शनि अमावस्या | Shani Amavasya | Shani Amavasya 2024 - Shani Amavasya Vrat
शनि अमावस्या के दिन श्री शनिदेव की आराधना करने से समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होंती हैं. शनिवार के दिन अमावस्या तिथि होने पर शनि अमावस्या मनाई जानी है, यह पितृकार्येषु अमावस्या के रुप में भी जानी जाती है. कालसर्प योग, ढैय्या तथा साढ़ेसाती सहित शनि संबंधी अनेक बाधाओं से मुक्ति पाने का यह दुर्लभ समय होता है जब शनिवार के दिन अमावस्या का समय हो जिस कारण इसे शनि अमावस्या कहा जाता है.
श्री शनिदेव भाग्यविधाता हैं, यदि निश्छल भाव से शनिदेव का नाम लिया जाये तो व्यक्ति के सभी कष्टï दूर हो जाते हैं. श्री शनिदेव तो इस चराचर जगत में कर्मफल दाता हैं जो व्यक्ति के कर्म के आधार पर उसके भाग्य का फैसला करते हैं. इस दिन शनिदेव का पूजन सफलता प्राप्त करने एवं दुष्परिणामों से छुटकारा पाने हेतु बहुत उत्तम होता है. इस दिन शनि देव का पूजन सभी मनोकामनाएं पूरी करता है.
शनिश्चरी अमावस्या पर शनिदेव का विधिवत पूजन कर सभी लोग पर्याप्त लाभ उठा सकते हैं. शनि देव क्रूर नहीं अपितु कल्याणकारी हैं. इस दिन विशेष अनुष्ठान द्वारा पितृदोष और कालसर्प दोषों से मुक्ति पाई जा सकती है. इसके अलावा शनि का पूजन और तैलाभिषेक कर शनि की साढेसाती, ढैय्या और महादशा जनित संकट और आपदाओं से भी मुक्ति पाई जा सकती है,
शनि अमावस्या पितृदोष से मुक्ति दिलाए | Shani Amavasya and Pitradosha
अमावस्या का विशेष महत्व है और अमावस्या अगर शनिवार के दिन पड़े तो इसका महत्व और अधिक बढ़ जाता है. शनिदेव को अमावस्या अधिक प्रिय है. शनि देव की कृपा का पात्र बनने के लिए शनिश्चरी अमावस्या को सभी को विधिवत आराधना करनी चाहिए. भविष्यपुराण के अनुसार शनिश्चरी अमावस्या शनिदेव को अधिक प्रिय रहती है.
शनैश्चरी अमावस्या के दिन पितरों का श्राद्ध अवश्य करना चाहिए. जिन व्यक्तियों की कुण्डली में पितृदोष या जो भी कोई पितृ दोष की पिडा़ को भोग रहे होते हैं उन्हें इस दिन दान इत्यादि विशेष कर्म करने चाहिए. यदि पितरों का प्रकोप न हो तो भी इस दिन किया गया श्राद्ध आने वाले समय में मनुष्य को हर क्षेत्र में सफलता प्रदान करता है, क्योंकि शनिदेव की अनुकंपा से पितरों का उद्धार बडी सहजता से हो जाता है.
शनि अमावस्या पूजन | Shani Amavasya Puja
पवित्र नदी के जल से या नदी में स्नान कर शनि देव का आवाहन और दर्शन करना चाहिए. शनिदेव का पर नीले पुष्प, बेल पत्र, अक्षत अर्पण करें. शनिदेव को प्रसन्न करने हेतु शनि मंत्र “ॐ शं शनैश्चराय नम:”, अथवा “ॐ प्रां प्रीं प्रौं शं शनैश्चराय नम:” मंत्र का जाप करना चाहिए. इस दिन सरसों के तेल, उडद, काले तिल, कुलथी, गुड शनियंत्र और शनि संबंधी समस्त पूजन सामग्री को शनिदेव पर अर्पित करना चाहिए और शनि देव का तैलाभिषेक करना चाहिए. शनि अमावस्या के दिन शनि चालीसा, हनुमान चालीसा या बजरंग बाण का पाठ अवश्य करना चाहिए. जिनकी कुंडली या राशि पर शनि की साढ़ेसाती व ढैया का प्रभाव हो उन्हें शनि अमावस्या के दिन पर शनिदेव का विधिवत पूजन करना चाहिए.
शनि अमावस्या महत्व | Significance of Shani Amavasya
शनि अमावस्या ज्योतिषशास्त्र के अनुसार साढ़ेसाती एवं ढ़ैय्या के दौरान शनि व्यक्ति को अपना शुभाशुभ फल प्रदान करता है. शनि अमावस्या बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है. इस दिन शनि देव को प्रसन्न करके व्यक्ति शनि के कोप से अपना बचाव कर सकते हैं. पुराणों के अनुसार शनि अमावस्या के दिन शनि देव को प्रसन्न करना बहुत आसान होता है. शनि अमावस्या के दिन शनि दोष की शांति बहुत ही सरलता कर सकते हैं.
इस दिन महाराज दशरथ द्वारा लिखा गया शनि स्तोत्र का पाठ करके शनि की कोई भी वस्तु जैसे काला तिल, लोहे की वस्तु, काला चना, कंबल, नीला फूल दान करने से शनि साल भर कष्टों से बचाए रखते हैं. जो लोग इस दिन यात्रा में जा रहे हैं और उनके पास समय की कमी है वह सफर में शनि नवाक्षरी मंत्र अथवा “कोणस्थ: पिंगलो बभ्रु: कृष्णौ रौद्रोंतको यम:। सौरी: शनिश्चरो मंद:पिप्पलादेन संस्तुत:।।” मंत्र का जप करने का प्रयास करते हैं करें तो शनि देव की पूर्ण कृपा प्राप्त होती है.