फाल्गुन पूर्णिमा एक अत्यंत महत्वपूर्ण पर्व एवं समय होता है जो धार्मिक एवं सांस्कृतिक स्वरुप में उत्साह और उल्लास के साथ मनाया जाता है. इस वर्ष फाल्गुन पूर्णिमा का पर्व 25 मार्च 2024 के दिन मनाया जाएगा. फाल्गुन माह में आने वाली इस पूर्णिमा

इस वर्ष माघ स्नान का आरंभ 25 जनवरी 2024 से होगा और इसकी समाप्ति 24 फरवरी 2024 को होगी. माघ माह अपने आरंभ से ही पर्व व उत्सवों के आगमन की झलक देने लगता है. यह वह समय होता है जब प्रकृति की छटा और खूबसूरती अपने नव रंग में मौजूद होती है. इस

फाल्गुन अमावस्या का पर्व फाल्गुन माह की 30वीं तिथि के दिन मनाया जाता है. फाल्गुन अमावस्या में गंगा एवं पवित्र नदियों में स्नान इत्यादि का महत्व रहा है. इस अमावस्या के दौरान श्राद्धालु श्रद्धा के साथ दान और पूजा पाठ से संबंधित कार्य भी करते

माघ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी “जया एकादशी” कहलाती है. माघ माह में आने वाली इस एकादशी में भगवान श्री विष्णु के पूजन का विधान है. एकादशी तिथि को भगवान विष्णु को अत्यंत प्रिय है. इस दिन व्रत और पूजा नियम द्वारा प्रत्येक मनुष्य भगवान श्री

ईशान व्रत अपने नाम के अनुरुप भगवान शिव से संबंधित है क्योंकि भगवान शिव का एक अन्य नाम ईशान भी है. इसी के साथ वास्तुशास्त्र में भी ईशान संबंधित दिशा की शुभता सर्वव्यापी है यह दिशा आपके लिए शुभता और सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह भी बनती है. इस

प्रदोष व्रत मुख्य रुप से भगवान शिव के स्वरुप को दर्शाता है. इस व्रत को मुख्य रुप से भगवान शिव की कृपा पाने हेतु किया जाता है. प्रत्येक मास के शुक्ल पक्ष एवं कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी के दिन प्रदोष व्रत का पालन किया जाता है. प्रदोष व्रत की

देवी दुर्गा अष्टमी तिथि की अधिकारी हैं और ये तिथि उन्हें अत्यंत प्रिय है. ऎसे में हर माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मासिक दुर्गा अष्टमी के रुप में मनाया जाता है. इस दिन देवी दुर्गा का भक्ति भाव के साथ पूजन किया जाता है. दुर्गा अष्टमी

भीष्म अष्टमी का पर्व माघ माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी को किया जाता है. इस वर्ष भीष्माष्टमी 17 फरवरी 2024 को शनिवार के दिन मनाई जाएगी. यह व्रत भीष्म पितामह के निमित्त किया जाता है. इस दिन महाभारत की कथा के भीष्म पर्व का पठन किया जाता है, साथ

सुजन्म द्वादशी का उत्सव पौष माह के शुक्ल पक्ष की द्वादशी के दिन मनाया जाता है. यह पर्व पुत्रदा एकादशी के अगले दिन द्वादशी तिथि पर आरंभ होता है. इस दिन भगवान विष्णु के पूजन का विधान है. एक अन्य मान्यता अनुसार इस व्रत का महत्व तब और भी अधिक

खरमास को मांगलिक कार्यों विशेषकर विवाह के परिपेक्ष में शुभ नहीं माना जाता है. इस कारण इस समय अवधि को त्यागने की बात कही जाती है. आईये जानते हैं की खर मास होता क्या होता है. सूर्य का धनु राशि में गोचर समय खर मास कहलाता है. खर मास का आरंभ

