शनि अगर आपकी कुंडली में तुला, वृश्चिक या धनु राशि पर है तो ऎसा होगा प्रभाव
तुलागत शनि का योगफल | Saturn Aspecting Libra
तुलागत शनि की स्थिति काफी प्रबल होती है. यह शनि को उचित बल की प्राप्ति होती है तथा वह अपने प्रभावों के अनुरूप प्रभाव दिखाने में सक्षम होता है. व्यक्तित्व, शारीरिक स्वास्थ्य का सामान्य रहता है. जातक को अपने कार्य स्थान में पदोन्नति या वेतन वृद्धि मिल सकती है. व्यक्ति प्रतियोगिताओं में अच्छा करने की पूरी कोशिश करता है. शनि मजबूत स्थिति में हो सफलता प्राप्त होती है. जातक उच्च शिक्षा के लिए विदेश यात्रा की योजना बना सकता है. जातक के खर्च में बढ़ोतरी रहती है तथा इन्हें विदेश यात्राओं के अनेक मौके मिल सकते हैं.
जातक अपने परिवार से दूर हो सकता है कहीं दूर जाकर भाग्योदय होता है. व्यक्ति को दिव्य ज्ञान की प्राप्ति में शनि की यह स्थिति काफी प्रभावशाली रह सकती है.जातक हर विषय पर तर्क-वितर्क कर सकता है. उच्च राशि में होने के कारण बाधाओं के समाप्त होने पर पुन:लाभ प्राप्ति संभावना रहती है. व्यक्ति को दूसरों से धन लाभ हो सकता है, शनि व्यक्ति से सेवा कार्य कराता है जातक कठोर परिश्रम करने वाला, नौकरी पसन्द, दिमागी और शारीरिक कार्य करने में कुशल होता है. जातक सभी प्रकार के उत्तरदायित्व वाली नौकरियां करने वाला होता है.
जातक में धन के प्रति ललक बनी रहती है वह आर्थिक रूप से सदृढ़ रहने की इच्छा रखता है जिसके लिए वह खूब परिश्रम भी करता है. अपनी वाणी से दूसरों को अपनी ओर कर लेने की कला से अवगत होता है तथा कुछल वक्ता के रूप में जाना जाता है. व्यक्ति को परदेस से धन की प्राप्ति होती है तथा सेवकों से भी धन की प्राप्ति का मार्ग सरल होता है. जातक को सभी के समक्ष सम्मान पाने में सफल रहता है तथा इन्हें विद्वान लोगों की संगती का अवसर भी प्राप्त होता है. जातक सलाहकार जैसे कार्यों में विशेष सफलता पाता है और अपने चातुर्य द्वारा योग्य स्थान पाता है.
वृश्चिकगत शनि का योगफल | Saturn Aspecting Scorpio
वृश्चिकगत शनि के होने पर जातक का मन विद्वेष से भरा हो सकता है. वह दूसरों के लिए अहित के कामों में संलग्न रहने वाला हो सकता है. जातक में साहस अधिक रहता है वह दूसरों के समक्ष हार नहीं मानता है. तथा अपनी बात को सर्वथा सही मानता है. व्यक्ति में क्रोध अधिक होता है वह विषम स्वभाव का प्रदर्शन करने वाला होता है. उसे दूसरों से कोई अधिक लगाव नहीं रहता वह स्वयं के विषय में अधिक विचारशील रहने वाला होता है. जातक अपने मन की थाह किसी को नहीं लगने देता है. वह अपने कामों को अपने सामर्थ्य द्वारा पूरा करना चाहता है साथ ही किसी भी प्रकार के जोड़-तोड़ से उसे कर लेना चाहता है.
लालच का भाव इनमें रह सकता है यह किसी भी प्रकार से अपनी इच्छाओं की पूर्ती करना चाहते हैं जिस कारण से लोगों की अवमानना भी सहन करनी पड़ सकती है. जातक को किसी भी कार्य का फल का फल विलम्ब से प्राप्त होता है. इनसे मिलने वाले फल रुक-रुक कर मिलते हैं. शनि देव बाधक ग्रह के रुप में भी जाने जाते है. इसलिये इस स्थिति में फलों की प्राप्ति में बाधाएं आने की संभावना रहती है. जातक में घमंड भी रहता है, वह आसानी से दूसरों के समक्ष हार नहीं मानता है.
व्यक्ति का आचरण दूसरों के धन द्वारा सुख प्राप्ति में लगा रह सकता है. जीवन में प्रसन्नता के मौके कम ही मिलते हैं जिसका एक कारण व्यक्ति के स्वयं की खिन्नता भी होती है. व्यक्ति कई प्रकार के रोगों से त्रस्त रह सकता है तथा कामों में निर्दयी रूप अधिक झलकता है. फिर भी यह अपने कामों को पूरा करने की लग्न लिए होते हैं और आसानी से कोई विचार भी नहीं छोड़ पाते हैं.
धनुगत शनि का योगफल | Saturn Aspecting Sagittarius
शनुगत शनि के होने पर जातक में व्यवहारिकता का गुण खूब होता है. वह ज्ञान को पाने में सफल रहता है और अपने प्रयासों से उच्च शिक्षा को पाने में भी सफल रहता है. जातक को विद्वानों का साथ मिलता है जिसके प्रभाव स्वरूप उसमें अच्छे आचरण की अभिव्यक्ति देखी जा सकती है. जातक शास्त्रों तथा वेदों के अर्थ को समझने में योग्य होता है. जातक को संतती का सुख प्राप्त होता है तथा संतन की ओर से सम्मान और गर्व भी अनुभव होता है.
जातक अपने मनोभावों को कम व्यक्त करता है तथा अपने मन की बात आसानी से किसी को नहीं बताता है., समझदारीपूर्ण कामों को करने में लगा रहता है जिसके कारण दूसरे भी इससे प्रभावित रहते हैं.
"शनिगत स्थिति का योगफल - भाग 1"
"शनिगत स्थिति का योगफल - भाग 2"