जन्म कुण्डली में दूसरे भाव के फलों को जानने के लिए उनमें सभी विभिन्न भावों में बैठे हुए ग्रहों के कारकों को समझना आना चाहिए तभी उनके फलों को समझना आवश्यक होगा. ग्रह अपने कारक तत्व के अनुसार फल देने में सक्ष्म होते हैं. इसमें से कुछ इस प्रकार हैं कि यदि भाव स्व राशि का स्वामी हो अथवा शुभ ग्रहों से दृष्ट हो तो उत्तम व बलिष्ठ होता है, इसी के द्वारा जातक को अच्छे फलों की प्राप्ति होती है. विभिन्न लग्नों की कुण्डलियों में ग्रह भिन्न-भिन्न फलदायक होते हैं. कुण्डली के बलिष्ठ होने के लिए ग्रह यदि वह उच्चता युक्त या स्वराशि में स्थित हो तो वह शुभ परिणामदायक होंगे.
कुण्डली के दूसरे भाव को द्वितीय भाव भी कहते है. यह भाव पनफर भाव, मारक स्थान भी कहलाता है. द्वितीय भाव को धनभाव, कुटुम्ब स्थान, वाणी स्थान के नाम से भी जाना जाता है. धन भाव होने के कारण इससे धन-संपति का विचार करते हैं. इसके अतिरिक्त वाणी, विचार, कुनबा, संचित सम्पति, शिक्षा, प्रथम स्कूली शिक्षा, दाईं आखं, स्वयं के द्वारा संचित धन, धन से जुडे मामले इत्यादि बातें देखी जाती हैं. दूसरे भाव का कारक ग्रह गुरु हैं, इस भाव में परिवार और धन का प्रतिनिधित्व करते हैं. व्यक्ति की वाणी के लिए बुध का विचार किया जाता है. शुक्र-परिवार, सूर्य और चन्द्रमा से व्यक्ति की आंखों का विश्लेषण किया जाता है.
सूर्य ग्रह | Sun Planet
सूर्य धन भाव में होने पर वाणी में ओज, कुटुंब से धन की आस, लोहे या तांबे की वस्तुओं से धनार्जन करने की ओर प्रवृत रहता है. व्यवहारिक ज्ञान से रहित होता है.
चंद्र ग्रह | Moon Planet
चन्द्र के दूसरे भाव में होने पर व्यक्ति त्याग की भावना युक्त, बुद्धिमान, चंचल मन वाला, सौंदर्य युक्त, यश पाने वाला तथा सहनशील बनता है.
मंगल ग्रह | Mars Planet
मंगल के दूसरे भाव में होने के कारण व्यक्ति सहनशीलता का परिचय देता है बोलने में चतुर हो सकता है, प्रवास से धन प्राप्त कर सकता है, धातु विद होता है. पराक्रम के कार्यों में प्रवृत रहने की कोशिश करने वाला हो सकता है.
बुध ग्रह | Mercury Planet
दूसरे भाव में बुध के स्थित होने से व्यक्ति पितृ भक्त होता है, सुव्यवस्थित होता है, पाप से भयभीत, लम्बे केशवाला, गौरवर्ण वाला होता है. परदेस में निवास करता है. वाणी में मधुरता होती है. लोगों को प्रभावित करने में सक्षम तथा वाचाल होता है.
बृहस्पति ग्रह | Jupiter Planet
दूसरे भाव में बृहस्पति स्थित हो तो व्यक्ति प्रसन्नचित होता है, मित्र की राशि में होने पर सुंदर भार्या को पाता है.
शुक्र ग्रह | Venus Planet
शुक्र के दूसरे भाव में होने पर सौंदर्यवान, आभूषणों एवं वस्त्रों का शौकिन, धनाढ्य, बालक के समान कोमल, मधुरभाषी, दुर्बल, संतती युक्त होता है.
शनि ग्रह | Saturn Planet
शनि के दूसरे भाव में होने के कारण व्यक्ति सहनशील, धन से युक्त होता है. चंचल नेत्रों वाला, चोरी जैसे कामों कि ओर उन्मुख हो सकता है.
राहु ग्रह | Rahu Planet
धन भाव में राहु के होने पर जातक मोह से ग्रस्त रहने वाला, अत्यंत दुख पूर्ण, झूठ बोलने की प्रवृत्ति हो सकती है. मत्स्य व्यापार द्वारा शन पाता है.
केतु ग्रह | Ketu Planet
केतु के दूसरे भाव में होने के सरकार से हानि मिल सकती है, व्यक्ति रोग ग्रस्त व परिवार का विरोधी बन सकता है. परंतु यदि यह कुण्डली में स्वग्रही या उत्तम स्थिति में हो तो अनुकूल फल देने वाला बनता है.