गर्भ गौरी रूद्राक्ष माता गौरी और उनके पुत्र भगवान गणेश जी का स्वरूप माना जाता है. यह गर्भ गौरी रुद्राक्ष गौरी शंकर के समान ही दिखाई पड़ता है. जहां गौरी शंकर रुद्राक्ष में रुद्राक्ष का आकार एक समान होता है वहीं गर्भ गौरी
गौरी शंकर रुद्राक्ष माता पार्वती एवं भगवान शिव का प्रतीक है जैसा क नाम से ही स्पष्ट होता है कि यह रुद्राक्ष शिव पार्वती जी की एक अदभुत संगम का रुप है. इसे धारण करने से सभी प्रकार के दांपत्य सुखों की प्राप्ति होती है.
रुद्राक्ष के विषय में अनेक बातों का विचार उसके महत्व को व्यक्त करता है. रुद्राक्ष एक बेहतरीन रत्न है जो अनेक प्रकार के लाभों को दर्शाता है रुद्राक्ष द्वारा व्यक्ति का मन अति पावन रुप को पाता है तथा इसी के द्वारा मुक्ति
रुद्राक्ष एक अमूल्य मोती है जिसे धारण करके या जिसका उपयोग करके व्यक्ति अमोघ फलों को प्राप्त करता है. भगवान शिव का स्वरूप रुद्राक्ष जीवन को सार्थक कर देता है इसे अपनाकर सभी कल्याणमय जीवन को प्राप्त करते हैं.रुद्राक्ष की
रुद्राक्ष को धारण करना या इसका उपयोग चिंता, कष्ट, दु:ख और पापों का अंत करने वाला माना गया है. शास्त्रों के अनुसार रुद्राक्ष का असर और प्रभाव उसके रूप, रंग, आकार पर बहुत निर्धारित करता है. रुद्राक्ष चार रंग में प्राप्त
रुद्राक्ष जाबालोपनिषद, शिवपुराण, कालिका पुराण, लिंग पुराण, काल संहिता, निर्णय सिंधु इत्यादि ग्रंथों में रुद्राक्ष के महत्व को अभिव्यक्त किया गया है. इन सभी में भगवान शिव के प्रिय 'रुद्राक्ष' की महत्ता को व्यक्त किया गया
रुद्राक्ष के वृक्ष भारत समेत विश्व के अनेक देशों में पाए जाते हैं. यह भारत के पहाड़ी क्षेत्रों तथा मैदानी इलाकों में भरपूर मात्रा में मौजूद होते हैं. रुद्राक्ष का पेड़ किसी अन्य वृक्ष की भांति ही होता है, इसके वृक्ष 50
रुद्राक्ष अर्थात ‘प्रभु शिव का वास’ हमारे अध्यात्मिक स्वरूप से जुडा रूद्राक्ष हमें भगवान शिव का सानिध्य प्रदान करता है. प्रभु को अपने में धारण करने का मार्ग है यह रुद्राक्ष. इस अति पवित्र वस्तु के होने से हमारे सभी दुख