शास्त्रों में ज्येष्ठ पूर्णिमा के दौरान किये जाने वाले बहुत से यम-नियम आदि का उल्लेख मिलता है, ज्येष्ठ पूर्णिमा के दौरान दिये गए नियमों का पालन करना चाहिए और उन नियमों का पालन करने से जीवन में आती है शुभता और मनोकामनाएं होती हैं पूर्ण.

ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को रंभा तृतीया के रुप में मनाया जाता है. इस वर्ष 29 मई 2025 के दिन रम्भा तृतीया का उत्सव मनाया जाएगा. इस दिन अप्सरा रम्भा की पूजा की जाती है. धर्म शास्त्रों में वेद पुराणों में अप्सराओं का वर्णन प्राप्त

वैशाख अमावस्या का पर्व वैशाख माह की अमावस्या तिथि के दिन मनाया जाता है. वैशाख अमावस्या के दिन पवित्र नदियों में स्नान करने व धर्म स्थलों पर जाकर दान-जप-तप इत्यादि करने का भी विशेष महत्व माना गया है. वैशाख अमावस्या पूजा मुहूर्त इस वर्ष

भारत में संक्रांति का पर्व बड़े ही उल्लास के साथ मनाया जाता है. किसी भी माह की सूर्य संक्रांति के दिन किया गया दान अन्य शुभ दिनों की तुलना में दस गुना पुण्य देता है. इसी श्रृंखला में आती है वैशाख माह की संक्रांति. इस वर्ष वैशाख संक्रांति

वैशाख पूर्णिमा का उत्सव रोशनी से भरपूर और हर दिशाओं को प्रकाशित करने वाला त्यौहार है. पूर्णिमा का समय "ॐ असतो मा सद्गमय। तमसो मा ज्योतिर्गमय। मृत्योर्मामृतं गमय ॥" इन पंक्तियों को चरितार्थ करने जैसा है. यह वह समय होता है जब अंधकार का पूर्ण

हिन्दू पंचांग अनुसार चैत्र माह की अमावस्या इस वर्ष 29 मार्च 2025 को मनाई जाएगी. चैत्र में आने वाली कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को उपवास एवं पितरों की शांति हेतु पूजा पाठ एवं दान इत्यादि किया जाता है. चैत्र अमावस्या पर धर्म स्थलों एवं

प्रदोष तिथि के दिन सोमवार का दिन पड़ने पर सोम प्रदोष व्रत कहलाता है. सोम प्रदोष व्रत के दिन प्रात:काल समय भगवान शिव का पूजन होता है. प्रत्येक माह की दोनों पक्षों की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत करने का विधान रहा है. ऎसे में हर एक प्रदोष

भगवान गणेश जी को प्रसन्न करने के लिये दमनक चतुर्थी का पर्व मनाया जाता है. चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को यह पर्व मनाया जाता है. इस वर्ष 01 अप्रैल 2025 को दमनक चतुर्थी का उत्सव मनाया जाएगा. भगवान श्री गणेश जी को दमनक नाम से भी पुकारा

चैत्र शुक्ल पक्ष को अनंग त्रयोदशी का उत्सव मनाया जाता है. इस वर्ष अनंग त्रयोदशी 10 अप्रैल 2025 में गुरुवार के दिन मनाया जाएगा. अनंग त्रयोदशी के दिन अनंग देव का पूजन होता है. अनंग का दूसरा नाम कामदेव है. इस दिन भगवान शिव का पूजन बहुत ही

नारद मुनि जी को ब्रह्मा जी का मानस पुत्र कहा जाता है. इस वर्ष नारद जयंती 13 मई 2025 को शनिवार के दिन मनाई जाएगी. इस नारद जयंती के उपलक्ष्य पर देश भर में कई तरह के धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है. नारद मुनी को सदैव भ्रमण शील होने

चैत्र माह की पूर्णिमा तिथि को चैत्र पूर्णिमा का पर्व मनाया जाता है. चैत्र की पूर्णिमा को चैती पूर्णिमा, चैत पूर्णिमा, चैती पूनम आदि नामों से पुकारा जाता है. इस वर्ष 12 अप्रैल 2025 को चैत्र पूर्णिमा का त्यौहार मनाया जाएगा. चैत्र पूर्णिमा का

भगवान बुध के जन्म दिवस को बुद्ध पूर्णिमा के रुप में मनाए जाने की परंपरा प्राचीन काल से ही चली आ रही है. इस वर्ष बुध पूर्णिमा 12 मई 2025 को सोमवार के दिन मनाई जाएगी. बुद्ध पूर्णिमा को “बुद्ध जयन्ती” और “वैसाक” और “वैशाख पूर्णिमा” नामों से

वैशाख मास में स्नान, पूजन विधि और जाने इसकी महिमा विस्तार से चैत्र माह की पूर्णिमा और हनुमान जयंती के साथ ही वैशाख माह के स्नान पर्व की परंपरा आरंभ हो जाती है. हिन्दू पंचाग अनुसार प्रत्येक माह किसी न किसी रुप में बहुत ही प्रभावशाली रुप से

अशोका अष्टमी का पर्व चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी को मनाया जाता है. इस वर्ष 2025 में 05 अप्रैल सोमवार के दिन अशोकाष्टमी के दिन अशोक वृक्ष की पूजा का विधान है. इस दिन अशोक वृक्ष एवं भगवान शिव का पूजन होता है. भगवान शिव को अशोक वृक्ष

चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मत्स्य जयंती के पर्व के रुप में मनाया जाता है. इस वर्ष 31 मार्च 2025 को सोमवार के दिन मत्स्य जयंती मनाई जाएगी. मत्स्य जयंती पर श्री विष्णु भगवान का अभिषेक होता है, पूजा अर्चना की जाती है और विभिन

प्रत्येक माह की पंचमी तिथि के देव नाग माने जाते हैं. ऎसे में प्रत्येक माह में आने वाली पंचमी तिथि का संबंध किसी न किसी नाग से होता है. इस लिए पंचमी तिथि के दिन नाग देव के पूजन का विधान रहा है. हिन्दू पंचांग अनुसार चैत्र माह में आने वाली

हिन्दू पंचांग अनुसार चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को स्कंद षष्ठी के रुप में मनाया जाता है. इस वर्ष 03 अप्रैल 2025 को गुरुवार के दिन स्कन्द षष्ठी पर्व मनाया जाएगा स्कंद भगवान को अनेकों नाम जैसे कार्तिकेय, मुरुगन व सुब्रहमन्यम

फाल्गुन शुक्ल अष्टमी को लक्ष्मी सीता अष्टमी रूप में पूजा जाता है. देवी लक्ष्मी को सीता का स्वरुप ही माना गया है दोनों का स्वरुप एक ही है ऎसे में ये दिन लक्ष्मी-सीता अष्टमी के पूजन के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होता है. लक्ष्मी सीता अष्टमी के

चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को गुड़ी पड़वा का त्यौहार मनाया जाता है. इस वर्ष 30 मार्च 2025 को मंगलवार के दिन गुड़ी पड़वा का पर्व मनाया जाएगा. गुड़ी पड़वा को हिन्दू नव संवत्सर का आरंभ समय माना जाता है. सामान्य शब्दों में कहा

शीतला सप्तमी और शीतला अष्टमी का पर्व माता शीतला के पूजन से संबंधित है. शीतला सप्तमी का व्रत संतान प्राप्ति एवं संतान के सुख के लिए किया जाता है. शीतला माता के व्रत में एवं इनके पूजन में बासी एवं ठंडा भोजन करने का नियम होता है. इस दिन माता