गण्डमूल नक्षत्र का प्रभाव | Effect of Gandmool Nakshatra | Gand Mool Nakshatra Effects

ज्योतिष ग्रंथों में अनेक स्थानों पर गंडांत अर्थात गण्डमूल नक्षत्रों का उल्लेख मिलता है. रेवती नक्षत्र की अंतिम चार घड़ियाँ और अश्वनी नक्षत्र की पहली चार घड़ियाँ गंडांत कही जाती हैं. ज्योतिष शास्त्र  में गण्डमूल नक्षत्र के विषय में विस्तारपूर्वक बताया गया है. जातक पारिजात ,बृहत् पराशर होरा शास्त्र ,जातकाभरणं इत्यादि सभी प्राचीन ग्रंथों में गण्डमूल नक्षत्रों तथा उनके प्रभावों का वर्णन दिया गया है. गण्डमूल नक्षत्रों के सभी चरणों का फल अलग-अलग होता है जो इस प्रकार है.

गण्डमूल नक्षत्र अश्विनी का जातक पर प्रभाव | Effect of Gandmool Nakshatra Ashwini on a native’s life

केतु के पहले गण्डमूल नक्षत्र को अश्विनी नक्षत्र कहा जाता है. अश्विनी नक्षत्र मेष राशि में शून्य अंश से प्रारम्भ होकर तेरह अंश बीस मिनट तक रहता है. जन्म के समय यदि चंद्रमा इन अंशों के मध्य स्थित हो तो यह गण्डमूल नक्षत्र में जन्म का समय माना जाता है. अश्विनी नक्षत्र के प्रथम चरण में जन्म होने पर जीवन में अनेक कठिन परिस्थितियों एवं परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है. पूर्व जन्म के कर्मों का फल इस नक्षत्र चरण में जन्म लेने के रूप में सामने आता है. इस नक्षत्र में जन्म लेने पर बच्चा पिता के लिए थोड़ा कष्टकारी हो सकता है. लेकिन इस कष्ट को किसी भी नकारात्मकता के साथ नहीं जोड़ना चाहिए. इसके लिए कुण्डली के अन्य बहुत से योगों का आंकलन भी किया जाना चाहिए.

अश्विनी नक्षत्र के द्वितीय चरण में जन्म लेने वाले बच्चे को जीवन में सुख व आराम प्राप्त हो सकते हैं.  अश्विनी नक्षत्र के तीसरे चरण में जन्म होने पर जातक  को जीवन के किसी भी क्षेत्र में उच्च पद प्राप्त होने के अवसर प्राप्त हो सकते हैं. जातक मित्रों से लाभ प्राप्त करता है. घूमने-फिरने में उसकी रूचि अधिक हो सकती है या किसी एक स्थान पर टिके रहना उसे अच्छा नहीं लगेगा.

अश्विनी नक्षत्र के चतुर्थ चरण में जन्म लेने पर जातक को राज सम्मान की प्राप्ति अथवा सरकार की ओर उपहार आदि की प्राप्ति हो सकती है. इसके साथ ही जातक को स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतों का सामना करना पड. सकता है.

गण्डमूल नक्षत्र मघा का जीवन पर प्रभाव | Effect of Gandmool Nakshatra Magha on the life of a Native

सिंह राशि के प्रारम्भ के साथ मघा नक्षत्र का आरम्भ होता है. सिंह राशि में जब चंद्रमा शून्य से लेकर तेरह अंश और बीस मिनट तक रहता है तब वह गंडमूल नक्षत्र में कहलाता है. मघा नक्षत्र के प्रथम चरण में यदि किसी बच्चे का जन्म होने से माता को कष्ट होने की संभावना बनती है. इस नक्षत्र के दूसरे चरण में जन्म लेने से पिता को कोई कष्ट या हानि का सामना करना पड़ सकता है. मघा नक्षत्र के तीसरे चरण में जन्म लेने पर बच्चे को जीवन में सुखों की प्राप्ती होने की संभावना बनती है. यदि बच्चे का जन्म मघा नक्षत्र के चौथे चरण में होता है तब उसे कार्य क्षेत्र में स्थायित्व प्राप्त होता है. इस नक्षत्र में जन्म होने के कारण बच्चा उच्च शिक्षा भी ग्रहण करने से पीछे नहीं रहते.

गण्डमूल नक्षत्र मूल का जीवन पर प्रभाव | Effect of Gandmool Nakshatra Mool on the life of a native

जब चंद्रमा धनु राशि में शून्य से तेरह अंश और बीस मिनट के मध्य स्थित होता है तब यह गंडमूल नक्षत्र में आता है. बच्चे का जन्म मूल  नक्षत्र के प्रथम चरण में होने से पिता के जीवन में कई प्रकार के अच्छे- बुरे परिवर्तन होने लगते हैं.

मूल नक्षत्र के द्वितीय चरण में बच्चे का जन्म वैदिक ज्योतिष में माता के लिए अशुभ माना गया है इस चरण में बच्चे का जन्म होने से माता का जीवन कष्टपूर्ण रहने की संभावना बनती है.

