वैदिक ज्योतिष के अनुसार जन्म कुण्डली में स्वक्षेत्री ग्रहों की स्थिति होने पर अनुकूल फलों की प्राप्ति होती है. स्वक्षेत्री होने पर जातक को धन धान्य की प्राप्ति होती है. वह दूसरों के समक्ष आदर व सम्मान पाता है. स्वक्षेत्री ग्रहों की दशा भुक्ति के दौरान जातक को अधिक परिश्रम नहीं करना पड़ता है और उसे अच्छे लाभ मिलते हैं. संबंधों में मधुरता आती है और मित्रों का स्नेह मिलता है.
सूर्य | Sun
सूर्य के स्वक्षेत्री होने पर जातक कुछ हठी और अधिक कोधी हो सकता है. वह अपनी बातों पर अटल रहने वाला धृष्ट भी हो सकता है. कार्यकुशल और सत्य निष्ट होता है. धार्मिक, सुयोग्य संतान को पाने वाला और धन युक्त हो सकता है. राजसी सुख पाने में सफल और स्वावलंबी होता है. अपने को अग्रीण मानने वाला और प्रमुख स्थान की चाहत रखने वाला होता है.
चंद्रमा | Moon
चंद्रमा के स्वक्षेत्री होने पर जातक सत्यवादी और शांत स्वभाव का भावुक व्यक्ति होता है. धर्मपूर्ण और ह्रदय से कोमल होता है. अपने पैतृक स्थान पर रहने वाला होता है स्त्रियों से प्रेम की प्राप्ति होती है. सुख की प्राप्ति में सहायक होती है. माता से प्रेम और सहयोग बना रहता है. वैभव तथा यश प्रदान करने वाला होता है. जातक को वस्त्र आभूषण और वाहन की प्राप्ति होती है. पद प्रतिष्ठा में वृद्धि मिलती है.
मंगल | Mars
मंगल की स्वक्षेत्री स्थिति होने पर राज्य सम्मान व सुख मिलता सकता है. भाईयों का सुख, भूमि भवन का सुख प्राप्त होता है. पराक्रम व साहस की द्वारा सफलता प्राप्त होती है. राजा के सामान सुख प्राप्त करता है. शत्रुओं का दमन होता है तथा रूकावटें दूर होने लगती हैं. भू-संपदा का लाभ होता है राज्यसम्मान की प्राप्ति होती है. जातक क्रोधी वाकपटुता से युक्त व साहसी होता है.
बुध | Mercury
बुध के स्वक्षेत्री होने पर जातक अपने दायित्वों का निर्वाह करने वाला होता है. निष्ठा और पूर्ण मन के साथ काम को करने वाला होता है. स्त्री सुख तथा बंधुओं का सुख प्राप्त होता है. धन-संपदा प्राप्त होती है. हास्य एवं मनोविनोद का व्यवहार पाता है. बौद्धिकता अच्छी होती है, जातक व्यापार एवं व्यवसाय में उन्नती पाता है. मित्रों, संबंधियों एवं संतान का सुख प्राप्त होता है. शास्त्रों का ज्ञान प्राप्त होता है अपने क्षेत्र में अग्रीण स्थान पाता है. मान, पद-प्रतिष्ठा प्राप्त होती है. व्यवहार में धर्म के प्रति आस्थावान होता है.
बृहस्पति | Jupiter
बृहस्पति के स्वक्षेत्री होने पर जातक देव और गुरू भक्त होता है. मेधावी और गुणवान होता है. व्यक्ति के भीतर धैर्य और नैतिकता का समावेश देखा जा सकता है. अच्छी वस्तुओं की प्राप्ति होती है पर साथ ही उसमें गर्व की भावना भी अधिक देखी जा सकती है. संतान सुख की प्राप्ति होती है. तीर्थाटन एवं पर्यटन के मौके प्राप्त होते हैं. नेतृत्व की क्षमता मिलती है और ज्ञान में वृद्धि होती है, घर और वाहन का सुख प्राप्त होता है.
शुक्र | Venus
शुक्र के स्वक्षेत्री होने पर जातक स्वास्थ्य से सुखी और ऎश्वर्य को पाने वाला होता है. भाग्यशाली और सुंदर और आकर्षक देह का स्वामी होता है. स्त्री का सुख मिलता है और उनसे प्रेम की प्राप्ति होती है. धन वैभव से संपन्न होता है और दूसरों को भी सम्मान देने वाला होता है. बोलने में मधुर भाषी होता है. आभूषण और वाहन सुख पाता है.
शनि | Saturn
शनि के स्वक्षेत्री होने पर जातक सजग और सावधान होता है. न्यायविद तथा सेवकों का शुभचिंतक होता है. सत्ता का सुख प्राप्त हो सकता है, पिता एवं अन्य संबंधियों से विरोध भी झेलना पड़ सकता है. जीवन में कठिनाईयों का सामना करने की दिशा मिलती है. उचित अनुचित में भेद करना सीखता है. कठोर कर्म और कठोर भाषी भी हो सकता है.