥
भगवान गणेश के नाम निम्न है | Different names of Lord Ganesha
गणेशजी के अनेक नाम हैं लेकिन ये 12 नाम प्रमुख हैं-
सुमुख, एकदंत,कपिल, गजकर्णक, लंबोदर, विकट, विघ्न-नाश, विनायक, धूम्रकेतु, गणाध्यक्ष, भालचंद्र, गजानन. पूजन के प्रथम मे इन नामो से गणपति के अराधना का विधान है.
भगवान गणेश के 108 नाम | 108 names of Lord Ganesha
ॐ गणनाथाय नमः, ॐ गणाधिपाय नमः, ॐ एकदंष्ट्राय नमः, ॐ लम्बोदराय नमः, ॐ गजवक्त्राय नमः, ॐ मदोदराय नमः, ॐ वक्रतुण्डाय नमः, ॐ दुर्मुखाय नमः, ॐ बुद्धाय नमः, ॐ विघ्नराजाय नमः, ॐ गजाननाय नमः, ॐ भीमाय नमः, ॐ प्रमोदाय नमः, ॐ आनन्दाय नमः, ॐ सुरानन्दाय नमः, ॐ मदोत्कटाय नमः, ॐ हेरम्बाय नमः, ॐ शम्बराय नमः, ॐ शम्भवे नमः, ॐ लम्बकर्णाय नमः, ॐ महाबलाय नमः, ॐ नन्दनाय नमः, ॐ अलम्पटाय नमः, ॐ भीमाय नमः, ॐ मेघनादाय नमः, ॐ गणञ्जयाय नमः, ॐ विनायकाय नमः, ॐ विरूपाक्षाय नमः, ॐ धीराय नमः, ॐ शूराय नमः, ॐ वरप्रदाय नमः, ॐ महागणपतये नमः, ॐ बुद्धिप्रियाय नमः, ॐ क्षिप्रप्रसादनाय नमः, ॐ रुद्रप्रियाय नमः, ॐ गणाध्यक्षाय नमः, ॐ उमापुत्राय नमः, ॐ कुमारगुरवे नमः, ॐ धूम्रवर्णाय नमः, ॐ विकटाय नम:, ॐ विघ्ननायकाय नमः, ॐ सुमुखाय नमः, ॐ ईशानपुत्राय नमः, ॐ मूषकवाहनाय नमः, ॐ सिद्धिप्रदाय नमः, ॐ सिद्धिपतये नमः, ॐ सिद्ध्यै नमः, ॐ सिद्धिविनायकाय नमः, ॐ विघ्नाय नमः, ॐ तुङ्गभुजाय नमः, ॐ सिंहवाहनाय नमः, ॐ मोहिनीप्रियाय नमः, ॐ कटिंकटाय नमः, ॐ राजपुत्राय नमः, ॐ शकलाय नमः, ॐ सम्मिताय नमः, ॐ अमिताय नमः, ॐ कूश्माण्डगणसम्भूताय नमः, ॐ दुर्जयाय नमः, ॐ धूर्जयाय नमः, ॐ अजयाय नमः, ॐ भूपतये नमः, ॐ भुवनेशाय नमः, ॐ भूतानां पतये नमः, ॐ अव्ययाय नमः, ॐ विश्वकर्त्रे नमः, ॐ विश्वमुखाय नमः, ॐ विश्वरूपाय नमः, ॐ निधये नमः, ॐ घृणये नमः, ॐ कवये नमः, ॐ कवीनामृषभाय नमः, ॐ ब्रह्मण्याय नमः, ॐ ब्रह्मणस्पतये नमः, ॐ ज्येष्ठराजाय नमः, ॐ निधिपतये नमः, ॐ सूर्यमण्डलमध्यगाय नमः, ॐ कराहतिध्वस्तसिन्धुसलिलाय नमः, ॐ निधिप्रियपतिप्रियाय नमः, ॐ हिरण्मयपुरान्तस्थाय नमः, ॐ पूषदन्तभृते नमः, ॐ उमाङ्गकेळिकुतुकिने नमः, ॐ मुक्तिदाय नमः, ॐ कुलपालकाय नमः, ॐ किरीटिने नमः, ॐ कुण्डलिने नमः, ॐ सद्योजाताय नमः, ॐ स्वर्णभुजाय नमः, ॐ मेखलिन नमः, ॐ दुर्निमित्तहृते नमः, ॐ दुस्स्वप्नहृते नमः, ॐ प्रहसनाय नमः, ॐ गुणिने नमः, ॐ हारिणे नमः, ॐ वनमालिने नमः, ॐ मनोमयाय नमः, ॐ वैमुख्यहतदृश्यश्रियै नमः, ॐ पादाहत्याजितक्षितये नमः , ॐ नादप्रतिष्ठिताय नमः, ॐ सुरूपाय नमः, ॐ सर्वनेत्राधिवासाय नमः, ॐ वीरासनाश्रयाय नमः, ॐ पीताम्बराय नमः, ॐ खड्गधराय नमः, ॐ खण्डेन्दुकृतशेखराय नमः, ॐ चित्राङ्कश्यामदशनाय नमः, ॐ फालचन्द्राय नमः, ॐ चतुर्भुजाय नमः