Articles in Category Vedic Astrology

पाप ग्रह कब देते हैं शुभ फल | When do malefic planets give auspicious results

ज्योतिष शास्त्र में मंगल, शनि, राहु केतु को पाप ग्रहों की श्रेणी में रखा गया है और सूर्य को क्रूर ग्रह कहा जाता है. परंतु यहां यह अर्थ बिल्कुल भी नहीं है कि यह ग्रह शुभ फलों को प्रदान नहीं करते.

दशा में भाव कारक तत्व विचार | Karak elements of houses during Dasha

दशानाथ जिस भाव का स्वामी या कारक होता है वह उसके फल अपनी दशा भुक्ति में कई प्रकार से देने का प्रयास करता है. जैसे कि कोई ग्रह जिस भाव में स्थित है उस भाव का फल वह पहले देगा, उसके पश्चात वह जिस राशि

मुंथा क्या है और इसको अपनी कुण्डली में कैसे देखें?

वर्ष कुण्डली में गणना के संदर्भ में मुंथा का अत्यधिक उपयोग किया जाता है. जन्म कुण्डली में मुन्था सदैव लग्न में स्थित रहती है और हर वर्ष यह एक राशि आगे बढ़ जाती है. उदाहरण के लिए यदि किसी का जन्म मेष

शनि के मार्ग परिवर्तन का आपके जीवन पर प्रभाव

शनि देव मार्गी हो रहे हैं और इसी के साथ ही मंगल ग्रह के साथ एक ही राशि में युति करते हुए दिखाई देंगे. इन दो मुख्य बदलावों के फलस्वरुप कुछ प्रमुख घटनाएं अवश्य ही अपना प्रभाव दिखाएंगी. ज्योतिष के

नवग्रह | Navagraha | Nine Planets

ज्योतिष में राशि चक्र में नवग्रहों मंगल, बुध, बृहस्पति,शुक्र, और शनि, सूर्य, चंद्रमा, राहू और केतु का जातक के जीवन और संपूर्ण सृष्टी पर गहरा प्रभाव पड़ता है. ज्योतिष के अनुसार ब्रह्माण को यह नव ग्रह

दान द्वारा ग्रहों को अनुकूल कैसे करें

ग्रहों के लिए क्या-क्या दान करना चाहिए इसके उनसे संब्म्धित वस्तुओं के बारे में जानकारी होना अत्यंत आवश्यक है. ग्रहों से संबंधित वस्तुओं का दान करके आप उनके शांति उपाय उपयोग में ला सकते हैं जिससे उनके

चामर योग | Chamar Yoga | Chamar Yoga in Kundli

जातक परिजात के अनुसार “लग्नेश केन्द्रगते स्वतुग्डें जीवेक्षिते चामरनाम योग:” अर्थात कुण्डली में यदि लग्नेश उच्च राशि में स्थित होकर केन्द्र में हो और यह योग केवल मेष, मिथुन कन्या, मकर लग्न में उपन्न

शनि का ज्योतिष में महत्व | Importance of Saturn in Astrology

ज्योतिष में शनि ग्रह कुंडली से लेकर गोचर, महादशा तथा साढ़ेसाती से हमें प्रभावित करते हैं. शनि ग्रह की स्थिति और उससे होने वाले लाभ या हानि से कोई भी प्रभावित हुए बिना नहीं रह पाता. शनि ग्रह को शनिदेव

कलानिधि योग | Kalanidhi Yoga | Kalanidhi Yoga in a Kundali

फलित ज्योतिष में योगों का बहुत महत्व रहता है. फलित करते समय योगों की विवेचना द्वारा जातक के जीवन में होने वली घटनाओं और परिस्थितियों का बोध होता है. योगों के निर्माण में एक से अधिक ग्रह जब युति,

दशा फल विचार | Results of Dashas

कई बार जन्म कुण्डली में शुभ योग होने पर भी जातक को शुभ फलों की प्राप्ति नही हो पाती. जन्म कुण्डली शुभ होने पर भी जातक के जीवन में कभी तो दशा या गोचर में ग्रहों की स्थिति विषम हो जाती है कि जीवन में

