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अंगुलियों का महत्वपूर्ण स्थान हस्तरेखा शास्त्र में माना गया है. सभी अंगुलियों की अपनी विशेषता होती है. आज हम तीसरी अंगुली - अनामिका व चौथी अंगुली - कनिष्ठिका की चर्चा करेगे कि यह क्या खासियत रखती हैं. तीसरी अंगुली
मानव हाथ में बने पर्वतों का आंकलन बहुत सी बातों के विश्लेषण में किया जाता है. उनमें से एक विषय रोग होने की संभावना को जानना भी होता है. यदि किसी व्यक्ति के हाथ में बनी जीवन रेखा में दोष हो और पर्वत भी दोषपूर्ण हो तब रोग
हस्तरेखा शास्त्र मे उंगलियों के जोड़ों के अध्ययन का बहुत महत्व है। जोड़ों का स्थूल रूप कार्य के क्षेत्र में जहां व्यक्ति सक्रिय होता है, उसको निर्धारित करता हैं। यह व्यक्ति में उंगलियों से संबंधित गुणों के विस्तार का भी
त्रिभुज | Tribhuj त्रिभुज को हथेली पर विशिष्ट और स्पष्ट चिन्ह के रूप में देखा जा सकता है और यह परस्पर दो रेखाओं के कटने से नहीं बनता। यह एक अच्छा व भाग्यशाली संकेत माना जाता है लेकिन यह तब अधिक महत्वपूर्ण है जब यह एक
हथेली के अध्ययन में क्रॉस का चिन्ह बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। क्रॉस की विशेषताएँ तारे के विपरीत हैं और यह कभी कभार ही शुभ संकेत के रूप को दर्शाता है। यह मुसीबत, निराशा, खतरा और कभी-कभी जीवन में संकट का संकेत देता है।
वह रेखाऐं जो विवाह रेखा के ऊपर बुध पर्वत पर तथा अंगूठे के नीचे पाई जाने वाली रेखाएं संतान से संबंधित रेखाएं होती हैं। परन्तु इस रेखा के साथ अन्य रेखाओं का एवं हाथ की विशेषताओं का अध्ययन करके ही संतान संबंधित भविष्यवाणी