शनि की महादशा में सभी ग्रहों की अंतर्दशा का प्रभाव

शनि महादशा में आने वाले अन्य ग्रहों की दशाओं का प्रभाव जीवन में कई तरह के बदलाव देने वाला होता है. शनि ग्रह को ज्योतिषीय क्षेत्र में सबसे शक्तिशाली ग्रहों में से एक माना जाता है, इसका प्रभाव जीवन को बदल देने की क्षमता रखता है. शनि दशा के समय पर व्यक्ति को एक धीमे लेकिन प्रभावी परिणामों से भी गुजरना पड़ता है. शनि महादशा का प्रभाव करियर, स्वास्थ्य, परिवार इत्यादि बातों पर पड़ता है. 

शनि महादशा शनि अंतरदशा प्रभाव

शनि महादशा समय पहली अंतर्दशा दशा शनि की ही होती है. शनि का प्रभाव जातक को कुछ स्थिर बनाता है. शनि उच्च, मित्र और स्वराशि में हो, तब यह अनुकूल परिणाम दे सकता है. शुभ ग्रहों से संयुक्त और दृष्ट होने पर शनि की स्थिति का असर ही व्यक्ति पर पड़ता है. शनि का असर अगर शुभ न हो तो ये दशा का समय गंभीर प्रभाव देता है. जातक को परिवार एवं लोगों की ओर से सहयोग की प्राप्ति हो सकती है. शनि का असर सुख की प्राप्ति को देने वाला होता है. व्यापार में लाभ प्राप्त होता है. यदि शनि अशुभ हो और शनि नीच या शत्रु राशि में हो और पाप ग्रहों से दृष्ट या दृष्ट हो तो व्यक्ति को शनि की महादशा और शनि की अंतर्दशा में असफलता अधिक प्रभवित कर सकती है. 

शनि महादशा में बुध अंतर्दशा प्रभाव 

शनि महादशा में बुध अंतर्दशा का आगमन सकारात्मक रुप से अपना असर डालने वाला होता है. इन दोनों दशाओं के मध्य का रिश्ता एक अच्छे संबंध के रुप में होने के कारण ही ये समय नई चीजों की प्राप्ति के लिए बेहद अनुकूल होता है. इस समय के दौरान अपने रिश्तों के साथ समय बिता पाता है व्यक्ति, नई कार्यों में प्रगति के अवसर भी देखने को मिलते हैं. शनि और बुध की आपसी मित्रता के कारण इस अवधि की शुरुआत आपके लिए अच्छी रहने की संभावना होती है. व्यक्ति अपने कार्यों को करने में आशावादी होता है. वह अपने आस पास के लोगों के साथ मिलकर नई चीजों की शुरुआत को लेकर भी उत्साहित होता है. 

शनि महादशा में केतु अंतर्दशा प्रभाव 

शनि महादशा में केतु अंतर्दशा का समय आध्यात्मिक एवं मनोवैज्ञानिक दृष्टि से महत्वपूर्ण होता है. इस समय के दौरान व्यक्ति उन अनुभवों से गुजरता है जिसको लेकर वह अधिक विचारशील भी होता है. यदि शनि और केतु आपकी कुंडली में अपनी स्थिति के अनुसार एक अच्छा संबंध साझा करते हैं, तो इस दौरान करियर के संबंध में बेहतर मौके मिल सकते हैं. कुछ वरिष्ठ लोगों एवं ज्ञानवान लोगों का संपर्क भी अधिक रहता है. इस समय पर व्यक्ति उपदेशात्मक स्थिति को भी देख पाता है. वह अपनी योजनाओं एवं निर्णयों को लेकर कई बार आशंकित होता है किंतु उसकी गहरी दृढता उसे इसमे सफलता भी दिलाती है. नर्वस सिस्टम से संबंधित विकार परेशानी दे सकते हैं. 

शनि महादशा में शुक्र की अंतर्दशा प्रभाव 

शनि महादशा में शुक्र की अंतर्दशा का असर अनुकूल माना गया है. इन दोनों ग्रहों का संबंध यदि कुंडली में अनुकूल रुप से पड़ता है तो यह भौतिक इच्छाओं के पूर्ण होने का तथा उपलब्धियों को पाने का समय भी होता है. इस समय परिवार एवं रिश्तों की ओर व्यक्ति का ध्यान अधिक रह सकता है. अपने लोगों के साथ मिलकर वह कुछ यात्राएं भी कर सकता है. यदि इन दशा में किसी कारण से अनुकूलता की कमी देखने को मिलती है तब यह समय कुछ घाटे और अधिक प्रयासों के लिए भी अपना असर दिखाने वाला होता है. शनि और शुक्र की मित्रता को देखते हुए दूसरों के साथ संबंध बेहतर करने और नए मित्रों को पाने का अच्छा समय हो सकता है. 

