योगिनी एकादशी व्रत 2025 | Yogini Ekadashi Fast 2025
आषाढ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी के दिन योगिनी एकादशी व्रत का विधान है. इस वर्ष 22 जून 2025 के दिन योगिनी एकादशी का व्रत किया जाना है. इस शुभ दिन के उपलक्ष्य पर विष्णु भगवान जी की पूजा उपासना की जाती है. इस एकादशी के दिन पीपल के पेड की पूजा करने का भी विशेष महत्व होता है.
योगिनी एकादशी व्रत पूजा विधि | Rituals for Yogini Ekadashi Fast Puja
इस एकादशी का महत्व तीनों लोकों में प्रसिद्ध है. इस व्रत को करने से समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं तथा मुक्ति प्राप्त होती है. योगिनी एकादशी व्रत करने से पहले की रात्रि में ही व्रत एक नियम शुरु हो जाते हैं. यह व्रत दशमी तिथि कि रात्रि से शुरु होकर द्वादशी तिथि के प्रात:काल में दान कार्यो के बाद समाप्त होता है.
एकादशी तिथि के दिन प्रात: स्नान आदि कार्यो के बाद, व्रत का संकल्प लिया जाता है. स्नान करने के लिये मिट्टी का प्रयोग करना शुभ रहता है. इसके अतिरिक्त स्नान के लिये तिल के लेप का प्रयोग भी किया जा सकता है. स्नान करने के बाद कुम्भ स्थापना की जाती है, कुम्भ के ऊपर श्री विष्णु जी कि प्रतिमा रख कर पूजा की जाती है. और धूप, दीप से पूजन किया जाता है. व्रत की रात्रि में जागरण करना चाहिए. दशमी तिथि की रात्रि से ही व्रती को तामसिक भोजन का त्याग कर देना चाहिए और इसके अतिरिक्त व्रत के दिन नमक युक्त भोजन भी नहीं किया जाता है. इसलिये दशमी तिथि की रात्रि में नमक का सेवन नहीं करना चाहिए.
योगिनी एकादशी व्रत कथा | Yogini Ekadashi Fast Katha
योगिनी एकादशी के संदर्भ में एक पौराणिक कथा जुडी़ हुई है जिसके अनुसार अलकापुरी नाम की नगरी में एक कुबेर नाम का राजा राज्य करता था. वह भगवान शिव का अनन्य भक्त था. वह भगवान शिव पर हमेशा ताजे फूल अर्पित किया करता था. जो माली उसके लिए पुष्प लाया करता था उसका नाम हेम था हेम माली अपनी पत्नि विशालाक्षी के साथ सुख पूर्वक जीवन व्यतीत कर रहा था. एक दिन हेममाली पूजा कार्य में न लग कर, अपनी स्त्री के साथ रमण करने लगा. जब राजा कुबेर को उसकी राह देखते -देखते दोपहर हो गई. तो उसने क्रोधपूर्वक अपने सेवकों को हेममाली का पता लगाने की आज्ञा दी.
जब सेवकों ने उसका पता लगा लिया, तो वह कुबेर के पास जाकर कहने लगे, हे राजन, वह माली अभी तक अपनी स्त्री के साथ रमण कर रहा है. सेवकों की बात सुनकर कुबेर ने हेममाली को बुलाने की आज्ञा दी. जब हेममाली राजा कुबेर के सम्मुख पहुंचा तो कुबेर ने उसे श्राप दिया कि तू स्त्री का वियोग भोगेगा मृत्यु लोक में जाकर कोढी हो जायेगा. कुबेर के श्राप से वह उसी क्षण स्वर्ग से पृथ्वी लोक पर आ गिरा और कोढी हो गया. स्त्री से बिछुड कर मृ्त्युलोक में आकर उसने महा दु;ख भोगे.
परन्तु शिव जी की भक्ति के प्रभाव से उनकी बुद्धि मलीन न हुइ और पिछले जन्म के कर्मों का स्मरण करते हुए. वह हिमालय पर्वत की तरफ चल दिया. वहां पर चलते -चलते उसे एक ऋषि मिले. ऋषि के आश्रम में पहुंच गया. हेममाली ने उन्हें प्रणाम किया और विनय पूर्वक उनसे प्रार्थना की हेममाली की व्यथा सुनकर ऋषि ने कहा की मैं तुम्हारे उद्वार में तुम्हारी सहायता करूंगा. तुम आषाढ मास के कृ्ष्ण पक्ष की योगिनी नामक एकादशी का विधि-पूर्वक व्रत करो इस व्रत को करने से तुम्हारे सभी पाप नष्ट हो जाएंगे. मुनि के वचनों के अनुसार हेममाली ने योगिनी एकादशी का व्रत किया. व्रत के प्रभाव से वह फिर से अपने पुराने रुप में वापस आ गया और अपनी स्त्री के साथ प्रसन्न पूर्वक रहने लगा.
योगिनी एकादशी व्रत का महत्व | Significance of Yogini Ekadashi
योगिनी व्रत की कथा श्रवण का फल अट्ठासी सहस्त्र ब्राह्मणों को भोजन कराने के समान माना गया है. इस व्रत से समस्त पाप दूर होते है. भगवान नारायण की मूर्ति को स्नान कराकर पुष्प, धूप, दीप से आरती उतारनी चाहिए तथा भोग लगाना चाहिए. इस दिन गरीब ब्राह्माणों को दान देना कल्याणकारी माना जाता है.