रुद्राक्ष के विषय में उसके गुणों को देखकर उनके महत्व को परिभाषित किया जाता है. रुद्राक्ष को आध्यात्मिक रुप में अधिक उपयोग में लाया जाता है. इसके अतिरिक्त रुद्राक्ष औषधि रुप में भी उपयोग में लाया जाता है इसके अनेक लाभदायक प्रभावों के कारण
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रुद्राक्ष जाबालोपनिषद, शिवपुराण, कालिका पुराण, लिंग पुराण, काल संहिता, निर्णय सिंधु इत्यादि ग्रंथों में रुद्राक्ष के महत्व को अभिव्यक्त किया गया है. इन सभी में भगवान शिव के प्रिय 'रुद्राक्ष' की महत्ता को व्यक्त किया गया है. इनसे हमें
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रुद्राक्ष के वृक्ष भारत समेत विश्व के अनेक देशों में पाए जाते हैं. यह भारत के पहाड़ी क्षेत्रों तथा मैदानी इलाकों में भरपूर मात्रा में मौजूद होते हैं. रुद्राक्ष का पेड़ किसी अन्य वृक्ष की भांति ही होता है, इसके वृक्ष 50 से लेकर 200 फीट तक
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सात मुखी रुद्राक्ष | Saat Mukhi Rudraksha सात मुखी या कहें सप्तमुखी रुद्राक्ष सात माताओं तथा सप्तऋषियों का प्रतिनिधित्व करता है. यह अत्यंत उपयोगी तथा लाभप्रद रुद्राक्ष है इसके उपयोग से धन-संपत्ति, कीर्ति और विजय प्राप्त होती है. सात मुखी
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पंच मुखी रुद्राक्ष | Panch Mukhi Rudraksha पांच मुखी रुद्राक्ष भगवान शिव प्रतिनिधि है इसे कालाग्नि के नाम से जाना जाता है. यह रुद्राक्ष शिव द्वारा नियंत्रित तथा बृहस्पति द्वारा संचालित है. पंचमुखी रुद्राक्ष मानसिक तनाव, शत्रुनाश तथा
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तीन मुखी रुद्राक्ष | Teen Mukhi Rudraksha तीन मुखी रुद्राक्ष अग्नि देव का स्वरूप माना गया है. इस त्रिमुखी मुखी रुद्राक्ष के सत्तारूढ़ ग्रह मंगल हैं. यह रूद्राक्ष स्त्री हत्या जैसे पापों से मुक्ति दिलाता है. इस रूद्राक्ष को पहनने से व्यक्ति
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एकमुखी रूद्राक्ष | Ek Mukhi Rudraksha एक मुखी रुद्राक्ष का प्रतीक भगवान शिव को माना जाता है तथा इस एकमुखी रुद्राक्ष का सतारुढ़ ग्रह सूर्य है अत: सूर्य द्वारा शुभ फलों की प्राप्ति तथा सूर्य की अनुकूलता हेतु इसे धारण किया जाता है. एक मुखी
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रुद्राक्ष अर्थात ‘प्रभु शिव का वास’ हमारे अध्यात्मिक स्वरूप से जुडा रूद्राक्ष हमें भगवान शिव का सानिध्य प्रदान करता है. प्रभु को अपने में धारण करने का मार्ग है यह रुद्राक्ष. इस अति पवित्र वस्तु के होने से हमारे सभी दुख और कलेश दूर हो जाते