अष्टकवर्ग के नियमों के अनुसार हर ग्रह के भिन्नाष्टक में दोनों शोधनों त्रिकोण शोधन और एकाधिपत्य शोधन एवं मंडल शोधन को करने के बाद शोध्य पिण्ड की गणना करनी पड़ती है. ग्रहों के शोध्य पिण्ड निकालने के लिए प्रत्येक ग्रह के भिन्नाष्टकवर्ग में प्रत्येक राशि में शेष बची राशियों की संख्या को राशि गुणाकर तथा जिन भावों में ग्रह स्थित हैं उन भावों के बिन्दुओं को ग्रह से गुणा करना पड़ता है. दोनों विधियों से प्राप्त ग्रहों के बिन्दुओं का योग करके उनका शोध्य पिण्ड प्राप्त कर लिया जाता है.

सर्वाष्टक वर्ग में तीनों शोधनों के बाद शेष शुभ बिन्दुओं की संख्या को राशि गुणाकर और ग्रह गुणक से गुणा करके सर्वाष्टक वर्ग का शोध्य पिउण्ड प्राप्त किया जाता है. यहां हम नीचे राशि व ग्रहों की गुण्डक संख्या का उल्लेख कर रहे हैं जो इस प्रकार हैं:-

राशि गुणाकर | Rashi Gunakar

हर ग्रह को एक निश्चित इकाई संख्या के रूप में दी गई है जो इस राशि विशेष की राशि गुणक कहलाती है. यह संख्या बदलती नहीं है और हर स्थिति में समान रहती है:-

राशि गुणाकर
मेष 7
वृषभ 10
मिथुन 8
कर्क 4
सिंह 10
कन्या 5
तुला 7
वृश्चिक 8
धनु 9
मकर 5
कुम्भ 11
मीन 12


ग्रह गुणाकर | Planet Gunakar

इसी तरह से ग्रह को ही एक निश्चित इकाई संख्या के रूप में प्राप्त है, जो उक्त ग्रह विशेष की ग्रह गुणक कहलाती है. यह संख्या भी राशि गुणक के समान अपरिवर्तनीय है और प्रत्येक स्थिति में समान रहती है.

ग्रह गुणाकर
सूर्य 5
चंद्रमा 5
मंगल 8
बुध 5
बृहस्पति 10
शुक्र 7
शनि 5