सूर्य के भिन्नाष्टकवर्ग की विवेचना | Analysis of Bheenashtakvarga of Sun
सूर्य के भिन्न्ष्टकवर्ग से जातक के शुभाशुभ परिणामों की विवेचना की जाती है. सूर्य को राजा का स्थान प्राप्त है. वह आत्मा है. यह आरोग्य व चेतना शक्ति को दर्शाता है. यदि जन्म कुण्डली में सूर्य बली होकर अधिक बिन्दुओं के साथ स्थित हो तो यह अच्छे फल देने में सक्षम होता है. भिन्नाष्टकवर्ग में सूर्य 0 से 8 तक कोई भी नम्बर किसी भी भाव में दे सकता है. इन अंकों के अनुसार सूर्य का गोचर अलग अलग फल देने में सक्षम होता है.
0 बिन्दु के साथ सूर्य का गोचर मृत्युतुल्य कष्ट देने वाला रह सकता है. इस समय जातक को परेशानियों से जूझना पड़ सकता है.
1 बिन्दु के साथ सूर्य का गोचर होने से जातक को व्यर्थ की चिंताएं सता सकती हैं. किसी कारण से कष्ट या रोग आपको परेशान कर सकता है.
2 बिन्दु के साथ सूर्य का गोचर होने पर धन संपदा का व्यय या हानि कही जाती है. इसके कारण अनावश्यक खर्चे बढ़ सकते हैं. चोरी का भय बना रह सकता है तथा राज्य से विवाद या परेशानी उठानी पड़ सकती है.
3 अंकों अर्थात बिन्दुओं के साथ व्यर्थ का भटकाव झेलना पड़ता है. काम में बार-बार विलंब की स्थिति उभर सकती है. बौद्धिक क्षमता प्रभावित रहती है.
4 बिन्दुओं के साथ सूर्य का गोचर जब प्रभाव डालता है तो जातक को मिले जुले फलों की प्राप्ति होती है. जीवन में कुछ शुभाशुभ फलों का आगमन होता ही है.
5 बिन्दुओं के साथ सूर्य का गोचर औसत से अच्छे फल देने में सहायक बन सकता है. शिक्षा में उच्च स्तर का प्रदर्शन करने की चाह पूर्ण होती है. धर्म कर्म के कार्यों की ओर आसक्ति जागृत होती है.
6 बिन्दुओं के साथ सूर्य का गोचर होने पर जातक को धन-संपत्ति की प्राप्ति होती है. उच्च स्थिति की प्राप्ति होने का मार्ग प्रशस्त होता है. व्यक्ति में साहस की वृद्धि होती है.
7 बिन्दुओं के साथ अधिकार की शक्ति फैसलों को लेने की ताकत आती है. स्वच्छंद होकर फैसले लेने की शक्ति मिलती है. उच्चपद की प्राप्ति होती है. सम्मान प्राप्त होता है. लोगों के मध्य आपका वर्चस्व बढ़ता है.
आठ बिन्दुओं के साथ सूर्य का गोचर अति शुभता देने वाला होता है. राज्य से सुख व सम्मान की प्राप्ति होती है. गौरव बढ़ता है व संबंधों में शालिनता बढ़ती है. गुरूजनों का साथ मिलता है.
यह सभी फल जो कहे गए हैं उन्हें हम यथावत न लेकर उनमें कुछ अन्य बातों को भी समझने की कोशिश करेंगे तो ही इन बिन्दुओं के प्रभावों को समझने में सक्ष्म होंगे. कोई भी ग्रह तभी शुभ फल देने में सक्षम होता है जब वह बली हो.
अपने भिन्नाष्टक वर्ग में 4 से कम बिन्दुओं के साथ होने पर सूर्य बलहीन हो जाता है. जिस कारण विपरित फल देता है.
इसी प्रकार यदि सूर्य अधिकतम बिन्दुओं के साथ लग्न में और शुभ स्थिति में हो तो शुभ फलों की प्राप्ति होती है. सामान्यत: तीसरे, छठे, दसवें और एकादश भाव में सूर्य पिडी़त न हो तो शुभ फल देता है. दशम भाव में बली स्थिति में होने पर 5 बिन्दुओं के साथ गोचर राजयोग देता है. इसी तरह से विभिन्न भावों में ग्रह की स्थिति बल व बिन्दुओं की संख्या जानकर ही फल का निर्धारण किया जा सकता है.