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प्रश्न कुण्डली का विवेचन करने से पूर्व हमे इस बात का ध्यान भी रखने की आवश्यकता है की कौन सा ग्रह किस वस्तु एवं स्थिति को दर्शाने वाला होता है. सभी ग्रहों का एक महत्वपूर्ण स्थान होता है. हर ग्रह किसी कारक एवं प्रभाव को लक्षित करने वाला होता
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प्रश्न कुण्डली की विद्या उन व्यक्तियों के लिए बहुत ही फ़ायदेमंद होती है जिन व्यक्तियों को अपने जन्म समय के विषय में उचित रुप से कुछ ज्ञात नहीं होता है. प्रश्न कुंडली आपके प्रश्न का उत्तर बिना जन्म समय और तिथि के देती है. इसमें केवल प्रश्न
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प्रश्न कुण्डली में हर भाव के दो महव होते हैं जिनका बाहरी और आंतरिक रूप से अलग-अलग महत्व होता है. भाव के यह दोनों रूप उसके महत्व को समझाने के लिए काफी व्यापक रूप से काम में आते हैं. वराहमिहीर जी ने अपने ग्रंथ बृहतजातक में भावों के महत्व को
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यदि दो ग्रह एक दूसरे से 1, 4, 7 या 10 की स्थित में हों तो उस मामले में भी घटना घटित हो सकती है लेकिन लगातार संघर्ष व जद्दोजहद के बाद ही कुछ होता है. दो ग्रहों के आपस में सामान्य प्रभाव नहीं हों या 2, 6, 8 और 12 वें भावों में हों, तो उस
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प्रश्न कुण्डली का प्रत्येक भाव जन्म कुण्डली के भावों की भांति ही महत्वपूर्ण होता है. प्रश्न कुंडली हर भाव प्रश्नकर्ता के जवाब को चाहे न दर्शाए किंतु उसके प्रश्न की सार्थकता एवं पूर्ति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. लग्न में स्थित राशि
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प्रश्न कुण्डली का प्रत्येक भाव जन्म कुण्डली के भावों की भांति ही महत्वपूर्ण होता है. प्रश्न कुंडली हर भाव प्रश्नकर्ता के जवाब को चाहे न दर्शाए किंतु उसके प्रश्न की सार्थकता एवं पूर्ति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. लग्न में स्थित राशि
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वैदिक ज्योतिष की अनेक शाखाएं हैं जिनके द्वारा फलित का विचार किया जाता है. इसमें से एक शाखा प्रश्न शास्त्र नाम से है जो एक प्रमुख स्थान पाती है. यह हमें किसी व्यक्ति विशेष के अचानक पूछे गए प्रश्न के आधार पर कि जाती है. प्रश्न शास्त्र एक ऎसी
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जैसा कि पहले चर्चा कर चूके हैं कि प्रश्न कुण्डली में भाव सबसे महत्वपूर्ण कारकों में से एक होता है. सामान्यत: प्रश्न कुण्डली के भाव जन्म कुण्डली की ही भांति होते हैं और इनका अध्ययन भी जन्म कुण्डली के भावों की भांति ही किया जाता है. इनमें भी
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