कर्कस्थ गुरू का योगफल | Jupiter Aspecting Cancer
कर्कस्थत होती है और वह अपने कर्मों द्वारा समाज में शुभता लाता है. किसी के हृदय को नहीं दुखाता है और सभी के लिए अच्छे काम करने की चाह रखता है. कर्क में गुरू के होने पर जातक विद्वानों का साथ पाता है. इस स्थान पर गुरू अधिक बल पाता है यहां गुरू को उच्चता प्राप्त होती है. इस स्थान में होने पर गुरू के फलों में वृद्धि होती है उसकी शुभता में वृद्धि होती है ओर शुभता से जातक सदाचारी बनता है. गुरू की यह स्थिति जातक के लिए उत्तम मानी जाती है. इसके शुभ फलों से व्यक्ति जीवन में तरक्की को पाता है तथा कार्यक्षेत्र में सफल होता है.
इसके प्रभाव स्वरूप व्यक्ति को अच्छे लोगों की संगती का साथ पाता है, उसे गुरू से दीक्षा प्राप्त होती है जो उसके सुचरित्र को जागृत करने में सहायक बनती है. देखने में सुंदर होता है आकर्षण से युक्त होते हुए वह सभी के मन को भाने वाला होता है. व्यक्ति अपने साथ-साथ दूसरों के हितों की भी रक्षा करता है और प्रेम के मार्ग पर चलने की चाह रखता है. द्वेष से दूर रहकर वह सज्जनों की संगती में उन्नती को पाता है. बुद्धिमान होने के साथ साथ योग्य भी होता है, व्यक्ति मुश्किल से मुश्किल विषयों को आसानी से समझ लेने वाला होता है, सृजनात्मक कार्य करने की ओर इनका रूझान बहुत होता है. इन्हें अपने कामों द्वारा समाज में एक विशेष स्थान प्राप्त होता है.
जातक स्वस्थ व मजबूत होता है. व्यवहार से दयालु होता है और धार्मिक तथा नैतिक मूल्यों को समझने वाला होता है. धन का आगमन बना रहता है. आर्थिक हानी की संभावनाएं न के बराबर रहती हैं. जीवन में तंगी की स्थिति नहीं उभरती है. जातक सामान्यत: विनोदी स्वभाव का हो सकता है. जीवन के प्रति इनका दृष्टिकोण सकारात्मक होता है तथा जीवन में आने वाली समस्याओं से विचलित नहीं होते और सकारात्मकता से कठिनाईयों को सुलझाते जाते हैं.
सिंहस्थ गुरू का योगफल | Jupiter Aspecting Leo
सिंहस्थ गुरू के होने पर जातक व्यवहार स्वरूप सभी के लिए समान होता है उसके साथ जो जैसा करता है वह उसी के अनुरूप उनके साथ होता है. शत्रुओं के साथ शत्रुतापूर्ण ओर मित्रों के साथ मित्रता पूर्ण होता है. दोस्तों का साथ इन्हें खूब मिलता है और यह मित्रता भी अच्छे से निभाने वाला होता है. धनवान होता है और अपनी मेहनत से आर्थिक स्थिति को उन्नत बनाने वाला होता है. शिष्ट लोगों से सम्मानित होता है और उनका साथ पाता है.
आजीविका के क्षेत्र में सभी प्रकार की परेशानियां धीरे-धीरे कम होती जाती हैं और कामयाबी का रास्ता साफ होता है, आर्थिक परेशानियां भी दूर होती हैं और समृद्धि के मार्ग बनते जाते हैं. पारिवारिक समस्याएं भी बातचीत व समझदारी से सुलझा सकते हैं. जातक सगे-सम्बन्धियों से सहयोग प्राप्त करता है. राजा जैसा या राजा के समान सामर्थ्य वाला होता है. इनका व्यक्तित्व प्रभावशाली होता है तथा यह लोग अपनी छाप छोड़ने में सफल रहते हैं.
इस राशि स्थान के प्रभाव से जातक शौर्यवान होता है. सभा में अलग ही पहचान में आता है, अपने दोष से शत्रुओं का सदैव नाश करने में सफल होता है. मजबूत देह का स्वामी व स्वस्थ होता है. उच्च कुल का तथा सुंदर भवन में जन्म लेने वाला होता है. जातक को परिवार और पिता की ओर से स्नेह की प्राप्ति होती है.
कन्या राशिगत गुरू का योगफल | Jupiter Aspecting Virgo
कन्यागत गुरू के होने पर जातक बुद्धिमान और योग्य निर्णय लेने में दक्षता पाता है. धर्मपरायण होता है अपनी कार्यकुशलता द्वारा जातक सभी के समक्ष सम्मान अर्जित करने में सफल रहता है. ह्रदय से कोमल और शुभ विचारों वाला होता है. व्यक्ति अपने काम के प्रति पूर्ण निष्ठावान होता है. वह अपने काम में अग्रसर बना रहता है, जातक के जीवन में बहुत कठिनाईयां आती हैं लेकिन वह अपने कर्तव्यों के प्रति सजग रहते हुए आगे बढ़ता जाता है.
व्यक्ति शास्त्रों का जानकार होता है. अपनी उच्च क्षमता द्वारा वह कई तथ्यों से फलिभूत होता है. शिल्प कला में कुशल होता है. विभिन्न लिपियों का जानकार भी होता है. दान कर्म करने वाला और अपने पुण्यों द्वारा सफलता की बुलंदियों को छुने में सफल होता है. चरित्र से श्रेष्ठ होता है, धनवान और समृद्धशाली होता है. जातक अपनी पारिवारिक जिम्मेदारियों को निभाने में योग्य होगा और दायित्वों को निभाने वाला होगा.
जातक अपने साथ साथ अन्य लोगों पर भी प्रभाव छोड़ने वाला होता है. किसी भी प्रकार से वह अपने काम को पूर्ण करके ही दूर हटता है. अपने कार्यों में निपुणता पाता है. कुछ बातों का विचार करके देखा जाए तो यह जातक की चारित्रिक बलता में भी बल देने वाली स्थिति होती है. व्यक्ति का स्वभाव लचीला होता है और वह अपने को दूसरों के अनुरूप ढालने में सफल रहता है.
"गुरूगत स्थिति का योगफल - भाग 1"