वैदिक ज्योतिष में बहुत से योगों तथा अवस्थाओं का वर्णन मिलता है. इन अवस्थाओं को भिन्न - भिन्न नामों से जाना जाता है. इन अवस्थाओं के नाम के अनुसार ही इनका प्रभाव भी होता है और व्यक्ति को अपने जीवन में ग्रह की इन ज्योतिषीय
                                    
                                
                                        ग्रहों की कई प्रकार की अवस्थाएँ होती हैं. यह अवस्थाएँ ग्रहों के अंश अथवा अन्य कई नियमों के आधार पर आधारित होती हैं. इन्हीं अवस्थाओं में से ग्रहों की एक अवस्था लज्जितादि अवस्थाएँ होती हैं. इन अवस्थाओं के आधार पर ग्रह
                                    
                                
                                        वैदिक ज्योतिष में ग्रहों की कई प्रकार की अवस्थाओं का वर्णन मिलता है. यह अवस्थाएँ ग्रहों के अंश अथवा अन्य कई तरह के बलों पर आधारित होती हैं. बालादि अवस्था में ग्रहों को बल उनके अंशो के आधार पर मिलता है जबकि दीप्तादि में
                                    
                                
                                        वैदिक ज्योतिष में ग्रहो की कई प्रकार की अवस्थाओं का वर्णन मिलता है. यह अवस्थाएँ ग्रहों के अंश अथवा अन्य कई तरह के बलों पर आधारित होती हैं. इन्हीं अवस्थाओं में से ग्रहों की एक अवस्था बालादि अवस्थाएँ होती हैं. जिनमें