ज्योतिष में एक अच्छे स्वास्थ्य के लिए बहुत सी बातों का आंकलन किया जाता है. जन्म कुण्डली में लग्न, लग्नेश चंद्रमा और चंद्र राशिश की स्थिति देखी जाती है. अगर यह चारों बली हैं तब व्यक्ति को स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का सामना कम करना पड़ता है. जन्म कुण्डली के साथ नवांश कुण्डली, द्रेष्काण कुण्डली, द्वादशांश कुण्डली और त्रिशांश कुण्डली का विश्लेषण किया जाता है. इन सभी का बारी-बारी से अध्ययन इस लेख में किया जाएगा कि किस तरह से इन्हें स्वास्थ्य के लिए देखा जाए.
जन्म कुण्डली | Janma Kundali
जन्म कुण्डली के लग्न की की स्थिति देखी जाती है. यदि इस पर शुभ ग्रहों का प्रभाव है तब आप शारीरिक रुप से बली रहेगें. यदि लग्नेश भी बली है तब आप शारीरिक रुप से और अधिक बली बन जाते हैं. लेकिन इन पर पाप और कुण्डली के अशुभ ग्रहों का प्रभाव आता है तब आप शारीरिक रुप से अस्वस्थ रह सकते है. लग्न या लग्नेश यदि मृत्यु भाग के अंशो पर स्थित है तब भी स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों से होकर गुजरना पड़ सकता है.
इसी तरह से चंद्रमा और चंद्र राशिश का अध्ययन किया जाता है कि कुण्डली में इनकी स्थिति क्या है. यदि दोनो बली है तब आपका मन कमजोर नहीं होगा. दिल-दिमाग से आप स्वस्थ रहेगें. विपरीत परिस्थितियों में भी कभी आपका आत्मविश्वास डगमगायेगा नहीं.
नवांश कुण्डली | Navansh Kundali
जन्म कुण्डली यदि शरीर है तो नवांश कुण्डली उसकी आत्मा है. जन्म कुण्डली के लग्न, चंद्र, लग्नेश और चंद्रेश की स्थिति यहाँ देखी जाएगी कि क्या ये सब यहाँ भी बली हैं. यदि बली है तब आपको स्वास्थ्य संबंधी परेशानियाँ नहीं होगी. यदि जन्म कुण्डली में बली हैं और नवांश कुण्डली में बली नहीं है तब आपको स्वास्थ्य संबंधी परेशानियाँ कभी-कभी घेरे रह सकती हैं. यदि ये चारो जन्म कुण्डली और नवांश कुण्डली में भी कमजोर हैं तब आपको स्वास्थ्य संबंधी परेशानियाँ हो सकती है.
द्रेष्काण कुण्डली | Dreshkan Kundali
चिकित्सा ज्योतिष में स्वास्थ्य संबंधी बातो का आंकलन करने के लिए इस कुण्डली का अध्ययन किया जाता है. इस कुण्डली के लग्न और लग्नेश का अध्ययन किया जाता है कि उनकी क्या स्थिति है. उसके बाद जन्म कुण्डली के लग्न, लग्नेश की स्थिति यहाँ देखी जाती है. वह शुभ भावो व शुभ ग्रहों से संबंध बना रहे हैं अथवा अशुभ भावों व अशुभ ग्रहों से संबंध बना रहे हैं. यदि शुभ संबंध ज्यादा बनता है तब स्वास्थ्य संबंधी परेशानियाँ कम होगी और अशुभ से संबंध ज्यादा बनता है तब स्वास्थ्य संबंधी परेशानियाँ ज्यादा होगी.
द्वादशांश कुण्डली | Dwadshansh Kundali
द्रेष्काण कुण्डली की ही तरह इस वर्ग कुण्डली के भी लग्न और लग्नेश का अध्ययन किया जाता है और फिर जन्म कुण्डली के लग्न, लग्नेश का अध्ययन किया जाता है. यदि यह चारो बली है तब आप सदा स्वस्थ रहेगें. यदि मिश्रित फल हैं तब स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का सामना समय-समय पर करते रहने पड़ सकता है. यदि चारों ही कमजोर हैं तब अकसर स्वास्थ्य संबंधी समस्याएँ घेरे रह सकती हैं.
त्रिशांश कुण्डली | Trishansh Kundali
स्वास्थ्य के संबंध में यह कुंडली सबसे अधिक महत्वपूर्ण मानी जाती है. इस कुण्डली का हर तरह से निरीक्षण किया जाता है. इस कुण्डली के लग्न, लग्नेश, जन्म कुण्डली के लग्न,लग्नेश, चंद्रमा और चंद्र राशिश आदि का आंकलन किया जाता है. जिस ग्रह की दशा/अन्तर्दशा कुण्डली में चल रही होती है उसका भी यहाँ निरीक्षण किया जाता है. यदि वह इस त्रिशांश कुण्डली में पीड़ित है तब उस समय आपको स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है.