राहु और केतु ऎसे छाया ग्रह हैं जिन्हें बेहद चुनौतिपूर्ण फलों को देने वाला माना गया है. राहु के साथ केतु भौतिक स्वरुप वाले ग्रहों से अलग छाया ग्रह हैं. लेकिन इनकी ऊर्जा बेहद प्रभावी होती है और जिसके कई खराब प्रभाव हम देख सकते हैं किंतु जहां

कुंडली में एक ग्रह के रूप में चंद्रमा सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. ऎसा इस कारण होता है क्योंकि इसके गोचर की अवधी ओर इसका मानसिकता के साथ संबंध होना. जीवन के रोजमर्रा में होने वाले बदलावों को चंद्रमा की स्थिति से बहुत अधिक गहराई से

वैदिक ज्योतिष कर्म और पुनर्जन्म के दर्शन पर आधारित है. जन्म कुंडली द्वारा व्यक्ति अपने जीवन और कर्म सिद्धांत की स्थिति को काफी गहराई के द्वारा जांच सकता है. जन्मों की इस यात्रा को समझने में ज्योतिष हमारी बहुत मदद कर सकता है. इसके ज्ञान के

ज्योतिष अनुसार खगोलिय एवं ग्रह गोचरीय दोनों दृष्टिकोण से यह घटना क्रम काफी महत्वपूर्ण माने गए हैं. इन दोनों ग्रहों का मेल जब एक साथ होता है तो इसमें ज्ञान के विस्तार के साथ साथ कई चीजों में आगे बढ़ने के मौके मिलते हैं. खगोलीय रूप से एक

सूर्य महादशा का आगमन जब होता है, तो व्यक्ति के जीवन में काफी बदलाव का समय होता है. सूर्य दशा का प्रभाव जातक को कई तरह के जीवन में प्रभाव दिखाता है. सूर्य ग्रह का प्रभाव विशेष माना जाता है. सूर्य की स्थिति व्यक्ति को मान सम्मान दिलाने वाली

इन दोनों ग्रहों का आपस में गहरा संबंध माना गया है. राहु का प्रभाव व्यक्ति को उचित अनुचित के भेद से परे को दिखाता है. शुक्र प्रेम, संबंध, विलासिता, प्रसिद्धि और धन को दर्शाता है. राहु शुक्र जब एक साथ होते हैं तो इच्छाओं में वृद्धि के लिए

सातवें भाव में बैठा सुर्य बहुत अधिक महत्वपुर्ण प्रभाव डालने वाला माना गया है. सूर्य का असर कुंडली के सातवें घर में जाना मिलेजुले असर दिखाने वाला होता है. जब सूर्य कुण्डली के सप्तम भाव में होता है. इसका असर जीवन साथी पर अपना गहरा प्रभाव

ज्योतिष शास्त्र में मानसिक विकार से संबंधित योगों का वर्णन मिलता है. ज्योतिष अनुसार मस्तिष्क में उत्पन्न होने वाले विकार एवं नकारात्मक सोच के पीछे ज्योतिषिय कारण बहुत असर डालते हैं. मानसिक रुप से चंद्रमा का प्रभाव बहुत विशेष माना गया है.

कुंडली विषण एक बहुत विस्तृत प्रक्रिया है, और कुंडली में सभी सूक्ष्म बातों को देखना होता है. इन विवरणों में शुभ और अशुभ ग्रहों की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है. यह एक कठिन काम है क्योंकि कोई ग्रह एक ही समय पर शुभ भी होगा तो वहीं वह खराब भी हो

केतु महादशा का समय बेहद महत्वपूर्ण होता है. इस दशा के समय व्यक्ति को अस्थिरता अधिक परेशान कर सकती है. जातक अपने लिए उचित एवं अनुचित के मध्य की स्थिति को समझ पाने में कुछ कमजोर रह सकता है. केतु की महादशा में व्यक्ति को कुछ लाभ मिलते हैं

