रत्न पहनने के फायदे और धारण विधि
ज्योतिष हो, हस्तरेखा हो, अंकशास्त्र हो या फिर अन्य विद्या हो, सभी में ग्रहों की भूंमिका ही मुख्य मानी गई है. ग्रह मनुष्य जीवन पर प्रत्यक्ष रुप से अपना प्रभाव डालते हैं. व्यक्ति का जीवन उतार-चढ़ाव से भरा होता है लेकिन कई बार परिस्थितियाँ ज्यादा खराब हो जाती है और व्यक्ति के सभी कामो में रुकावटे आना आरंभ हो जाती है. ऎसे में कई विद्वान रत्न धारण करने की सलाह देते हैं. लेकिन इन्हें धारण करने के लिए कुछ आवश्यक बातों का ध्यान रखना जरुरी है. आइए आज इस वेबकास्ट में हम ग्रहो और उससे संबंधित रत्नो के बारे में चर्चा करते हैं.
ग्रह और उनसे संबंधित रत्न | Planets and Gemstones related to them
माणिक्य(Ruby) को सूर्य का रत्न और मोती को चंद्रमा का रत्न माना गया है. मूंगा(coral) रत्न मंगल का और पन्ना(emerald) बुध के लिए होता है. पुखराज(Yellow saphire) बृहस्पति के लिए और हीरा शुक्र के लिए पहना जाता है. शनि के लिए नीलम(Blue Sapphire), राहु के लिए गोमेद(Hassonite), और केतु के लिए लहसुनिया(Cats Eye) पहना जाता है.
रत्नो से संबंधित उपरत्न | Semi-Gemstones related to Gemstones
माणिक्य का उपरत्न सूर्यकान्त मणि और गार्नेट है. मोती का उपरत्न मूनस्टोन है. मूंगा का उपरत्न लाल तामड़ा और पन्ना का उपरत्न एक्वामरिन और हरा जर्कन होता है. पुखराज का उपरत्न सुनैहला(Topaz) और डायमंड का जर्कन और ओपल होता है. नीलम का उपरत्न नीली और लाजवर्त है और गोमेद का अम्बर और तुरसावा तथा लहसुनिया का उपरत्न मार्का है.
रत्नो से संबंधित धातुएँ | Metals related to Gemstones
सूर्य का रत्न माणिक्य सोने में धारण किया जाता है और चंद्रमा का रत्न मोती चाँदी में पहना जाता है. मंगल का रत्न मूंगा सोने या लाल तांबे में और बुध का रत्न पन्ना सोने या कांसा धातु में पहना जाता है.
बृहस्पति के रत्न पुखराज को सोने में और शुक्र के रत्न हीरे को चांदी में पहना जाता है. शनि का रत्न नीलम लोहे या सीसा धातु में और राहु का रत्न गोमेद और केतु का रत्न लहसुनिया पंचधातु में पहना जाता है.
रत्नो और उपरत्नो के बारे मैं तो आपने जान लिया है लेकिन इन रत्नो को किस धातु में पहना जाए यह एक महत्वपूर्ण प्रश्न होता है. आइए अब आपको बताए कि कौन सा रत्न किस धातु में पहना जाता है.
रत्नो को धारण करने का आधार | Principles for wearing Gemstones
रत्नो को धारण करने के बारे मैं सभी के मत भिन्न है. कई विद्वान तो ऎसे हैं जिनका मत है कि कुण्डली में जिस ग्रह की दशा चल रही है उससे संबंधित रत्न पहन लेना चाहिए बेशक वह आपकी कुण्डली के लिए अशुभ ही क्यूं ना हो, लेकिन आप ऎसा नही करें. जन्म कुण्डली के अनुसार केन्द्र/त्रिकोण के स्वामियों के रत्न धारण करने चाहिए.
जन्म कुण्डली में केन्द्र व त्रिकोण के स्वामियो को शुभ माना जाता है, इसमें भी त्रिकोण के स्वामियो को ज्यादा शुभ माना गया है. यदि आपकी जन्म कुण्डली में शुभ स्थान का स्वामी ग्रह कमजोर है तब आप उससे संबंधित रत्न पहन सकते हैं. ग्रह षडबल में कमजोर है, नीच राशि में है या अशुभ ग्रहो के प्रभाव में है अथवा अशुभ भाव में स्थित है तब वह कमजोर कहलाता है.
जन्म कुण्डली के अशुभ भावो के स्वामी का रत्न आप धारण नही करें उन्हें शांत रखने के लिए आप मंत्र जाप करें.
