लाल किताब में आठवां घर मृत्यु व बिमारी का घर कहा गया है. इस घर का स्वामी मंगल है और कारक ग्रह शनि है इसलिए इस घर को शनि-मंगल की सांझी गद्दी कहा जाता है. मंगल ही यहां वृश्चिक का भावेश भी होता है. यह भाव न्याय, बुद्धि तथा दया से हटकर बदले का सिद्धांत अपनाता है. इस भाव में क्षमा के लिए दया या विवेक से काम नहीं लिया जाता है. आठवें घर के कर्मों के फलों का निर्णय चंद्रमा द्वारा होता है. आठवां घर अपनी दृष्टि से दूसरे घर को देखता है. वहीं दूसरा घर छठे घर को और छठा घर बारहवें घर को देखने का काम करता है. इस प्रकार से आठवें घर का प्रभाव दूसरे घर से होते हुए छठे और बारहवें घर तक पहुंचता है.
छठे या आठवें घर में कोई ग्रह पिड़ित हो तो अशुभ फल प्राप्त होते हैं. यह अशुभता 12वें घर को भी प्रभावित करती है. इसलिए 6, 9, 12 घर का विचार एक साथ करना चाहिए तभी बातों का सही अनुमान लगाया जा सकता है. आठवें घर से संबंधित बातों में चंद्रमा सबसे अधिक शक्तिशाली माना गया है. यह स्वग्रही व उच्च का होकर बारहवें घर के अशुभ प्रभावों को मिटा देता है. आठवें स्थान में बैठा ग्रह दूसरे और ग्यारहवें घर में बैठे ग्रहों का शत्रु हो तो वह जबरदस्त प्रभाव देता है.
वर्षफल में अगर ग्यारहवें घर का ग्रह आठवें या बारहवें घर में आ जाए तो ग्यारहवें घर में बैठे ग्रह से संबंधित चीजें घर में लाना अशुभ होता है इससे स्वास्थ्य और धन की हानि होती है. शनि, मंगल या च्म्द्रमा इस घर में अकेले स्थित हों तो सामान्यत: शुभ फल देते हैं. इस घर में बुध सदैव ही मंदा फल देता है. जब तक खाना नम्बर 2 में शनि नही हो तब तक मंगल आष्टम स्थान में बद रहता है.
सूर्य, चंद्रमा और गुरू को अकेले में अष्टम स्थान का दोष नहीं लगता है. अगर यह अकेले कोई दो या तीन मिलकर आठवें घर में बैठ जाएं तो वह जीवन की स्थिति में सुधार दिखाते हैं. यह इस प्रकार होता है कि आठवां भाव दूसरे को देखता है और दूसरा घर 6 को देखता है और 12वें में इसका प्रभाव आता है. इस प्रकार से जब इन तीनों ग्रहों में से कोई भी ग्रह आठवें घर में बैठ जाए तो आठवां घर न ही 12 को देखेगा और न ही पीछे की ओर दूसरे घर को देखेगा. इस तरह से आठवें घर का प्रभाव अपने तक ही सीमित रह जाता है.
आठवें भाव में पाप ग्रह और क्रूर ग्रह रोग के कारक होते हैं आठवां घर मंदा हो तो छठा घर भी मंदा हो जाता है. जब खाना नम्बर आठ, दूसरे और ग्यारहवें घर का शत्रु हो और 8वें घर का ग्रह जब 11वें घर पर देखे तो अवश्य ही मौक पाकर उस पर वार कर सकता है. आठवें घर की मंदी हालत की प्रमुख्य वजह या कहें जड़ चौथा घर होता है. क्योंकि 4, 8 और 12 का त्रिकोण दृष्टि संबंध बनता है. लेकिन चौथे घर का प्रभाव आठवें घर पर दूसरे घर के कारण ही पड़ता है. अत: जब दूसरा घर खाली हो तो आठवें घर की मंद हालत वहीं तक ही सीमित रहती है और आगे नहीं बढ़ती है.
सूर्य का आठवें घर में फल
सूर्य की स्थिति आठवें भाव में होने पर यह जातक एक तपस्वी जैसा होता है. यह सांसारिक सुख में वृद्धि न करे लेकिन आध्यात्मिक उन्नती देने वाला होता है. जातक को दूसरों का झूठ नहीं छुपाना चाहिए क्योंकि ऎसा करना उसी के लिए हानिकारक हो सकता है. अगर सूर्य के मित्र ग्रह चंद्र-बृहस्पति-मंगल लग्न में स्थिति होंगे तो यह सूर्य के लिए उत्तम स्थिति को दिखाएगा. पर अगर व्यक्ति में चोरी की आदत हो तो सूर्य अपने शुभ फल नही दे पाएगा. इस स्थान पर सूर्य की स्थिति होने से जातक पर विषैली चीजों को प्रभाव अधिक देखने को मिल सकता है.