शनि महादशा में सूर्य अंतर्दशा प्रभाव 

शनि महादशा में सूर्य अंतर्दशा का असर मिलेजुले परिणामों को अधिक दिखाता है. यह दोनों ग्रहों के मध्य का संबंध बहुत अच्छा न होने के कारण यह दशा समय अनिश्चितता लेकर आ सकता है. कुंडली में शनि अच्छी स्थिति में है तो उत्तरार्ध आपके जीवन में नए अवसर मिल सकते हैं. इस समय वरिष्ठ एवं उच्च अधिकारियों के साथ वैचारिक मतभेद भी अधिक बढ़ सकते हैं.  अवसरों का वास्तविक लाभ उठाने के लिए अविश्वसनीय रूप से कड़ी मेहनत करनी होगी. कुंडली में दोनों ग्रह प्रतिकूल रूप से स्थित है, तो इस अवधि का आप पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा जैसे नौकरी छूटना, करियर संबंधी समस्याएं, तनाव, चिंता, स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं, वित्तीय परेशानी, देरी आदि.

शनि महादशा में चंद्र अंतर्दशा का प्रभाव 

शनि महादशा में चंद्र अंतर्दशा का आगमन मानसिक एवं भावनात्मक बदलाव का समय अधिक होता है. इस दौरन पर व्यक्ति अपने आप को एक अनजाने डर एवं व्यर्थ की चिंताओं से प्रभावित देख सकता है. इस समय सफलता के लिए संघर्ष लगातार बना रहता है. व्यक्ति अपने आस पास के लोगों के साथ बेहतर गठजोड़ नहीं बना पाता है. उसके मन में कई तरह की चिंताएं घर करे हुए होती हैं. उच्च स्तर की अनिश्चितताओं के साथ यह समय कठिन अवधि को दिखाने वाला होता है. 

शनि की महादशा में मंगल की अंतर्दशा

शनि की महादशा में मंगल की अन्तर्दशा काफी महत्वपुर्ण होती है. इस समय के दौरान मिलेजुले प्रभाव देखने को मिलते हैं. एक दूसरे के साथ मित्र भाव की कमी का प्रभाव इस दशा में अधिक देखने को मिलता है. एक वर्ष, एक माह और नौ दिनों का ये दशा अवधि समय कार्यक्षेत्र में परिश्रम की अधिकता देने वाला होता है. आपसी मतभेद की स्थिति अधिक रह सकती है. अपनों के साथ विरोधाभास परेशान कर सकता है. इस समय के दौरान व्यक्ति कुछ अधिक यात्राओं को कर सकता है. 

शनि महादशा में राहु अंतर्दशा का प्रभाव 

शनि महादशा में राहु अंतर्दशा का समय कुछ मिलेजुले से प्रभाव दिखाता है. यह आसान तो नहीं होता है लेकिन प्रयासों के द्वारा अनुकूल परिणामों को पाने के लिए बेहतर होता है. यह समय व्यक्ति को गलत चीजों के द्वारा काम करने के लिए उकसाने वाले समय के रुप में भी देखा जा सकता है. स्वभाव में बेचैनी और विद्रोह की स्थिति भी अधिक देखने को मिल सकती है. अपने जीवन में अधिकांश फैसलों को लेकर वह इस दौरान अधिक भ्रम की स्थिति को पाता है. स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से परेशानी अधिक हो सकती है. संक्रमण इत्यादि का खतरा भी बना रह सकता है. 

शनि महादशा में बृहस्पति अंतर्दशा का प्रभाव 

शनि महादशा में बृहस्पति अंतर्दशा का असर सामान्य रुप से अपना प्रभाव दिखाता है, लेकिन ये समय नवीन संभावनाओं की ओर भी इशारा करता है. इस समय व्यक्ति को जीवन के आने वाले भविष्य की चिंताओं एवं उसके लिए तैयारी करते हुए देखा जा सकता है. सामाजिक रुप से व्यक्ति अधिक व्यस्त होता है. अपने कार्यक्षेत्र में उसे नए लोगों का सहयोग भि मिलता है. आर्थिक रुप से खर्चों की अधिकता का समय भी होता है. इस समय के दौरान व्यक्ति नई चीजों की ओर रुझान पाता है.