Articles in Category Yoga
ज्योतिष में सप्तांश कुण्डली आपके जीवन पर क्या प्रभाव करती है ये जानना बहुत जरूरी है
जन्म कुण्डली के पंचम भाव से संतान के बारे में पूर्ण रुप से विवेचन किया जाता है. इसी पंचम भाव के सूक्ष्म अध्ययन के लिए वैदिक ज्योतिष में सप्तांश कुण्डली का आंकलन किया जाता है. जन्म कुण्डली का पंचम भाव
द्वादशांश कुंडली को कैसे देखें? यहां जानिये
द्वादशांश को D-12 कुण्डली भी कहा जाता है. द्वादशांश कुण्डली द्वारा माता-पिता के विषय में विस्तृत जानकारी प्राप्त होती है. इस कुण्डली का अध्ययन करने से माता पिता के जीवन के उतार चढावों के बारे में
ज्योतिष के द्वारा अपनी शिक्षा का विश्लेषण कैसे करें? गाइड
वैदिक ज्योतिष द्वारा हम कुण्डली में स्थित शिक्षा के योग के बारे में भी जान सकते हैं. जातक की शिक्षा कैसी होगी और वह शैक्षिक योग्यता में किन उचाइयों को छूने में सक्षम हो सकेगा. आज के समय में सभी अपनी
ज्योतिष द्वारा ग्रह कलह से मुक्ति कैसे पायें (आसान उपाय)
गृहस्थ जीवन में सुख की चाह हर व्यक्ति के मन में समाई हुई होती है. जीवन का सच्चा सुख व्यक्ति को हर राह पर आगे ही लेकर जाता है परंतु परिवार में व्याप्त कलह - कलेश व्यक्ति के जीवन को कठीनाईयों एवं
कुण्डली से जाने व्यवसाय में सफलता | Kundali informs about success of business
व्यवसाय में कैसी स्थिति रहेगी इस विषय का आंकलन ज्योतिष द्वारा किया जा सकता है. ग्रहों की किस प्रकार की दृष्टि, युति या स्थान परिवर्तन कैसा हो रहा है, इन सभी तथ्यों के आधार पर कारोबार में सफलता-असफलता
केमद्रुम योग कैसे बनता है और उसका प्रभाव क्या होता है
केमद्रुम योग ज्योतिष में चंद्रमा से निर्मित एक महत्वपूर्ण योग है. वृहज्जातक में वाराहमिहिर के अनुसार यह योग उस समय होता है जब चंद्रमा के आगे या पीछे वाले भावों में ग्रह न हो अर्थात चंद्रमा से दूसरे
क्या आप व्यवसाय में सफल होंगे? ज्योतिष द्वारा जानिये
कुण्डली के बारह भावों में जलग्न को प्रमुख स्थान दिया जाता है. जातक परिजात के अनुसार लग्न, लग्नेश एवं लग्न के कारक सूर्य के बलवान होने पर जातक सुख सुविधा से संपन्न जीवन व्यतीत करता है. लग्न पर यदि
कुण्डली में विवाह योग कैसे बनते हैं | How are marriage yogas formed in a Kundali | Marriage Yogas in Kundali | Marriage Yogas
विवाह के समय का निर्धारण करने में कुण्डली में बन रहे योग विशेष भूमिका निभाते है. किसी व्यक्ति को वैवाहिक जीवन में कितना सुख मिलेगा यह सब कुण्डली के योगों पर निर्भर करता है. शुभ ग्रह, शुभ भावों के
गण्डमूल नक्षत्र का प्रभाव | Effect of Gandmool Nakshatra | Gand Mool Nakshatra Effects
ज्योतिष ग्रंथों में अनेक स्थानों पर गंडांत अर्थात गण्डमूल नक्षत्रों का उल्लेख मिलता है. रेवती नक्षत्र की अंतिम चार घड़ियाँ और अश्वनी नक्षत्र की पहली चार घड़ियाँ गंडांत कही जाती हैं. ज्योतिष शास्त्र
