Articles in Category Muhurta

सूर्य शनि का षडष्टक योग

सूर्य और शनि से बनने वाला षडाष्टक योग परेशानी और मुश्किल स्थिति का समय बताता है. सूर्य और शनि से बनने वाले 6/8 एक्सिस को ही षडाष्टक योग कहा जाता है. ज्योतिष अनुसार कुछ योग नकारात्मक रुप से असर दिखाते

मंगल की होरा और ज्योतिष प्रभाव

होरा का प्रभाव कई मायनों में महत्वपूर्ण है. ज्योतिष में होरा का प्रभाव जीवन को कई तरह से प्रभावित करता है. ऐसे में होरा आर्थिक जीवन, विवाह, सुख या मुहूर्त आदि को प्रभावित करती है. मुहूर्त शास्त्र में

कन्या संक्रांति, सूर्य का कन्या राशि में गोचर

सूर्य का कन्या राशि में जाना कन्या संक्रांति के नाम से जाना जाता है. कन्या संक्रांति में सूर्य का पूजन और राशि का पूजन होता है. इस समय पर सूर्य का बुध के स्वामित्व की राशि कन्या में प्रवेश होता है.

शुक्र का कर्क राशि में गोचर, जाने सभी राशियों के लिए कैसा रहने वाला है?

शुक्र मिथुन राशि से निकल कर कर्क में प्रवेश करने वाले हैं. 6 अगस्त 2024 को शुक्र का कर्क राशि में प्रवेश होगा और वहां पर शुक्र 31 जुलाई तक रहेंगे. . इससे पहले शुक्र मिथुन राशि में गोचर कर रहे थे पर

वक्री मंगल का मेष राशि में गोचर, इन राशियों को रहना होगा संभल कर

वक्री मंगल का मेष राशि में होने का प्रभाव मंगल का मेष राशि में गोचर कई तरह से व्यक्ति को प्रभावित करता है. मंगल एक ऊर्जा से भरपूर ग्रह है. जब वह अपनी राशि में होता है तो उसकी उर्जा ओर अधिक विकसित

वारुणी योग 2024, दुर्लभ और शुभदायक मुहूर्त होता है वारुणी योग

वारुणी योग एक अत्यंत ही शुभ एवं उत्तम गति प्रदान करने वाला समय होता है. हिन्दू पंचांग का एक अत्यंत ही पावन शुभ समय मुहूर्त भी है. यह उन शुभ मुहूर्तों की ही तरह है जो अबूझ मुहूर्त के महत्व को दर्शाते

केतु का वृश्चिक राशि में गोचर, उच्च का केतु बदलेगा भाग्य

वैदिक ज्योतिष शास्त्र में केतु का स्थान छाया ग्रह के रुप में है. इसे ग्रह न समझ कर परछाई कहा गया है. इस छाया ग्रह होने के कारण केतु बहुत ही गहरा असर डालने में सक्षम होता है. राहु ओर केतु यह दोनों ही

शुक्र का मिथुन राशि गोचर 2023 में जाना बदल सकता है आपका भाग्य

शुक्र अपनी स्वराशि वृष से निकल कर मिथुन राशि की ओर संचार करेंगे. शुक्र अपनी स्वराशि को त्यागकर बुध की राशि मिथुन में जाएंगे. शुक्र का बुध की राशि में जाना अनुकूल स्थिति की ओर इशारा करता है. शुक्र ओर

कर्क संक्रांति, सही समय पर किया गया कार्य होगा सफल

सूर्य का मिथुन राशि से निकल कर कर्क राशि में जाना ही “कर्क संक्रांति” कहलाएगा. 16 जुलाई 2023 को सूर्य कर्क राशि में प्रवेश करेंगे. कर्क राशि वालों के लिए सूर्य उनकी राशि में ही गोचर करेंगे. सूर्य

अब मिथुन राशि में बुध होंगे मार्गी, मिल सकते हैं नए मौके

बुध एक ऎसा ग्रह है जो बुद्धि विवेक पर अपना आधिपत्य रखता है. बुध ग्रह का प्रभाव किसी भी व्यक्ति को एक अच्छा जानकार और बेहतर वक्ता बनाने के लिए काफी महत्वपूर्ण हो सकता है. किसी व्यक्ति विशेष, संस्था,

