हरितालिका तृतीया 2025 | Haritalika Tritiya 2025 | Haritalika Tritiya Vrat

शक्तिरूपा पार्वती की कृपा प्राप्त करने हेतु सौभाग्य वृद्धिदायक हरितालिका व्रत करने का विचार शास्त्रों में बताया गया है. इस वर्ष यह व्रत 26 अगस्त 2025 को किया जाना है. यह व्रत गौरी तृतीया व्रत के नाम से भी जाना जाता है. भाद्रपद की शुक्ल पक्ष की तृतीया के दिन इस व्रत को किया जाता है. शुक्ल तृतीया को किया जाने वाला यह व्रत शिव एवं देवी पार्वती की असीम कृपा प्राप्त करने के लिए किया जाता है. विभिन्न कष्टों से मुक्ति एवं जीवन में सफलता का मार्ग प्रशस्त करने के लिए इस व्रत की महिमा का बखान पूर्ण रुप से प्राप्त होता है.

हरितालिका व्रत का पौराणिक रुप | Haritalika Fast Story

ऋषियों का कथन है कि इस व्रत और उपवास के नियमों को अपनाने से सौभाग्य की प्राप्ति होती है स्त्रियों को दांपत्य सुख प्राप्त होता है. सौभाग्य गौरी तृतीया व्रत की महिमा के संबंध में शिवपुराण में उल्लेख प्राप्त होता है. जब संपूर्ण लोक दग्ध हो गया था, तब सभी प्राणियों का सौभाग्य एकत्र होकर बैकुंठलोक में विराजमान भगवान श्री विष्णु के वक्षस्थल में स्थित हो जाता है और जब पुनः सृष्टिरचना का समय आता है.

तब श्री ब्रह्माजी तथा श्री विष्णुजी में स्पर्धा जाग्रत होती है उस समय अत्यंत भयंकर ज्वाला प्रकट होती है. उस ज्वाला से भगवान श्री विष्णु का वक्षस्थल गर्म हो जाता है. जिससे श्री विष्णु के वक्षस्थल में स्थित सौभाग्य रुपी रस पृथ्वी पर गिरने लगता है परंतु उस रस को ब्रह्माजी के पुत्र दक्ष प्रजापति आकाश में ही रोककर पी लेते हैं .

दक्ष के सौभाग्यरस का पान करने के परिणाम स्वरुप उसके अंश के प्रभाव से उन्हें पुत्री रुप में सती की प्राप्ति होती है. माता सती के अनेकों नाम हैं जिसमें से गौरी भी उन्हीं का एक नाम है. शुक्लपक्ष की तृतीया तिथि को भगवान शंकर के साथ देवी सती विवाह हुआ था अतः इस दिन उत्तम सौभाग्य की कृपा प्राप्त करने के लिए यह व्रत किया जाता है. यह व्रत सभी मनोरथों को पूर्ण करने वाला है.

हरितालिका पूजा विधि | Haritalika Puja Vidhi

इस दिन प्रातःकाल स्नान आदि कर देवी सती के साथ-साथ भगवान शंकर का पूजन करना चाहिए. पंचगव्य तथा चंदनमिश्रित जल से देवी सती और भगवान चंद्रशेखर की प्रतिमा को स्नान कराना चाहिए. धूप, दीप, नैवेद्य तथा नाना प्रकार के फल अर्पित कर पूजा करनी चाहिए. मिट्टी की शिव-पार्वती की मूर्तियों का विधिवत पूजन करके हरितालिका तीज की कथा सुनी जाती है तथा गौरी माता को सुहाग की सामग्री अर्पण कि जाती है.

भाद्रपद शुक्ल तृतीया हरितालिका तीज के दिन पार्वती का पूजन एवं व्रत रखने से सुखों में वृद्धि होती है. विधिपूर्वक अनुष्ठान करके भक्ति के साथ पूजन करके व्रत की समाप्ति के समय दान करें. इस व्रत का जो स्त्री इस प्रकार उत्तम हरितालिका व्रत का अनुष्ठान करती है, उसकी कामनाएं पूर्ण होती हैं.  निष्काम भाव से इस व्रत को करने से नित्यपद की प्राप्ति होती है.

हरितालिका व्रत महत्व | Haritalika Fast Importance

यह व्रत स्त्रियों के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण होता है. मान्यता है कि इस व्रत का पालन माता पार्वती ने किया था जिसके फलस्वरूप उन्हें भगवान शिव पति के रूप में प्राप्त हुए थे. भाद्रपद मास के शुक्लपक्ष की तृतीया को उन्होने इस व्रत को आरंभ किया. निर्जल-निराहार व्रत करते हुए शिव मंत्र का जप करते हुए देवी पार्वती की भक्ति एवं दृढता से प्रसन्न होकर शिव ने उन्हें दर्शन दिए थे.

भाद्रपद शुक्ल तृतीया के दिन पार्वती की यह तपस्या पूर्ण होती है. तब से यह पावन तिथि स्त्रियों के लिए सौभाग्यदायिनी मानी जाती है. सुहागिन स्त्रियां पति की दीर्घायु और अखण्ड सौभाग्य की कामना के लिए इस दिन आस्था के साथ व्रत करती हैं. अविवाहित कन्याएं भी मनोवांछित वर की प्राप्ति हेतु इस व्रत को करती देखी जा सकती हैं.