Articles in Category Yoga
नवमांश में शुक्र का विभिन्न भावों में शुक्र का परिणाम
नवमांश कुंडली में शुक्र का प्रभाव रिश्तों और विवाह संबंधों के लिए महत्वपूर्ण हो जाता है. शुक्र ग्रह वैवाहिक जीवन, प्रेम और रिश्तों की स्थिति को दर्शाता है. शुक्र ज्ञान में परिष्कार करने वाला होता है.
वृषभ राशि में गुरु वक्री 2024 : विचारों में होगा वक्रता का असर
बृहस्पति का वक्री होना एक ज्योतिषिय घटना है. वृष राशि में गुरु का वर्की होना अच्छी स्थिति नहीं है. गुरु के वृष राशि में वक्री होने की घटना व्यक्ति के जीवन में नए बदलावों का संकेत देती है. अब जिद ओर
नव तारा चक्र : जानें नवतारा चक्र में शुभ अशुभ तारा
वैदिक ज्योतिष में जन्म नक्षत्र उस नक्षत्र को कहते हैं जिसमें चंद्रमा जन्म के समय स्थित होता है. सत्ताईस नक्षत्र इस प्रकार हैं : अश्विनी नक्षत्र , भरणी नक्षत्र, कृतिका नक्षत्र, रोहिणी नक्षत्र, मृगशिरा
भाव चलित कुंडली और उसका प्रभाव
ज्योतिष की विद्याओं में कई तरीके से कुंडली का अध्ययन किया जाता है. इसी में से एक तरीका भाव चलित कुंडली की जांच से भी देखा जाता है. ज्योतिष में कुंडली का विश्लेषण करते समय यदि चलित कुंडली से कुंडली
कुंडली में त्रिषडाय भाव घातक भाव स्थान
ज्योतिष अनुसार जन्म कुंडली के सभी 12 भावों का जीवन पर खास प्रभाव होता है. इसी में से कुछ भाव त्रिषडाय कहलाते हैं जो कष्टदायक माने गए हैं. कुंडली का तीसरा भाव, छठा भाव और ग्यारहवां भाव
सूर्य शनि का षडष्टक योग
सूर्य और शनि से बनने वाला षडाष्टक योग परेशानी और मुश्किल स्थिति का समय बताता है. सूर्य और शनि से बनने वाले 6/8 एक्सिस को ही षडाष्टक योग कहा जाता है. ज्योतिष अनुसार कुछ योग नकारात्मक रुप से असर दिखाते
त्रिपाद नक्षत्र क्यों हैं अनिष्टकारी
ज्योतिष शास्त्र में कुछ नक्षत्रों को त्रिपाद नक्षत्र के रुप में जाना जाता है. इन नक्षत्रों का प्रभाव जीवन में कई तरह के उता्र-चढ़ाव देने वाला भी होता है.त्रिपाद नक्षत्र को दोष के रुप में भी जाना जाता
सूर्य-शनि का समसप्तक योग : दुर्घटनाओं और असहमति का समय
सूर्य और शनि से बबने वाले योगों का असर कष्ट और परेशानी को अधिक देने वाला होता है. जब भी इन दो विरोधी ग्रहों का योग किसी भी तरह से हो रहा हो तब तब परिस्थितियां बेहद पेचीदा दिखाई देने लगती हैं. अब इसी
Signature Astrology: सिग्नेचर हस्ताक्षर ज्योतिष खोल सकता है आपकी पर्सनालिटी के राज
ज्योतिष की विभिन्न शाखाओं में सिग्नेचर ज्योतिष जिसे हस्ताक्षर ज्योतिष के नाम से भी जाना जाता है, आपके जीवन पर असर दालता है. आपके व्यक्तित्व को समझने में मदद करता है. हस्ताक्षर ज्योतिष काफी गहन
मांगलिक दोष के बुरे प्रभावों को दूर करने के लिए कुंभ विवाह कितना कारगर
हम सभी ने प्रसिद्ध मांगलिक दोष के बारे में सुना है. ज्योतिष भविष्यवाणियों में जब भी मंगल दोष की बात आती है तो इसको सुनकर एक तरह का डर भी देखने को अधिक मिलता है. लोग मंगल दोष से सबसे अधिक डरते हैं.
