ज्योतिष में चंद्रमा का महत्व | Importance of Moon in Astrology
चन्द्रमा के मित्र ग्रह सूर्य और बुध है. चन्द्रमा किसी ग्रह से शत्रु संबन्ध नहीं रखता है. चन्द्रमा मंगल, गुरु, शुक्र व शनि से सम संबन्ध रखते है. चन्द्र कर्क राशि का स्वामी है. चन्द्र वृ्षभ राशि में उच्च स्थान प्राप्त करता है. चन्द्र वृ्श्चिक राशि में होने पर नीच राशि में होते है. चन्द्र ग्रह उत्तर-पश्चिम दिशाओं का प्रतिनिधित्व करता है. चन्द्र का भाग्य रत्न मोती है. चन्द्र ग्रह का रंग श्वेत, चांदी माना गया है. चन्द्र का शुभ अंक 2, 11, 20 है. चन्द ग्रह के लिए दुर्गा, पार्वती और देवी गौरी की उपासना करनी चाहिए.
चन्द्र ग्रह का बीज मंत्र | Moon’s Beej Mantra
चन्द्र ग्रह का बीज मंत्र " ऊँ स्रां स्रीं स्रौं स: चन्द्रमासे नम: (संकल्प संख्या 11000)
चन्द्र ग्रह का वैदिक मंत्र | Moon’s Vedic Mantra
चन्द्र ग्रह का वैदिक मंत्र इस प्रकार है.
" ऊँ दधिशंखतुषाराभं क्षीरोदार्णवसम्भवम ।
भाशिनं भवतया भाम्भार्मुकुट्भुशणम।। "
चन्द्र की दान योग्य वस्तुएं चावल, दूध, चांदी, मोती, दही, मिश्री, श्वेत वस्त्र, श्वेत फूल या चन्दन. इन वस्तुओं का दान सोमवार के दिन सायंकाल में करना चाहिए.
चन्द्र राशि के व्यक्ति का व्यक्तित्व | Characteristics of a person having Moon sign
चन्द्र राशि लग्न भाव में हो या चन्द्र जन्म राशि हो, अथवा चन्द्र लग्न भाव में बली अवस्था में हो, तो व्यक्ति को कफ रोग शीघ्र प्रभावित करते है, शरीर की गोलाकार प्रकृ्ति का होता है. मन प्रसन्न कर देने वाली आंखे, विनोदी, अतिकामुक, अस्थिर विचारधारा.
चन्द्रमा से प्रभावित | Some areas influenced by Moon
चन्द्र शरीर में बाईं आंख, गाल, मांस, रक्त बलगम, वायु, स्त्री में दाईं आंख, पेट, भोजन नली, गर्भाशय, अण्डाशय, मूत्राशय. चन्द्र कुण्डली में कमजोर या पिडित हो, तो व्यक्ति को ह्रदय रोग, फेफडे, दमा, अतिसार, दस्त गुर्दा, बहुमूत्र, पीलिया, गर्भाशय के रोग, माहवारी में अनियमितता, चर्म रोग, रक्त की कमी, नाडी मण्डल, निद्रा, खुजली, रक्त दूषित होना, फफोले, ज्वर, तपेदिक, अपच, बलगम, जुकाम, सूजन, जल से भय, गले की समस्याएं, उदर-पीडा, फेफडों में सूजन, क्षयरोग. चन्द्र प्रभावित व्यक्ति बार-बार विचार बदलने वाला होता है.
चंद्रमा के बली और निर्बल रुप का प्रभाव | Effects of a Weak and Strong Moon
जन्म कुंडली में चन्द्रमा यदि अपनी ही राशि में या मित्र, उच्च राशि षड्बली ,शुभ ग्रहों से दृष्ट हो तो चन्द्रमा की शुभता में वृद्धि होती है. जन्म कुण्डली में चंद्रमा यदि मजबूत एवं बली अवस्था में हो तो व्यक्ति समस्त कार्यों में सफलता पाने वाला तथा मन से प्रसन्न रहने वाला होता है. पद प्राप्ति व पदोन्नति, जलोत्पन्न, तरल व श्वेत पदार्थों के कारोबार से लाभ मिलता है. यदि चन्द्रमा कृष्ण पक्ष का नीच या शत्रु राशि में हो तथा अशुभ ग्रहों से दृष्ट हो तो चंद्रमा निर्बल हो जाता है. ऎसी स्थिति में निद्रा व आलस्य घेरे रहता है व्यक्ति मानसिक रुप से बेचैन, मन चंचलता से भरा रहता है मन में भय व्याप्त रहता है.