भोज संहिता राहु खण्ड
Dr. Bhojraj Dwivedi
Tags : vedic astrology, astrology,
Categories : Vedic Astrology,
राहु ग्रह सभी ग्रहों में से सबसे खतरनाक ग्रह है। यह दैत्यराज है। प्रत्येक कार्य को बिगाड़ने का श्रेय राहु को है। इसका रंग काला है। इसका कोई शरीर नहीं है। सूर्य-चंद्र ग्रहण राहु के कारण ही होते हैं। ग्रहण काल में पृथ्वी के उत्तरी ध्रुव को राहु कहते हैं। यह राक्षस का सिर मात्र है।
राहु और अशुभ दोनों फल देता है। बारह लग्न एवं बारह भावों में राहु की स्थिति को लेकर 144 प्रकार की जन्मकुंडलियां अकेले राहु को लेकर बनीं। इसमें राहू की अन्य ग्रहों के साथ युतिको लेकर भी चर्चा की गई है। फलत 144 गुणे 9 ग्रहों का गुणा करने पर कुल 1,296 प्रकार से राहु की स्थितिपर फलादेश की चर्चा और पूर्वाचार्यों के सप्रमाण मत इस ग्रंथ में मिलेंगे।
प्रस्तुत पुस्तक में प्रतिकूल राहु को अनुकूल बनानेके लिए वैदिक, पौराणिक, तांत्रिक, लाल किताब व अन्य अनुभूति सरल टोटके, रत्नोपचारव प्रार्थनाएं दी गई हैं।