गुरू पुष्य योग रवि पुष्य योग एक बहुत ही विशिष्ट एवं महत्वपूर्ण योग माना जाता है. ज्योतिष में इस योग की बहुत महत्ता है. इस योग के समय किए गए कार्यों में सफलता एवं शुभता की संभावना में वृद्धि होती है. इसके साथ ही व्यक्ति को सकारात्मक फलों की प्राप्ति होती है.

कैसे बनता है गुरु पुष्य योग

इस योग में गुरु का संयोग होने पर पुष्य नक्षत्र के साथ होने पर ही निर्माण होता है. जिस दिन बृहस्पतिवार हो और उस दिन पुष्य नक्षत्र भी हो तो इन दोनों का संयोग गुरूपुष्य संयोग बनता है.

क्या होता है रवि पुष्य योग

इसी प्रकार जिस दिन रविवार हो और पुष्य नक्षत्र हो रवि पुष्य योग कहलाता है. इन योगों द्वारा व्यक्ति को उसके कार्यों में सफलता प्राप्त होने की संभावना बढ़ जाती है.

पुष्य नक्षत्र का महत्व

पुष्य नक्षत्र को नक्षत्रों में श्रेष्ठ माना जाता है. वहीं पुष्य नक्षत्र को नक्षत्रों में राजा की उपाधि दी गई है. इस नक्षत्र में प्रारंभ किए गए कार्यों का फल बहुत उत्तम प्राप्त होता है. पुष्य नक्षत्र स्थायी होता है अत: इसके समय किए गए कार्यों में स्थायित्व का भाव मौजूद होता है. इस कारण से यदि आपको कुछ ऎसे काम करने हैं जिनमें आप जल्द से बदलाव की इच्छा न रखते हों ओर उसकी स्थिरता की चाह रखते हों तो यह नक्षत्र में करना बेहतर होता है.

इसके साथ ही गुरू(बृहस्पति) को ग्रहों में मंत्री एवं गुरु का स्थान प्राप्त है. इसके साथ ही गुरू की दृष्टि को गंगाजल के समान पवित्र भी माना गया है. गुरु का सानिध्य पाकर कोई भी पवित्रता एवं शुभता को प्राप्त कर जाता है. वहीं सूर्य को राजा का स्थान प्राप्त है. ऎसे में इन दोनों का एक साथ होना सोने पर सुहागा जैसी स्थिति को साकार करने वाला होता है.

2025 में बनने वाले गुरुपुष्य योग और रवि पुष्य योग तिथियां

गुरुपुष्य योग तिथियाँ 2025

प्रारंभ काल समाप्तिकाल
दिनाँक समय (घं. मि.) दिनाँक समय (घं. मि.)
24 जुलाई 16:43 25 जुलाई 05:42
21 अगस्त 05:57 22 अगस्त  24:08 
18 सितंबर 06:10 18 सितंबर सूर्योदयकाल

रवि पुष्य योग तिथियां 2025

प्रारंभ काल समाप्तिकाल
दिनाँक समय (घं. मि.) दिनाँक समय (घं. मि.)
09 मार्च  11:55 10 मार्च सूर्योदयकाल
06 अप्रैल सूर्योदयकाल 07 अप्रैल  सूर्योदयकाल
04 मई सूर्योदयकाल 04 मई 12:53