इस वर्ष का आखिरी ग्रहण अक्टुबर 2024 को लगेगा. 2/3 अक्टूबर को सूर्य ग्रहण होगा ये ग्रहण एक पूर्ण सूर्य ग्रहण यानी के कंकण सूर्य ग्रहण के रुप में लगेगा. सूर्यग्रहण का आरंभ 2/3 अक्टूबर को मध्य रात्रि से आरंभ होगा. इस ग्रहण की आकृति कंकण के

ज्योतिष की दृष्टि से ये दिन शांत एवं सौम्य दिन-वार की श्रेणी में आता है. सोमवार को शुभता एवं सात्विकता का प्रतीक बताया गया है. सोमवार का दिन भगवान शिव से संबंधित है. इस दिन में जन्में जातक को वार के अनुरुप ही शुभता और सौम्यता की प्राप्ति

तिथि पंचांग का एक महत्वपूर्ण अंग हैं. तिथि के निर्धारण से ही व्रत और त्यौहारों का आयोजन होता है. कई बार हम देखते हैं की कुछ त्यौहार या व्रत दो दिन मनाने पड़ जाते हैं. ऎसे में इनका मुख्य कारण तिथि के कम या ज्यादा होने के कारण देखा जा सकता

दशमहाविद्या साधना गुप्त नवरात्रों में मुख्य रुप से की जाती है. मंत्र साधना एवं सिद्धि हेतु दश महाविद्या की उपासना का बहुत महत्व बताया गया है. माता की उपासना विधि में मंत्र जाप का बहुत महत्व होता है. किसी भी साधक के लिए आवश्यक है की वह

इस वर्ष 25 मार्च 2024 ओर 18 सितंबर 2024 को चंद्र ग्रहण की स्थिति बनेगी. चंद्र ग्रहण भारत में दृष्य नहीं होगा. 25 मार्च 2024 चंद्र ग्रहण (भारत में अदृष्य) ग्रहण समय ग्रहण आरंभ (स्पर्श) - 09:04 स्पर्श प्रारंभ - 10:11 ग्रहण मध्य - 10:42

गुप्त नवरात्रों में मां दुर्गा की पूजा का विधान होता है, यह गुप्त नवरात्र साधारण जन के लिए नहीं होते हैं मुख्य रुप से इनका संबंध साधना और तंत्र के क्षेत्र से जुड़े लोगों से होता है. इन दिनों भी माता के विभिन्न रूपों की पूजा का विधान होता

अधिक मास के समय के दौरान बहुत से लोग व्रत, जप, तप और साधना करते हैं भगवान विष्णु के पूजन का ये विशेष समय होता है. इस पूरे अधिक मास को मल मास, प्भुरुषोत्तम मास भी कहा जाता है इसमें पूजा और तप को ही महत्व दिया गया है. जब ये माह समाप्त होता

हिन्दू पंचाग के अनुसार ज्येष्ठा मास हिन्दू वर्ष का तीसरा माह होता है. इस माह में विशेष रुप से गंगा नदी में स्नान और पूजन करने का विधि-विधान है. इस माह में आने वाले पर्वों में गंगा दशहरा और इस माह में आने वाली ज्येष्ठ शुक्ल एकादशी और

चैत्र माह की प्रतिपदा का आरंभ नव वर्ष के आरंभ के साथ साथ दुर्गा पूजा के आरंभ का भी समय होता है. इस वर्ष 09 मार्च 2024 को चैत्र नवरात्रों के आरंभ से ही विक्रम संवत का आरंभ होगा और इसी के साथ ही प्रतिपदा से नवरात्रों का भी आरंभ होगा. चैत्र

इस वर्ष 23 अप्रैल 2024 को मंगलवार के दिन मनाई जाएगी. चैत्र पूर्णिमा और हनुमान जयंती के शुभ अवसर पर पवित्र नदियों में स्नान और दान इत्यादि करने का विधान बताया गया है. चैत्र पूर्णिमा और जयंती के अवसर पर रामायण का पाठ, भजन-किर्तन संध्या जैसे