Articles in Category Festivals
कमला जयंती : दस महाविद्या पूजा
तांत्रिक लक्ष्मी कमला जयंती 2024 दस महाविद्याओं में से एक देवी कमला को सुख समृद्धि प्रदान करने वाल लक्ष्मी माना गया है. देवी शत्रुओं को परास्त करके भक्तों को निर्भय होने का वरदान देती हैं. कार्तिक
मीन संक्रांति : सूर्य का अंतिम राशि पड़ाव खर मास की शुरुआत का समय
सूर्य का एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करना ''संक्रांति '' कहलाता है और सूर्य के मीन राशि में प्रवेश करने को मीन संक्रांति कहते हैं. पंचांग के अनुसार सूर्यदेव 14 मार्च को कुंभ राशि की यात्रा
धनतेरस का ज्योतिष महत्व और राशि अनुसार प्रभाव-उपाय
धनतेरस का समय कई मायनों में विशेष रहा है जिसे धार्मिक रुप से विशेष माना जाता है और इस दिन का ज्योतिषिय महत्व भी बहुत रहा है. इस समय पर ग्रहों की स्थिति का प्रभाव कई मायनों में विशेष होता है. अपनी
यम पंचक : पांच दिनों का विशेष उत्सव
यम पंचक कार्तिक माह में आने वाला विशेष समय होता है जो पांच दिनों तक चलता है. यम पंचक के दौरान विभिन्न तरह के धार्मिक कार्यों को किया जाता है. इस समय को पांच दिन चलने वाले त्यौहारों के रुप में भी देखा
देव उठनी एकादशी : श्री हरि सहित देवताओं के जागने का समय
देव उठनी एकादशी : श्री हरि सहित देवताओं के जागने का समय देव उठनी एकादशी, कार्तिक माह में आने वाली एकादशी है जो साल भर आने वाले सभी एकादशियों में कुछ विशेष स्थान रखती है. मान्यताओं के अनुसार देव उठनी
करक चतुर्थी कथा और महत्व
करक चतुर्थी का उत्सव कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी में मनाया जाता है. करक चतुर्थी की रस्में क्षेत्र के हिसाब से अलग-अलग हों, लेकिन सार एक ही है जो भक्ति, आस्था और विश्वास को दर्शाने वाला समय
मेष संक्रांति 2025 : शुभ मुहूर्त, योग एवं धार्मिक महत्व
सौर पंचांग का आरंभ मेष संक्रांति से होता है. सूर्य जब मीन राशि से निकल कर मेष राशि में प्रवेश करता है, तो मेष संक्रांति होती है. जिस तरह से मीन राशि में सूर्य का होना सौर कैलेंडर का आखिरी महीना होता
पद्मनाभ द्वादशी : जानें पद्मनाभ द्वादशी कथा और महत्व
द्वादशी का व्रत हर माह की कृष्ण और शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को रखा जाता है. पंचांग के अनुसार आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी को पद्मनाभ द्वादशी के नाम से जाना जाता है. इस बार ये व्रत 14 अक्टूबर
विजयादशमी पर राशि अनुसार दान और इसका महत्व
हर साल आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को विजयादशमी का त्यौहार मनाया जाता है. इसे दशहरा भी कहते हैं. यह दिन भगवान श्री राम को समर्पित है उनके घर वापसी का दिन है और इसी कारण इस दिन व्यक्ति अपने
काली चौदस : तंत्र साधना के साथ आध्यात्मिक उन्नति का समय
काली चौदस कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाई जाती है. इस तिथि पर मां काली की पूजा करने का विधान है. ऐसा करने से साधक को सभी तरह के कष्टों से मुक्ति मिलती है. साथ ही इस दिन छोटी दिवाली
विजयदशमी क्यों है अबूझ मुहूर्त ? ज्योतिष महत्व
विजयादशमी का संबंध ज्योतिष शास्त्र अनुसार मुहूर्त प्रकरण में आता है. मुहूर्त गणना में इस दिन को बेहद महत्वपूर्ण माना गया है.यह एक अबूझ मुहूर्त भी है, वो मुहूर्त जिन पर किसी शुभ कार्य को करने के लिए
दुर्गा विसर्जन : दुर्गा पूजा से लेकर विदाई तक का समय
दुर्गा विसर्जन नवरात्रि के अंतिम दिन का प्रतीक है जिसे भक्त उत्साह के साथ मनाते हैं. देश भर के अलग अलग हिस्सों में इसे मनाते हुए देख अजा सकता है. अलग अलग स्थानों में अलग अलग रंग रुप लिए ये दिन विशेष
दर्श अमावस्या क्यों मनाई जाती है?