शुक्र का ज्योतिष में महत्व | Importance of Venus in astrology

वैदिक ज्योतिष में शुक्र को मुख्य रूप से पत्नी का का कारक माना गया है. यह विवाह का कारक ग्रह है, ज्योतिष में शुक्र से काम सुख, आभूषण, भौतिक सुख सुविधाओं का कारक ग्रह है. शुक्र से आराम पसन्द होने की

गुरू का ज्योतिष में महत्व | Importance of Jupiter in astrology

गुरु (बृहस्पति) ज्योतिष के नव ग्रहों में सबसे अधिक शुभ ग्रह माने जाते हैं. गुरू मुख्य रूप से आध्यात्मिकता को विकसित करने का कारक हैं. तीर्थ स्थानों तथा मंदिरों, पवित्र नदियों तथा धार्मिक क्रिया कलाप

मूल नक्षत्र क्या है और उससे आपके जीवन पर क्या प्रभाव होगा, जानिये

अश्वनी ,आश्लेषा ,मघा ,ज्येष्ठा ,मूल तथा रेवती नक्षत्र गण्डमूल नक्षत्र कहे जाते हैं. यह नक्षत्र संधि क्षेत्र में आने से दुष्परिणाम देने वाले माने जाते हैं. इन नक्षत्रों में जन्म लेने वाले बच्चों के

कुण्डली से जाने संतान सुख का योग | Yogas for a Child in a kundali

कुण्डली में स्थित ग्रहों कि स्थिति के द्वारा संतान सुख के विषय में जाना जा सकता है. किसी की कुण्डली में ग्रहों की ऐसी स्थिति होती है जो उन्हें कई संतानों का सुख देती है. तो किसी कि कुण्डली संतान में

बुध ग्रह आपके लिये फलदायी होगा या नहीं, अपनी कुण्डली स्वयं देखिये

वैदिक ज्योतिष के अनुसार बुध ग्रह रजो गुण वाले हैं और वाणी का प्रतिनिधित्व करते हैं. बुध शांत एवं सौम्य प्रवृत्ति के ग्रह हैं. बुध ग्रह के अधिदेवता एवं प्रत्यधिदेवता भगवान विष्णु हैं तथा इनकी महादशा

आपका कौन सा ग्रह बली है? राशि और ग्रहबल के बारे में जानिये

ज्योतिष में ग्रहों और राशियों को अनेक प्रकार के बल प्राप्त हैं. इन बलों के आधार पर ग्रहों एवं राशियों की स्थिति एवं उसके अच्छे एवं बुरे प्रभावों को जाना जा सकता है. वैदिक ज्योतिष में ग्रहों और

कुंडली कैसे मिलायें? अपनी कुंडली स्वयं मिलाएं इस तरीके से

हिन्दू धर्म में विवाह करने से पूर्व वर-वधू दोनों की कुण्डलियों का मिलान किया जाता है. कुण्डली मिलान में बहुत सी बातों का विचार किया जाता है जिसमें से मांगलिक योग, अष्टकूट मिलान तथा दशाक्रम इत्यादि को

ज्योतिष में दशाओं का महत्व | Importance of Dashas in Astrology

ज्योतिष में दशाओं का महत्वपूर्ण स्थान है और व्यक्ति के जीवन के संपूर्ण घटनाक्रम में यह अपना विशेष प्रभाव डालती हैं. यह दशाएं ग्रहों द्वारा गत जन्म के कर्मफलों को इस जन्म में दर्शाने का माध्यम है.

ज्योतिष में मंत्र व उपासना का महत्व | Importance of Mantras and Worship in Astrology

ज्योतिष शास्त्र में मंत्र व उपासना के महत्व को विस्तारपूर्वक बताया गया है. मंत्रों का जाप और उपासना द्वारा जीव सभी दुखों से मुक्ति पाने की क्षमता पाता है. हमारे शास्त्रों में इन्हीं मंत्रोउच्चारणों

मंगल का ज्योतिष में महत्व | Importance of Mars in a Kundali

ज्योतिष में मंगल ग्रह को मुख्य तौर पर एक सेनापती के रुप में दर्शाया गया है. यह ताकत, साहस और पौरुष का कारक है. मंगल ग्रह शारीरिक तथा मानसिक शक्ति और ताकत का प्रतिनिधित्व करता है. मंगल के प्रबल प्रभाव