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चंद्रमा का आठवें घर में फल
चंद्रमा का आठवें घर में होना शुभ नही होता है. इस स्थान पर माता के लिए कष्ट देने वाला हो सकता है. लेकिन चंद्रमा संतान के लिए खराब नही होता है. जातक के घर संतान उत्पत्ति को रोकता भी नही है. किसी शत्रु ग्रह के साथ होने पर पैतृक संपदा का लाभ नहीं मिल पाता है.
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मंगल का आठवें घर में फल
मंगल की आठवें घर में स्थिति के कारण परेशानी होती है. मंगल का यहां होना मंगल बद की स्थिति को दिखाता है. वह दृढ़ संकल्प वाला भी होता है, शनि का साथ होने पर परिणाम की चिंता नही करने वाला और परिश्रम में लगे रहना वाला है. शत्रु कितना भी बलवान हो वह उसे रोकने का सामर्थ्य जातक में होता है. न्याय करने वाला भी होता है. गलत चीजों का विरोधी होता है. मंदा मंगल होने पर भाई से अच्छी नही बनती या भाई नहीं होता.
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बृहस्पति का आठवें घर में फल
इस घर के बृहस्पति के कारण व्यक्ति को अपने बुजुर्गों का साथ मिल पाता है. अगर जातक अपने बड़े बुजुर्गों का आदर सम्मान करता है तो उसे जीवन में सफलता भी प्राप्त होती है. आयु में वृद्धि होगी, भाग्य का धनी भी होगा. दैवीय आशीर्वाद और गुढ़ ज्ञान भी मिलेगा. दूसरों का मोहताज नहीं बनता है. अगर बृहस्पति खराब हो तो उसे शत्रुओं से परेशानी होती है. मंगल खराब हो तो व्यक्ति आर्थिक क्षेत्र में नुक्सान अधिक झेलता है.
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बुध का आठवें घर में फल
बुध के आठवें घर में होने से अनुकूल नही कहा जा सकता है. यह व्यक्ति के लिए रोग देने वाला हो सकता है. व्यक्ति किसी न किसी गुप्त रुप से परेशानी का शिकार तो हो ही जाता है. बुध से संबंधित चीजें बुआ, बहन साली सभी का जीवन खराब होगा. कोई न कोई कष्ट बना रह सकता है.
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शुक्र का आठवें घर में फल
शुक्र का आठवें घर में होना व्यक्ति को परिश्रम अधिक करवाने वाला होता है. जातक का साथी कठोर व्यवहार वाला हो सकता है. व्यक्ति के मुंह से निकला वाक्य बहुत प्रभाव शाली होगा उसकी वाणी सत्य सिद्ध भी होगी अर्थात वह जो बेलेगा वह सच भी हो जाएगा. लेकिन उसकी शुभता इतनी अधिक सच नही होगी जितनी की उसकी बुरी बात सच्ची हो जाएगी. जातक के लिए दान लेना भी अच्छा नही होता है.
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शनि का आठवें घर में फल
शनि का प्रभाव यहा सामान्य अनुकूल माना जाता है. जातक लोगों का भला चाहने वाला होता है. आयु देने में सहायक होगा. मृत्यु टालने का काम करेगा. शनि मंगल की तरह फल देने वाला होगा. जैसा मंगल होगा वैसा ही शनि का फल होगा. व्यक्ति अवसर का लाभ उठाने वाला होता है. जातक शराब जैसी बुरी चीजों के प्रति आसक्त अधिक रह सकता है.
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राहु का आठवें घर में फल
राहु यहां अच्छा नही होगा. राहु का प्रभाव व्यक्ति को गलत चीजों से धन देने वाला बनता है. व्यक्ति गलत चीजों से धन कमाने के काम करता है. जातक के कर्म अच्छे न हो पाएं वह अपने गलत कामों से नुक्सान ही पा सकेगा.
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केतु का आठवें घर में फल
केतु की आठवें घर में स्थिति संतान के लिए परेशानी देने वाली होती है. अगर कुण्डली में बुध अच्छा है तो केतु भी अनुकूल होता है. केतु के अच्छे बुरे की स्थिति को खाना नम्बर 12 से देखा जाता है. जातक की आयु लम्बी होती है. व्यक्ति को मृत्यु का बोध पहले ही हो जाता है. गुप्त रोग होने की संभावना भी अधिक होती है.
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