मूल नक्षत्र के तीसरे चरण में हुआ हो  तब उसकी संपत्ति के नष्ट होने की संभावना बनती है. इस चरण में जन्म लेने वाले जातक का संपत्ति से वंचित रहना देखा जा सकता है.

मूल नक्षत्र के चतुर्थ चरण में जन्म लेने पर जातक सुखी तथा समृद्ध ही रहता है लेकिन यदि शांति कराई जाये तब ही शुभ फलों की प्राप्ति होती है. इस चरण में जन्म लेने पर बच्चे को अपने जीवन में एक बार हानि उठानी पड़ सकती है.

गण्डमूल नक्षत्र आश्लेषा का जीवन पर प्रभाव | Effect of Gandmool Nakshatra Ashlesha on the life of a native

कर्क राशि में 16 अंश और 40 मिनट से 30 अंश तक आश्लेषा नक्षत्र रहता है. जब चंद्रमा जन्म के समय इन अंशों के मध्य स्थित होता है तब यह गंडमूल नक्षत्र कहा जाता है.

आश्लेषा नक्षत्र के प्रथम चरण में जन्म होने पर किसी तरह का कोई विशेष अशुभ नहीं परंतु धन की हानि उठानी पड़ सकती है यदि इसकी शांति पूजा हो तो यह शुभ फल प्रदान करता है.

आश्लेषा नक्षत्र के द्वितीय चरण में जन्म होने पर बच्चा अपने बहन-भाईयों के लिए कष्टकारी हो सकता है. या जातक अपनी संपत्ति को नष्ट कर सकता है.

आश्लेषा नक्षत्र के तीसरे चरण में जन्म हुआ है तो माता तथा पिता दोनों को ही कष्ट सहना पड़ सकता है.

आश्लेषा नक्षत्र के चतुर्थ चरण में जन्म हुआ है तो पिता को आर्थिक हानि तथा शारीरिक कष्ट सहना पड़ता है.

गण्डमूल नक्षत्र ज्येष्ठा का जीवन पर प्रभाव | Effect of Gandmool Nakshatra Jyeshtha on the life of a native

वृश्चिक राशि में 16 अंश 40 मिनट से 30 अंश तक ज्येष्ठा नक्षत्र होता है. इस समय जब चंद्रमा वृश्चिक राशि में दिए गए अंशों के मध्य स्थित हो तब गंडमूल नक्षत्र होता है.

भारतीय वैदिक ज्योतिषानुसार ज्येष्ठा नक्षत्र को अशुभ नक्षत्रों की श्रेणी में रखा गया है. ज्येष्ठा नक्षत्र के प्रथम चरण में जन्म  लेने से बच्चे के बड़े भाई-बहनों को कई प्रकार के कष्टों को सहना पड़ सकता है.

इसी तरह द्वितीय चरण में जन्म लेना छोटे भाई - बहनों के लिए अशुभ देखा गया है. उन्हें शारीरिक अथवा अन्य कई तरह के कष्ट हो सकते हैं.

इसके तीसरे चरण में जन्म होने पर जातक की माता को स्वास्थ्य की दृष्टि से कष्ट बने रहने की संभावना बनती है.

इस नक्षत्र चरण में जन्म लेने से जातक स्वयं के लिए अच्छा नहीं रहता. उसे कई प्रकार के कष्टों का सामना करना पड़ सकता है. ज्येष्ठा नक्षत्र के चतुर्थ चरण में जन्म लेने वाले व्यक्तियों को जीवन में कठिन परिस्थितियों व जटिलताओं का सामना करना पडता है. इस चरण में जन्म होने के कारण जीवनभर दु:ख और पीड़ा का सामना करना पड़ता है.

गण्डमूल नक्षत्र रेवती का जीवन पर प्रभाव | Effect of Gandmool Nakshatra Rewati on the life of a native

मीन राशि में 16 अंश 40 मिनट से 30 अंश तक रेवती नक्षत्र होता है. जिस समय चंद्रमा मीन राशि में इन अंशों से गुजर रहा हो तब यह समय गंडमूल नक्षत्र का होता है.

यदि जन्म रेवती नक्षत्र के प्रथम चरण में हुआ है तो जीवन सुख और आराम में व्यतीत होता है. जातक आर्थिक रूप से सम्पन्न और सुखी रहता है.

रेवती नक्षत्र के दूसरे चरण में जन्म लेने वाले व्यक्ति अपनी मेहनत, बुद्धि एवं लगन से नौकरी में उच्च पद  प्राप्त करते हैं तथा व्यवसायिक रूप से कामयाब हो जाते हैं. लेकिन फिर भी बच्चे को बड़े होकर कुछ भूमि की हानि हो सकती है.

रेवती नक्षत्र के तीसरे चरण में जन्म होने पर जातक को धन-संपत्ति का सुख तो प्राप्त होता है तथा साथ- साथ धन हानि की भी संभावना बनी रह सकती है.

रेवती नक्षत्र के चतुर्थ चरण में जन्म लेने वाला जातक स्वयं के लिए कष्टकारी साबित होता है. लेकिन मतातन्तर से इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले व्यक्ति अपने माता-पिता दोनों के लिए ही कष्टकारी सिद्ध हो सकते हैं. उनका जीवन काफी संघर्ष से गुजर सकता है.