Articles in Category Basic Astrology
कुण्डली के बारह भावों में मुंथा
वर्ष कुण्डली में मुंथा का अत्यधिक उपयोग किया जाता है. जन्म कुण्डली में मुन्था सदैव लग्न में स्थित रहती है और प्रत्येक वर्ष मुंथा एक राशि आगे बढ़ जाती है. मुंथा नवग्रहों के समान ही महत्व रखती है.
शुक्र अगर वक्री हो जाये तो क्या होगा? देखिये
शुक्र ग्रह मान सम्मान, सुख और वैभव, दांपत्य सुख एवं भोग विलासिता के प्रतीक माने जाते हैं. साधारणत: यदि यह पाप ग्रह से युक्त या दृष्ट न हों तो जातक को हंसमुख एवं विनोद प्रिय बनाते हैं. जातक मिलनसार और
सभी ग्रहों के लिये सही रत्न और उनके सस्ते विकल्प
विभिन्न ग्रहों के रत्न | Gemstones for Different Planets सूर्य - माणिक्य, चन्द्र - मोती, मंगल - मूँगा, बुध - पन्ना, बृहस्पति - पुखराज, शुक्र - हीरा, शनि - नीलम, राहु - गोमेद, केतु - लहसुनिया. विभिन्न
कुण्डली में होरा का महत्व
वैदिक ज्योतिष में कई वर्ग कुण्डलियों का अध्ययन किया जाता है. कुण्डली का अध्ययन करते समय संबंधित भाव की वर्ग कुण्डली का अध्ययन अवश्य करना चाहिए. जिनमें से कुछ वर्ग कुण्डलियाँ प्रमुख रुप से उल्लेखनीय
बुध अगर वक्री हो तो ये जानना जरूरी है
वक्री ग्रहों की दशा में देशाटन, व्यसन एवं अत्यधिक भागदौड. जन्मांग में जो ग्रह वक्री होता है वह अपनी दशा एवं अन्तरदशा में प्रभावशाली फल प्रदान करने वाला बनता है. बुध ग्रह के वक्री होने पर मिलेजुले
कैसे बना जैमिनी ज्योतिष और क्या ये सही है?
जैमिनी ज्योतिष शास्त्र ज्योतिष शास्त्र के ग्रंथों में एक प्रमुख भूमिका निभाता है. जैमिनी ज्योतिष महर्षि जैमिनी की देन है. जैमिनि ज्योतिषशास्त्र ऐसा ज्ञान है जो भूत, भविष्य और वर्तमान तीनों कालों को
क्या आपकी कुण्डली में राजयोग है? ऐसे जानिये
वैदिक ज्योतिष अत्यधिक व्यापक क्षेत्र है. कुण्डली का विश्लेषण करना चुनौती भरा काम होता है. किसी भी कुण्डली को देखने के लिए बहुत सी बातों का विश्लेषण करके तब किसी नतीजे पर पहुंचना चाहिए. कुण्डली
हल योग और उसका आप पर प्रभाव
हल योग अपने नाम के अनुसार ही दिखाई भी देता है. हल जो भूमि को खोदकर उसमें से जीवन का रस प्रदान करता है और उसी को पाकर ही जीव अपने जीवन को बनाए रखने में सफल होता है यही हल योग जब कुण्डली में निर्मित
कुण्डली में यूप योग
ज्योतिष में हजारों योगों के विषय में उल्लेख प्राप्त होता है. कुण्डली में बनने वाले अनेक योग किसी न किसी प्रकार से जीवन को अवश्य प्रभावित करते हैं. यूप योग लग्न से चतुर्थ भाव अर्थात कुण्डली के पहले
उच्च ग्रह की दशा अगर चल जाये तो इस प्रकार जीवन बदल जायेगा
ग्रहों का दशाफल अनेक प्रकार से अपने प्रभावों को दर्शाता है. ग्रह के दशाफल का अंतर सप्ष्टता से देखा जा सकता है क्योंकि कोई एक ग्रह यदि उच्च का है तो उसके प्रभावों में शुभता अधिक देखी जा सकती है लेकिन