शुक्र का सिंह राशि में प्रवेश बढ़ सकती हैं मुश्किलें
शुक्र का गोचर सिंह राशि में होने पर इसका परिणाम कई मायनों में खास होता है. सूर्य के स्वामित्व की सिंह राशि के लिए, शुक्र का गोचर जीवन में बहुत सारे बदलाव लाने वाला होता है. इसके कारण कुछ परेशानियां
सूर्य की होरा का ज्योतिष अनुसार प्रभाव
होरा का असर कई मायनों में महत्व रखता है. ज्योतिष में होरा का असर कई तरह से जीवन पर असर डालता है.ऎसे में होरा आर्थिक जीवन, विवाह, सुख या मुहूर्त इत्यादि पर अपना असर डालने वाला होता है. मुहूर्त शास्त्र
शनि के साथ मंगल का षडाष्टक होना देता है गंभीर प्रभाव?
शनि और मंगल से बनने वाला षडाष्टक योग कई तरह से कुंडली पर अपना असर डालता है. सामान्य रुप से यह एक विपरित स्थिति को ही अधिक दर्शाता है. यह खराब योगों के रुप में जाना जाता है. ग्रह की ये स्थिति कई बार
मंगल के साथ राहु का क्यों बनाता है दुर्घटना का योग
कुंडली में मंगल और राहु एक साथ होने पर दुर्घटना का योग बनाता है. यह एक ऐसा ज्योतिषीय योग है जिसे नकारात्मक योगों की श्रेणी में रखा जाता है. यह वैदिक ज्योतिष में कई चुनौतियों को दर्शाता है. यदि राहु
नौकरी में कब होगा बदलाव जानें अपनी कुंडली से
कार्यक्षेत्र में होने वाले बदलाव कई तरह के हो सकते हैं. यह कभी अच्छे तो कभी खराब या फिर सामान्य रुप से अपना असर डालने वाले होते हैं. नौकरी में प्रगत्ति के लिए कई बार व्यक्ति बदलाव को चुनते हैं तो कुछ
लग्न अनुसार जाने कैसा होगा आपके भाग्य और कर्म का संबंध
कुंडली में लग्न का प्रभाव काफी महत्वपूर्ण माना गया है. यह व्यक्ति के लिए मूल गुण को दर्शाता है जो जीवन के हर पहलू पर अपना असर डालता है. लग्न में मौजूद जो राशि होगी वह महत्व पूर्ण होगी. इसी के द्वारा
चंद्रमा के साथ गुरु का योग भाग्य को बनाता है प्रबल
चंद्रमा के साथ गुरु का होना एक अनुकूल स्थिति का निर्देश देने वाला सिद्धांत है. यह दोनों ग्रह बेहद शुभ माने जाते हैं. चंद्रमा एक शीतल प्रधान ग्रह है वहीं गुरु शुभता प्रदान करने वाला ग्रह है. इन दोनों
गुरु आदित्य योग का कुंडली में क्या होता है असर
वैदिक ज्योतिष के अनुसार गुरु के साथ आदित्य अर्थात सूर्य का होना गुरु आदित्य योग का निर्माण करता है. सूर्य राजा ग्रह है. सूर्य आत्मा, अधिकार, अहंकार, पिता और आत्मविश्वास का प्रतिनिधित्व करता है.
बुध का अन्य ग्रहों से संबंध क्यों है विशेष
बुध का कुंडली में अस्थित्व जीवन के उन पहलुओं से होता है जो हमें सामाजिक रुप से एवं विश्लेषणात्मक रुप से महत्वपूर्ण बनाते हैं बुध के मित्र ग्रहों में सूर्य और शुक्र का स्थान विशेष रुप से आता है. इसके
मेष राशि में सूर्य-राहु का गोचर और सभी राशियों पर इसका असर
मेष राशि में सूर्य और राहु का योग कई तरह के असर दिखाने वाला समय होता है. किसी भी युति का निर्माण तब होता है जब दो या दो से अधिक ग्रह एक दूसरे के निकट होते हैं. या वह एक राशि भाव में स्थित होते हैं.