हर माह आने वाली अमावस्या को दर्श अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है. प्रत्येक माह आने वाले कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को दर्श अमावस्या के नाम से जाना जाता है. मान्यता है कि इस अमावस्या पर पितरों का
क्यों की जाती है संधि पूजा ? जानें संधि पूजा महत्व
संधि पूजा देवी दुर्गा के निमित्त किया जाने वाला विशेष अनुष्ठान होता है. इसे विशेष रुप से नवरात्रि के दौरान किया जाता है. शास्त्रों के अनुसार भगवान श्री राम जी द्वारा किया गया था संधि पूजन. संधि पूजा
शिव वास और इसके नियम
शिव वास अपने नाम के अनुरुप भगवान शिव के निवास स्थान की स्थिति को बताता है. शिव वास की स्थिति को जानकर भगवान शिव के रुद्राभिषेक को करना शुभफल देने वाला होता है. शिव वास के नियमों के द्वारा जान सकते
अमावस्या योग ज्योतिष के नजरिये से शुभ अशुभ प्रभाव
ज्योतिष अनुसार किसी भी राशि में सूर्य और चंद्रमा की युति का अंशात्मक रुप से करीब होना अमावस्या तिथि और अमावस्या योग कहा जाता है. धर्म शास्त्रों और ज्योतिष शास्त्र अनुसार अमावस्या का महत्व बहुत ही
पितृ आरती और पितर चालिसा : पितर देवों की आरती से प्रसन्न होंगे समस्त पितृ
पितरों का पूजन वंश को समृद्धि और वंश वृद्धि देने वाला मार्ग होता है. पितरों का पूजन अमावस्या तिथि एवं आश्विन माह के कृष्ण पक्ष के दोरान श्राद्ध पक्ष में किया जाता है. पितरों को मनाने के लिए कई तरह के
आश्विन पूर्णिमा : व्रत कथा और आश्विन पूर्णिमा के रहस्य
आश्विन मास की पूर्णिमा को आश्विन पूर्णिमा कहा जाता है। शास्त्रों के अनुसार इसी पूर्णिमा के दिन समुद्र मंथन से देवी लक्ष्मी का जन्म हुआ था, और इस दिन कई अन्य विशेष घटनाएं घटित हुई जिनके कारण यह दिन
ओणम : राजा बली और भगवान के वामन रुप की कथा
ओणम का त्यौहर दक्षिण भारत के प्रसिद्ध त्यौहारों में से एक है. उत्तर भारत पंचाग अनुसार यह त्यौहार भाद्रपद माह के दौरान आता है. भादो माह की द्वादशी के करीब इस पर्व को मनाया जाता है और दक्षिण भारत के
ज्येष्ठ गौरी पूजा : भाद्रपद माह में होता है ज्योष्ठ गोरी विसर्जन
भाद्रपद माह में आने वाला ज्येष्ठ गोरी विसर्जन का उत्सव भक्ति भाव के साथ मनाया जाता है. ज्येष्ठ गौरी पूजा महाराष्ट्र का एक प्रमुख त्यौहार है, जिसमें मराठी महिलाएँ व्रत रखती हैं और देवी गौरी की पूजा