भोज संहिता बुध खण्ड
Dr. Bhojraj Dwivedi
Tags : vedic astrology, astrology,
Categories : Vedic Astrology,
ग्रहों की सभामें बुध ग्रह राजकुमार के पद को धारण किए हुए है। यह बुद्धि-प्रदाता ग्रह है। बुध व्यापार प्रिय है। व्यापार-व्यवसाय में लाभ-हानि, विद्याध्ययन, डॉक्टररी लाइन, कंप्यूटर-लाइन, गणित विद्या, प्रतियोगी परीक्षाओं में सफलता-असफलता का पता जन्मकुंडली में बुध ग्रह की स्थिति को देखकर ही चलता है।
अत प्रस्तुत पुस्तक अकेले बुध ग्रह को लेकर लिखी गई है। बारह लग्न एवं बारह भावों में बुध की स्थिति को लेकर 144 प्रकार की जन्मकु्ंडलियां अकेले चंद्रमा को लेकर बनीं। इसमें बुध की अन्य ग्रहों के साथ युति को लेकर चर्चा की गई है। फलत 144 गुणा 9 गुणा करने पर कुल 1296 प्रकार से बुध की स्थिति पर फलादेश की चर्चा इस ग्रंथ में मिलेगी।
पूर्वाचार्यों के सप्रमाण मत के अलावा इस पुस्तक का उपचार खंड सबसे अधिक महत्वपूर्ण है। जिसमें प्रतिकूल बुध को अनुकूल बनाने के लिए वैदिक, पौराणिक, तांत्रिक, लाल किताब व अन्य अनुभूत सरल टोटके, रत्नोपचार व प्रार्थनाएं दी गई हैं। जिससे तत्वग्राही, प्रबुद्ध पाठकों के लिए यह पुस्तक अनमोल वरदान साबित हो गई है।