Articles in Category Rashi
मुंथा क्या है और इसको अपनी कुण्डली में कैसे देखें?
वर्ष कुण्डली में गणना के संदर्भ में मुंथा का अत्यधिक उपयोग किया जाता है. जन्म कुण्डली में मुन्था सदैव लग्न में स्थित रहती है और हर वर्ष यह एक राशि आगे बढ़ जाती है. उदाहरण के लिए यदि किसी का जन्म मेष
वर्ग कुण्डलियाँ | Varga Kundali
ज्योतिष में कई वर्ग कुण्डलियों का अध्ययन किया जाता है. लग्न कुण्डली मुख्य कुण्डली होती है जिसमें 12 भाव स्थिर होते हैं और इन बारह भावों के बारे में विस्तार से जानने के लिए वर्ग कुण्डलियों का
कलानिधि योग | Kalanidhi Yoga | Kalanidhi Yoga in a Kundali
फलित ज्योतिष में योगों का बहुत महत्व रहता है. फलित करते समय योगों की विवेचना द्वारा जातक के जीवन में होने वली घटनाओं और परिस्थितियों का बोध होता है. योगों के निर्माण में एक से अधिक ग्रह जब युति,
कुण्डली में कुसुम योग | Kusum Yoga in a Kundali | Kusum Yoga
ज्योतिष शास्त्र में कुसुम योग का महत्व विस्तार पूर्वक बताया गया है. कुसुम योग बनने के प्रभाव स्वरुप व्यक्ति का जीवन किस प्रकार से प्रभावित होता है इस तथ्य को अनेक ज्योतिष से संबंधित पुस्तकों में जाना
शनि शांति के ज्योतिष द्वारा आसान उपाय - खुद करें
ज्योतिष शास्त्रों में शनि की व्याख्या अधिक की गई है, शनि की महादशा और शनि की साढेसाती से हर व्यक्ति प्रभावित होता है. शनि व्यक्ति को जीवन के उच्चतम शिखर या निम्नतम स्तर में बिठा सकते है. ज्योतिष
कुण्डली से जाने संतान सुख का योग | Yogas for a Child in a kundali
कुण्डली में स्थित ग्रहों कि स्थिति के द्वारा संतान सुख के विषय में जाना जा सकता है. किसी की कुण्डली में ग्रहों की ऐसी स्थिति होती है जो उन्हें कई संतानों का सुख देती है. तो किसी कि कुण्डली संतान में
आपका कौन सा ग्रह बली है? राशि और ग्रहबल के बारे में जानिये
ज्योतिष में ग्रहों और राशियों को अनेक प्रकार के बल प्राप्त हैं. इन बलों के आधार पर ग्रहों एवं राशियों की स्थिति एवं उसके अच्छे एवं बुरे प्रभावों को जाना जा सकता है. वैदिक ज्योतिष में ग्रहों और
कुंडली कैसे मिलायें? अपनी कुंडली स्वयं मिलाएं इस तरीके से
हिन्दू धर्म में विवाह करने से पूर्व वर-वधू दोनों की कुण्डलियों का मिलान किया जाता है. कुण्डली मिलान में बहुत सी बातों का विचार किया जाता है जिसमें से मांगलिक योग, अष्टकूट मिलान तथा दशाक्रम इत्यादि को
मंगल का ज्योतिष में महत्व | Importance of Mars in a Kundali
ज्योतिष में मंगल ग्रह को मुख्य तौर पर एक सेनापती के रुप में दर्शाया गया है. यह ताकत, साहस और पौरुष का कारक है. मंगल ग्रह शारीरिक तथा मानसिक शक्ति और ताकत का प्रतिनिधित्व करता है. मंगल के प्रबल प्रभाव
कुण्डली मिलान में दोष परिहार - किन कारणों से आपकी कुण्डली के दोष खत्म होते हैं
वैदिक ज्योतिष में विवाह पूर्व कुंडली मिलान पर बल दिया गया है. कुंडली मिलान के माध्यम से वर-वधु की कुंडलियों का आंकलन किया जाता है ताकि वह जीवनभर एक-दूसरे के पूरक बने रहें. लेकिन वर्तमान समय में केवल
अष्टकूट मिलान | Ashtakoot Milan | Koot Milan | Guna Milan
वर्ण विचार | Varna Vichar कर्क, वृश्चिक और मीन राशियों का ब्राह्मण मेष, सिंह और धन राशियों का क्षत्रिय, वृष, कन्या और मकर राशियों का वैश्य और मिथुन , तुला, कुम्भ राशियां शुद्र वर्ण में आती हैं. वर
राशि के अनुसार नाम का चयन | Choosing a name based on astrological signs
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार मनुष्य के जीवन पर बारह राशियों का महत्वपूर्ण प्रभाव होता है. इन्हीं बारह राशियों के आधार पर जन्म नाम का निर्धारण होता. जन्म कुण्डली में चन्द्रमा जिस राशि में स्थित होता है,
ज्योतिष में सप्तांश कुण्डली आपके जीवन पर क्या प्रभाव करती है ये जानना बहुत जरूरी है
जन्म कुण्डली के पंचम भाव से संतान के बारे में पूर्ण रुप से विवेचन किया जाता है. इसी पंचम भाव के सूक्ष्म अध्ययन के लिए वैदिक ज्योतिष में सप्तांश कुण्डली का आंकलन किया जाता है. जन्म कुण्डली का पंचम भाव
ज्योतिष के द्वारा अपनी शिक्षा का विश्लेषण कैसे करें? गाइड
वैदिक ज्योतिष द्वारा हम कुण्डली में स्थित शिक्षा के योग के बारे में भी जान सकते हैं. जातक की शिक्षा कैसी होगी और वह शैक्षिक योग्यता में किन उचाइयों को छूने में सक्षम हो सकेगा. आज के समय में सभी अपनी
ज्योतिष और स्वास्थ्य | Astrology and Health
चिकित्सा ज्योतिष के विषय में ज्योतिष शास्त्र में बहुत कुछ लिखा गया है. कुछ नियम पुराणों में भी दिए गए हैं. विष्णु वेद-पुराण के अनुसार भोजन करते समय जो नियम दिए गए हैं वह हमें बताते हैं कि भोजन करते
क्या रत्न सचमुच आपका भाग्य बदल सकते हैं? बिना लाग-लपेट के जानिये
सृष्टि में विभिन्न प्रकार के रत्नों का भण्डार मानव को कल्याणकारी मंगल कामनाओं के साथ वरदान स्वरूप प्राप्त हुआ है. व्यक्ति रत्नों को अपने भाग्य को चमकाने के लिए धारण करता है, रत्न द्वारा वह स्वयं को