कुण्डली के बारह भावों की महादशा | Mahadasha of the twelve house of Kundali
कुण्डली के प्रत्येक भाव की महादशा भिन्न भिन्न फल प्रदान करने वाली होती है. बारह भावों में स्थित शुभ और अशुभ प्रभाव जातक के जीवन को पूर्ण रूप से प्रभावित करते हैं. प्रत्येक भाव अनुसार महादशा के
राहु ग्रह आपके लिये कैसा है? ज्योतिष द्वारा जानिये
राहु के विषय में अनेकों कथाएँ शास्त्रो तथा पुराणों में मिलती है. राहु की जानकारी ब्रह्म पुराण, विष्णु पुराण, मत्स्य पुराण, ऋग्वेद, महाभागवत तथा महाभारत आदि में मिलती है.राहु को ग्रहों में क्रूर
कूर्म योग | Kurma Yoga | Yoga in a Kundali | Kurma Yoga Effects
कूर्म योग अपने नाम की सार्थकता को इस प्रकार व्यक्त करता है कि कुण्डली में बनने वाला यह योग कूर्म के समान दिखाई देता है. जिस प्रकार कूर्म के पैर अनेक दिशाओं में फैले हुए से रहते हें उसी प्रकार इस योग
शनि और मंगल का योग | Yoga of Saturn and Mars
सभी ग्रह समय - समय पर अपनी राशि परिवर्तित करते रहते हैं. सभी ग्रहों का एक राशि में भ्रमण का समय अलग ही होता है. कोई शीघ्र राशि बदलता है तो कई ग्रह लम्बी अवधि तक एक ही राशि में रहते हैं. सभी नौ ग्रहों
शनि के मार्ग परिवर्तन का आपके जीवन पर प्रभाव
शनि देव मार्गी हो रहे हैं और इसी के साथ ही मंगल ग्रह के साथ एक ही राशि में युति करते हुए दिखाई देंगे. इन दो मुख्य बदलावों के फलस्वरुप कुछ प्रमुख घटनाएं अवश्य ही अपना प्रभाव दिखाएंगी. ज्योतिष के
नवग्रह | Navagraha | Nine Planets
ज्योतिष में राशि चक्र में नवग्रहों मंगल, बुध, बृहस्पति,शुक्र, और शनि, सूर्य, चंद्रमा, राहू और केतु का जातक के जीवन और संपूर्ण सृष्टी पर गहरा प्रभाव पड़ता है. ज्योतिष के अनुसार ब्रह्माण को यह नव ग्रह
दान द्वारा ग्रहों को अनुकूल कैसे करें
ग्रहों के लिए क्या-क्या दान करना चाहिए इसके उनसे संब्म्धित वस्तुओं के बारे में जानकारी होना अत्यंत आवश्यक है. ग्रहों से संबंधित वस्तुओं का दान करके आप उनके शांति उपाय उपयोग में ला सकते हैं जिससे उनके
चामर योग | Chamar Yoga | Chamar Yoga in Kundli
जातक परिजात के अनुसार “लग्नेश केन्द्रगते स्वतुग्डें जीवेक्षिते चामरनाम योग:” अर्थात कुण्डली में यदि लग्नेश उच्च राशि में स्थित होकर केन्द्र में हो और यह योग केवल मेष, मिथुन कन्या, मकर लग्न में उपन्न
कलानिधि योग | Kalanidhi Yoga | Kalanidhi Yoga in a Kundali
फलित ज्योतिष में योगों का बहुत महत्व रहता है. फलित करते समय योगों की विवेचना द्वारा जातक के जीवन में होने वली घटनाओं और परिस्थितियों का बोध होता है. योगों के निर्माण में एक से अधिक ग्रह जब युति,
दशा फल विचार | Results of Dashas
कई बार जन्म कुण्डली में शुभ योग होने पर भी जातक को शुभ फलों की प्राप्ति नही हो पाती. जन्म कुण्डली शुभ होने पर भी जातक के जीवन में कभी तो दशा या गोचर में ग्रहों की स्थिति विषम हो जाती है कि जीवन में