आप में से बहुत से व्यक्ति ऎसे भी होगे जिन्हें अपनी जन्म तारीख तो पता है लेकिन जन्म समय नहीं पता है. ऎसे में जन्म कुण्डली नहीं बनती है तब आपको अपने साथ होने वाली परेशानियों को पहचान कर उससे संबंधित रत्न धारण करना चाहिए. जैसे बिजनेस नहीं चल रहा है या आत्मविश्वास कम है या नौकरी में संतोष नहीं है तब सुख समृद्धि के लिए पन्ना रत्न धारण किया जा सकता है. लेकिन यह तभी करें जब आपकी जन्म कुण्डली नही हैं. यदि जन्म कुण्डली है तब उसके अनुसार रत्न पहनें.
कई विद्वान ऎसे भी हैं जो जन्म कुंडली के ना होने पर हस्त रेखाओ के आधार पर रत्न धारण करने की सलाह देते हैं.
रत्नो को पहनने का समय और तरीका | Right Way and Time to Wear Gemstones
आइए अंत में रत्नो को धारण करने का तरीका भी जान लेते हैं. सभी रत्नो को शुक्ल पक्ष में पहना जाता है. अमावस्या के बाद और पूर्णिमा तक का समय शुक्ल पक्ष कहा जाता है.
हर ग्रह से संबंधित वार भी होता है. जिस दिन जो रत्न पहनना हो उस दिन उस ग्रह की होरा में उसे धारण करना चाहिए. जैसे सूर्य का रत्न शुक्ल पक्ष के रविवार को सूर्य की होरा में पहनना चाहिए. सुबह सूर्योदय से एक घंटे तक संबंधित वार से संबंधित ग्रह की होरा प्रतिदिन होती है. जैसे सोमवार को चंद्रमा और मंगलवार को मंगल की होरा होती है. बाकी ग्रहों की होरा भी इसी तरह होती है. राहु का रत्न शनि की होरा में और केतु का रत्न मंगल की होरा में पहना जाता है.
जिस ग्रह का रत्न धारण करना है वह ग्रह गोचर में भी शुभ राशि में चल रहा हो तब उसका रत्न पहनना चाहिए. यदि ग्रह शुभ राशि में नहीं है तब आप उसके शुभ नवांश में होने पर रत्न पहन सकते हैं.
आप कोई भी रत्न धारण करने से पहले स्नान अवश्य करें तथा स्वच्छ वस्त्र धारण करके पूर्व या उत्तर की ओर मुँह करके एक स्वच्छ आसन पर बैठे.
रत्न को पंचामृत से स्नान कराकर, उसे धूप - दीप दिखाएं, फिर रत्न से संबंधित ग्रह के मंत्र का 108 बार जाप करें. जाप करने के बाद शुद्ध मन से उसे पहन लें.
रत्न धारण करने के लिए मंत्र | Mantras for Wearing Gemstones
- सूर्य का रत्न या उपरत्न धारण करने के लिए “ऊँ घृणि सूर्याय नम:” का मंत्र है.
- चंद्रमा के लिए “ऊँ सों सोमाय नम:” का मंत्र है.
- मंगल के लिए “ऊँ अं अंगारकाय नम:” का मंत्र है.
- बुध के लिए “ऊँ बुं बुधाय नम:” का मंत्र है.
- बृहस्पति के लिए “ऊँ बृं बृहस्पतये नम:” का मंत्र है.
- शुक्र के लिए “ऊँ शुं शुक्राय नम:” का मंत्र है.
- शनि के लिए “ऊँ शं शनैश्चराय नम:” का मंत्र है.
- राहु के लिए “ऊँ रां राहवे नम:” का मंत्र है.
- केतु के लिए “ऊँ कें केतवे नम:” का मंत्र है.
रत्न धारण करने से पहले संबंधित ग्रह का 108 बार मंत्र जाप करना चाहिए.
रत्न किस अंगुली में पहने | In which Finger Should You Wear A Gemstone
किस रत्न को किस अंगुली में पहना जाए यह एक आवश्यक जानकारी है. वैसे तो रत्नो को दाएं हाथ में पहना जाता है लेकिन यदि एक अंगुली में दो रत्न धारण करने पड़े तब आप बाएं हाथ में दूसरा रत्न पहन सकते हैं.
रत्न धारण करते समय यह ध्यान रखें कि वह आपकी त्वचा को छू रहा हो, तभी उस रत्न से संबंधित ग्रह की सकारात्मक ऊर्जा आपके भीतर प्रवेश करेगी और आपको लाभ होगा.