रुद्राक्ष वर्ण और रंग के अनुसार | Description and Colour of Rudraksha
रुद्राक्ष के विषय में इस बात को भी ध्यान में रखना आवश्यक है कि रुद्राक्ष को धारण करने के क्या नियम है तथा किस रुद्राक्ष को कौन धारण कर सकता है. यदि देखा जाए तो इसके मूलभूत तत्वों का बखान विस्तार पूर्वक किया जा सकता है. धार्मिक क्षेत्र में रुद्राक्ष बहुत प्रसिद्ध है और अनेक प्रकार के जप एवं मंत्र सिद्धि में इनका उपयोग किया जाता है. रुद्राक्ष अपने विशेष गुणों के कारण शिवतुल्य और मंगलकारी कहा जाता है.
विभिन्न रंगों में रुद्राक्ष | Different Colours of Rudraksha
- रुद्राक्ष विभिन्न रंगों में प्राप्त होता है. प्रथम श्रेणी का रुद्राक्ष कत्थई रंग, चाकलेटी रंग या छुहारे से भी गहरे रंग का होता है. इसकी के साथ गहरे गुलाबी रंग का भी रुद्राक्ष पाया जाता है.
- द्वितीय श्रेणी का रुद्राक्ष हल्के चॉकलेटी रंग का, मध्यम कत्थई रंग का और बादाम की गिरी के जैसे रंग सा होता है. इसमें मटमैला रंग भी देखा जा सकता है.
- तृतीय श्रेणी में रुद्राक्ष का रंग सफेदी लिए हुए होता है अथवा भूरे रंग का होता है. सर्वप्रथम इस बात पर ध्यान देने की आवश्यकता है कि रुद्राक्ष चार रंग का होता है--श्वेत,रक्त, पीत और कृष्ण वर्ण (काला रंग) का रुद्राक्ष. इसी रंग भेद से रुद्राक्ष धारण करने की विधि भी बताई गई है जिसके अनुसार रुद्राक्ष को धारण करना अधिक लाभदायक माना जाता है.
वर्ण के अनुसार रुद्राक्ष का विभाजन | Classification of Rudraksha on the Basis of Classes
हमारे यहां चार वर्णों में समुदायों का विभाजन हुआ इन चारों समुदायों में रुद्राक्ष को धारण करने के विषय में मुख्य बातों को व्यक्त किया गया. शास्त्रों में अलग - अलग वर्ण के लिए रुद्राक्ष का निर्धारित किया गया है जो इस प्रकार है-
- ब्राह्मण वर्ण - प्रथम स्थान पर आते हैं ब्राह्मण, ब्राह्मण को श्वेत अर्थात सफेद रंग के रुद्राक्ष धारण करने को कहा गया है.
- क्षत्रिय वर्ण - दूसरे स्थान पर आते हैं क्षत्रिय इन लोगों के लिए रक्त समान वर्ण के अर्थात गहरे लाल रंग का रुद्राक्ष क्षत्रिओं के लिये हित कर कहा गया है.
- वैश्य वर्ण - तीसरे स्थान पर वैश्य रहे इनके लिए पीत वर्ण का अर्थात पीले रंग का रुद्राक्ष धारण करना आवश्यक बताया गया है और साथ ही साथ इस रुद्राक्ष के अनेक लाभकारी गुणों का वर्णन प्रस्तुत किया गया है.
- शूद्र वर्ण - चौथे स्थान पर आते हैं शूद्र, इन्हें कृष्ण वर्ण का रुद्राक्ष धारण करने को कहा जाता है इस प्रकार रुद्राक्ष को धारण करना रुद्राक्ष के फलों में वृद्धि करता है. इनसे सभी मुख वाले रुद्राक्षों का महत्व परिलक्षित होता है.
एक श्लोक द्वारा भी रुद्राक्ष को धारण करने की बात व्यक्त कि गई है. “सर्वाश्रमाणांवर्णानां स्त्रीशूद्राणां शिवाज्ञया धार्या: सदैव रुद्राक्षा:" सदैव रुद्राक्षा:" अर्थात सभी आश्रमों एवं वर्णों तथा स्त्री और शूद्र को रुद्राक्ष धारण करना चाहिये, यह शिव आज्ञा है.
रुद्राक्ष के लिए धार्मिक ग्रंथों में विस्तार पूर्वक व्यक्त किया गया है. इसको धारण कैसे किया जा या इसे कौन धारण कर सकता है इन सभी बातों को सरल माध्यम द्वारा अभिव्यक्त किया गया है. इसी प्रकार ब्रह्मचारी, वानप्रस्थ, गृहस्थ और संन्यासी के लिए भी नियम पूर्वक रुद्राक्ष धारण करना उचित माना गया है. समाज के विभिन्न वर्णों ने इस रुद्राक्ष को नियमानुसार ग्रहण किया तथा इसके प्रभाव को अपने में महसूस किया.