सूर्य और केतु का योग ज्योतिष अनुसार काफी महत्वपूर्ण होता है. यह योग कुंडली में जहां बनता है उस स्थान पर असर डालता है. इस योग को वैसे तो अनुकूलता की कमी को दिखाने वाला अधिक माना गया है. इस योग में मुख्य रुप से दो उर्जाओं का योग एक होने पर

अंगारक योग कुंडली में मंगल और राहु के एक साथ होने पर बनता है. इस योग में केतु और सूर्य का प्रभाव भी अंगारक योग का निर्माण करता है. यह एक ज्योतिष योग है जिसे खराब योगों की श्रेणी में रखा जाता है. अंगारक योग वैदिक ज्योतिष में कई तर्ह की

शनि महादशा में आने वाले अन्य ग्रहों की दशाओं का प्रभाव जीवन में कई तरह के बदलाव देने वाला होता है. शनि ग्रह को ज्योतिषीय क्षेत्र में सबसे शक्तिशाली ग्रहों में से एक माना जाता है, इसका प्रभाव जीवन को बदल देने की क्षमता रखता है. शनि दशा के

मंगल ग्रह को आक्रामक, क्रियाशीलता एवं शक्ति से संबंधित होता है. मंगल ग्रह साहस, नेतृत्व और प्रभुत्व से जुड़ा है जो मुख्य रूप से हिंसा, आग से होने वाली सभी तबाही का प्रतिनिधित्व करता है. मंगल क्रोध, वीरता और शक्ति है जो एक सैनिक, पुलिसकर्मी

ज्योतिष शास्त्र में बृहस्पति महादशा का समय एक शुभ दशा के रुप में देखा जाता है. बृहस्पति महादशा की अवधि सोलह वर्ष की अवधि तक रहती है.बृहस्पति को शुभ ग्रह माना गया है, इस दशा के समय पर जातक के जीवन में कई बड़े बदलाव भी देखने को मिल सकते हैं.

शुक्र की महादशा 20 वर्ष तक रहती है. यह संपूर्ण दशा चक्र में अन्य ग्रहों के बीच सबसे लंबी अवधि की दशा का प्रभाव देने वाला ग्रह है. ( Xanax ) यह अत्यधिक शुभ ग्रह है, जो सुख-सुविधाओं और भौतिकवादी लाभ को प्रदान करने वाला होता है. शुक्र की

मंगल महादशा सात वर्ष की दशा का प्रभाव रखती है. इस दशा समय पर व्यक्ति मंगल के प्रभाव से सबसे अधिक प्रभावित होता है. मंगल ग्रह को एक अत्यधिक शक्तिशाली और आक्रामक ग्रह माना गया है. इसकी शक्ति एवं साहस का प्रभाव किसी भी व्यक्ति पर जब पड़ता है

बुध, को बुद्धि का ग्रह माना गया है, यह बोलने और वाणी के प्रभाव को दिखाता है. बुध एक शुभ ग्रह की श्रेणी में आता है इसे सामान्य रूप से सकारात्मक ग्रह माना जाता है. इसका प्रभाव व्यक्ति के जीवन में कई रुपों से पड़ता है. बुध की महादशा 17 साल की

चंद्र महादशा का समय 10 वर्ष का होता है. इस दशा का प्रभाव जातक पर जब होता है तो वह कुछ चंद्रमा के गुण धर्म के द्वारा प्रभावित रहता है. चंद्रमा कुंडली में किस प्रकार से स्थित है इन सभी बातों का असर चंद्र महादशा के दौरान व्यक्ति को देखने को

सूर्य को ज्योतिष में अग्नि युक्त प्राण तत्व के रुप में माना गया है. ज्योतिष के आकाश में सूर्य सबसे शक्तिशाली ग्रह है. यह जीवन को उसकी समग्र ऊर्जा के साथ आगे बढ़ने का अवसर देने में सक्षम होता है. चीजों को प्रभावशाली रुप से व्यक्त करने के