पितृ दोष के विशेष योग और उपाय | Yogas for Pitra Dosha and Remedies for it
जन्म के समय व्यक्ति अपनी कुण्डली में बहुत से योगों को लेकर पैदा होता है. यह योग बहुत अच्छे हो सकते हैं, बहुत खराब हो सकते हैं, मिश्रित फल प्रदान करने वाले हो सकते हैं या व्यक्ति के पास सभी कुछ होते
क्या आप धनवान बनेंगे? अपनी कुण्डली से स्वयं जानिये
ज्योतिषशास्त्र की दृष्टि में धन वैभव और सुख के लिए कुण्डली में मौजूद धनदायक योग या लक्ष्मी योग काफी महत्वपूर्ण होते हैं. जन्म कुण्डली एवं चंद्र कुंडली में विशेष धन योग तब बनते हैं जब जन्म व चंद्र
कुण्डली में अरिष्ट योग | Reasons for the formation of inauspicious yogas in a Kundali
जन्मकुंडली के माध्यम से जातक के अरिष्ट होने के योग या कारण को जाना जा सकता है. जन्मकुंडली में ग्रह स्थिति, गोचर तथा दशा-अन्तर्दशा से अरिष्ट योगों को समझा जा सकता है. रोगों का विचार अष्टमेश और आठवें
क्या होता है गण्डमूल नक्षत्र और क्या होगा उसका प्रभाव
वैदिक ज्योतिष के अनुसार भचक्र में कुल 27 नक्षत्र होते हैं. इन सत्ताईस नक्षत्रों में कुछ नक्षत्र ऎसे होते हैं जिनका क्षेत्र अति संवेदनशील होता है और इन्हीं नक्षत्रों को गण्डमूल नक्षत्र कहा जाता है.
क्या रत्न सचमुच आपका भाग्य बदल सकते हैं? बिना लाग-लपेट के जानिये
सृष्टि में विभिन्न प्रकार के रत्नों का भण्डार मानव को कल्याणकारी मंगल कामनाओं के साथ वरदान स्वरूप प्राप्त हुआ है. व्यक्ति रत्नों को अपने भाग्य को चमकाने के लिए धारण करता है, रत्न द्वारा वह स्वयं को
जानिये कि योनि मिलान क्यों जरूरी है
इस संसार में जितने भी जीव हैं वह किसी ना किसी योनि से अवश्य ही संबंध रखते हैं. वैदिक ज्योतिष में भी इन योनियों के महत्व पर बल दिया गया है और इनका संबंध नक्षत्रों से जोड़ा गया है. योनियों के वर्गीकरण
क्या होगा आपके ग्रहों की शयनादी अवस्था का प्रभाव? ज्योतिष से जानिए
वैदिक ज्योतिष में बहुत से योगों तथा अवस्थाओं का वर्णन मिलता है. इन अवस्थाओं को भिन्न - भिन्न नामों से जाना जाता है. इन अवस्थाओं के नाम के अनुसार ही इनका प्रभाव भी होता है और व्यक्ति को अपने जीवन में
ज्योतिष में ग्रह कि जाग्रतादि अवस्थाओं की महत्ता
ग्रहों की कई प्रकार की अवस्थाएं होती हैं. यह अवस्थाएँ ग्रहों के अंश अथवा अन्य कई नियमों के आधार पर आधारित होती हैं. इन्हीं अवस्थाओं में से ग्रहों की एक अवस्था जाग्रत या जाग्रतादि अवस्थाएँ होती हैं.
लज्जितादी अवस्थाओं का महत्व और प्रभाव. पूर्ण विवरण देखिये
ग्रहों की कई प्रकार की अवस्थाएँ होती हैं. यह अवस्थाएँ ग्रहों के अंश अथवा अन्य कई नियमों के आधार पर आधारित होती हैं. इन्हीं अवस्थाओं में से ग्रहों की एक अवस्था लज्जितादि अवस्थाएँ होती हैं. इन अवस्थाओं