नामांक ज्योतिष एक महत्वपूर्ण विद्या है, जिसके माध्यम से व्यक्ति के विषय एवं उसके भविष्य को जानने का प्रयास किया जाता है. नामांक ज्योतिष में अंकों के माध्यम द्वारा गणित के नियमों का व्यवहारिक उपयोग करके मनुष्य के विभिन्न
जीवन में नाम का बहुत महत्व होता है नाम से ही हमारी पहचान होती है. नाम का महत्व खुद ब खुद दृष्टिगत होता है, तथा नाम रखने की विधि को संस्कार कर्म में रखा जाता है और इसमें जातक के जन्म नक्षत्र पर आधारित नाम रखने का प्रयास
नामांक की गणना अंग्रेजी के अक्षरों को दिये गये अंकों के आधार पर की जाती रही है. नामांक कि गणना के लिए कीरो पद्धति, सेफेरियल पद्धति तथा पाइथागोरस पद्धति का उपयोग किया जाता है, इनमें से किसी ने नौ अंक को स्थान दिया तो
नामांक की गणना अंग्रेजी के अक्षरों को दिये गये अंकों के आधार पर ही की जाती रही है. अंकशास्त्री नामांक की गणना इसी तरीके से करते हैं. नामांक कि गणना के लिए कीरो पद्धति, सेफेरियल पद्धति तथा पाइथागोरस पद्धति का उपयोग किया
नामांक को सौभाग्य अंक भी कहते हैं. आज लगभग सभी अंकशास्त्री नामांक की गणना इसी प्राचीन तरीके से करते हैं. नामांक कि गणना के लिए कीरो पद्धति, सेफेरियल पद्धति तथा पाइथागोरस पद्धति का उपयोग किया जाता है, इनमें से किसी ने नौ
नामांक की गणना अंग्रेजी के अक्षरों को दिये गये अंकों के आधार पर ही की जाती रही है. व्यक्ति के नाम के अक्षरों के कुल योग से बनने वाले अंक को नामांक कहा जाता है. नामांक गणना के लिए कीरो पद्धति, सेफेरियल पद्धति तथा
अंकशास्त्र में मूलांक (जन्मांक) और भाग्यांक ज्ञात करना बेहद आसान होता है और अधिकतर सभी को मालूम भी होता है कि किस प्रकार इसे प्राप्त कर सकते हैं. लेकिन नामांक को निकाल पाना सभी को नही आता और यह थोड़ा लंबा तरीका होता है.