अभी निपटा लें अपने जरुरी काम क्योंकि 18 जुलाई से रुक जाएंगे सभी मांगलिक कार्य

17 जुलाई को मनाई जाएगी देवशयनी एकादशी इस दिन के बाद से सभी प्रकार के विवाह, सगाई, गृह प्रवेश मुहूर्त इत्यादि शुभ मांगलिक कार्यों पर रोक लग जाएगी. आषाढ़ मास की एकादशी के दिन से इन मांगलिक कार्यों पर

2025 में जानें ज्वालामुखी योग कब-कब बनेगा

<p> ज्योतिष में बहुत से योगों का वर्णन मिलता है. इन योगों में अच्छे और बुरे दोनों ही प्रकार के योग मिलते हैं. ज्वालामुखी योग अशुभ योगों में से एक योग है. इस योग में कभी कोई शुभ काम आरंभ नहीं करना

2025 में बनने वाले यमघंटक योग की तिथियां

ज्योतिष में कुछ योगों को अशुभ योगों की श्रेणी में रखा गया है जैसे कक्रय योग, दग्ध योग, कुलिक योग और यमघण्टक इत्यादि योग. यह योग शुभ-मंगल कार्यों को करने के लिए त्याज्य माने जाते हैं अत: शुभ कामों को

नई दुकान या व्यवसाय शुरू करने का शुभ मुहूर्त

काम को लेकर सभी के मन नई-नई योजनाएं बनती ही रहती है. हर व्यक्ति यह चाहता है की जब भी वह कोई नय काम शुरू करे तो उसे उक्त काम में अच्छी सफलता मिले. अपने काम से वह धन और मान सम्मान की प्राप्ति करे और

2024 सर्वार्थ सिद्धि योग । Sarvartha Siddhi Yoga in 2024

किसी भी मुख्य कार्य को करने के लिए ज्योतिष में शुभ मुहूर्त विचार के बारे में बताया गया है. कई बार परिस्थिति वश अथवा समय के अभाव के चलते उपयुक्त समय न मिल पाने के कारण कोई सुनिश्चित या निर्धारित

साल 2025 में बनने वाले गुरु पुष्य योग और रवि पुष्य योग डेट

गुरू पुष्य योग रवि पुष्य योग एक बहुत ही विशिष्ट एवं महत्वपूर्ण योग माना जाता है. ज्योतिष में इस योग की बहुत महत्ता है. इस योग के समय किए गए कार्यों में सफलता एवं शुभता की संभावना में वृद्धि होती है.

निरयण संक्रान्ति प्रवेश काल और पुण्यकाल 2025

वैदिक ज्योतिष के अनुसार सूर्य जब एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करता है तब उस समयावधि को संक्रान्ति कहते हैं. भचक्र में कुल 12 राशियाँ होती हैं. इसलिए सूर्य संक्रान्ति भी बारह ही होती है. इन बारह

साल 2025 में अमृत सिद्धि योग

किसी भी मुख्य कार्य को करने के लिए ज्योतिष में शुभ मुहूर्त विचार के बारे में बताया गया है. कई बार परिस्थिति वश अथवा समय के अभाव के चलते उपयुक्त समय न मिल पाने के कारण कोई सुनिश्चित या निर्धारित

द्विपुष्कर और त्रिपुष्कर योग 2025

ज्योतिष में खरीदारी करने से संबंधित कई योगों के बारे में विवरण मिलता है. जिनमें शुभाशुभ फलों की प्राप्ति हो सकती है. इन्ही योग में से ऎसे दो योग हैं द्विपुष्कर योग और त्रिपुष्कर योग. इन योगों में

जानिए क्या होते हैं प्रदोष व्रत । 2025 में कब और किस दिन होगा प्रदोष व्रत

प्रदोष व्रत त्रयोदशी तिथि को रखा जाता है और इस दिन भगवान शंकर की पूजा की जाती है. यह व्रत शत्रुओं पर विजय हासिल करने के लिए अच्छा माना गया है. प्रदोष काल वह समय कहलाता है जिस समय दिन और रात का मिलन